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झाबुआ: रात के वक्त भगवान भरोसे प्रसूता महिलाएं, अस्पताल में नहीं है एक भी नर्स

जिले के मेघनगर विकासखंड के ग्राम मदरानी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रात में डिलीवरी के लिए कोई नर्स नहीं मिलती है, और न ही कोई अन्य स्टाफ. जिससे प्रसूता महिलाओं को काफी परेशानियां होती हैं.

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Published : Aug 23, 2019, 4:58 PM IST

रात के वक्त भगवान भरोसे प्रसूता महिलाएं

झाबुआ। अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की भीड़ और अस्पतालों में स्टाफ की कमी के चलते लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिले के मेघनगर विकासखंड के ग्राम मदरानी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से 21 गांव के लगभग 60 हजार से अधिक ग्रामीणों के स्वास्थ्य की देखभाल करने की जिम्मेदारी है. बावजूद इसके स्वास्थ्य केंद्रों में रात में डिलीवरी के लिए कोई नर्स नहीं मिलती है, और न ही कोई अन्य स्टाफ. जिससे प्रसूता महिलाओं को काफी परेशानियां होती हैं.

रात के वक्त भगवान भरोसे प्रसूता महिलाएं

कुछ दिनों पहले दो गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मदरानी लाया गया. मगर यहां रात में काम करने वाली नर्स का ट्रांसफर दो महीने पहले हो जाने के बाद भी नई नर्स की पदस्थापना नहीं की गई. जिसके कारण परिजन गंभीर अवस्था में महिलाओं को गुजरात के दाहोद ले गए और उनकी डिलवरी करवाई.


एक मरीज के परिजन ने बताया कि अस्पताल में कोई स्टाफ बराबर नहीं रहता है. रात में किसी के बीमार होने पर बहुत परेशानी होती है. इलाज के लिए दाहोद ले जाना पड़ता है. न डिलीवरी के कोई इंतजाम हैं, न ही कोई नर्स स्टाफ है.
वहीं प्रभारी डॉक्टर पायस द्विवेदी ने बताया कि एक नर्स सुबह ड्यूटी करती है. नाइट में जो नर्स थी उनका दो महीने पहले तबादला हो गया है, इसलिए अभी रात में यहां पर डिलीवरी के लिए कोई नर्स नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि ये हर जगह होता है, यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है.

झाबुआ। अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की भीड़ और अस्पतालों में स्टाफ की कमी के चलते लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिले के मेघनगर विकासखंड के ग्राम मदरानी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से 21 गांव के लगभग 60 हजार से अधिक ग्रामीणों के स्वास्थ्य की देखभाल करने की जिम्मेदारी है. बावजूद इसके स्वास्थ्य केंद्रों में रात में डिलीवरी के लिए कोई नर्स नहीं मिलती है, और न ही कोई अन्य स्टाफ. जिससे प्रसूता महिलाओं को काफी परेशानियां होती हैं.

रात के वक्त भगवान भरोसे प्रसूता महिलाएं

कुछ दिनों पहले दो गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मदरानी लाया गया. मगर यहां रात में काम करने वाली नर्स का ट्रांसफर दो महीने पहले हो जाने के बाद भी नई नर्स की पदस्थापना नहीं की गई. जिसके कारण परिजन गंभीर अवस्था में महिलाओं को गुजरात के दाहोद ले गए और उनकी डिलवरी करवाई.


एक मरीज के परिजन ने बताया कि अस्पताल में कोई स्टाफ बराबर नहीं रहता है. रात में किसी के बीमार होने पर बहुत परेशानी होती है. इलाज के लिए दाहोद ले जाना पड़ता है. न डिलीवरी के कोई इंतजाम हैं, न ही कोई नर्स स्टाफ है.
वहीं प्रभारी डॉक्टर पायस द्विवेदी ने बताया कि एक नर्स सुबह ड्यूटी करती है. नाइट में जो नर्स थी उनका दो महीने पहले तबादला हो गया है, इसलिए अभी रात में यहां पर डिलीवरी के लिए कोई नर्स नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि ये हर जगह होता है, यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है.

Intro:झाबुआ: सरकार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पतालों में आम लोगों को सरलता से स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में पसीना आ रहा है । बारिश के दौरान अस्पतालों में बढ़ती मरीजो को भीड़ ओर अस्पताओ में स्टाफ की कमी के चलते लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।


Body:जिले के मेघनगर विकासखंड के ग्राम मदरानी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से 21 गांव के लगभग 60,000 से अधिक ग्रामीण जुड़े हैं बावजूद यहाँ के स्वास्थ्य केंद्रों ना रात में नर्स मिलती है और ना डाक्टर । यहां के अस्पताल में निःशुल्क की जाने वाली बीमारियों की जांच करने के लिए ना तो लैब टेक्नीशियन है और ना ही फ्री में दी जाने वाली दवाई बांटने के लिए फार्मासिस्ट। ऐसे में लोगों का कैसे ईलाज होता होगा इसकी कल्पना की जा सकती है ।


Conclusion:2 दिन पहले स्वास्थ्य केंद्र पर गर्भवती महिला मनीषा और बबली को प्रसूति दर्द के चलते उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मदरानी लाया गया मगर यहां रात में काम करने वाली नर्स का ट्रांसफर 2 महीने पहले हो जाने के बाद भी नई नर्स की पदस्थापना नहीं की गई। प्रसूति कराने के लिए नर्स ना होने के चलते परिजन गम्भीर अवस्था में महिलाओ को गुजरात के दाहोद ले गए जहाँ उनकी डिलेवरी करना पड़ी । पदस्त मात्र डॉक्टर भी मानते हैं कि यहां सुविधा नहीं है मगर जो है उसी से काम चलाना पड़ता है।
बाइट : बाबूलाल चौहान स्थानीय नागरिक
बाइट: डॉक्टर पायस द्विवेदी, प्रभारी चिकित्सक
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