झाबुआ। डॉ. जय वैरागी को सम्मान स्वरूप 51 हजार रुपए, शॉल, श्रीफल, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र के साथ अलंकृत किया जाएगा. गौरतलब है कि डॉ. जय वैरागी का दण्डकारण्य उपन्यास पौराणिक युगीन स्त्री पात्रों की संघर्ष गाथा, रावण की माता कैकेसी, बहन शूर्पणखा, महानायिका कैकेयी की उपनिवेश दण्डकारण्य के लिए सामरिक दूरदर्शिता, महानायक श्री राम के वन गमन का यथार्थ, शूर्पणखा का वैधव्य और उसका लंका से प्रतिशोध इत्यादि पर केंद्रित है.
आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं : डॉ. जय वैरागी जनजातीय कार्य विभाग में कार्यपालिक अधिकारी हैं. उनकी अब तक आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिसमें प्रबंध काव्य, लघु काव्य, खण्ड काव्य और मुक्त काव्य इत्यादि सम्मिलित हैं. प्रथम कविता संकलन पयस्विनी 2002 में प्रकाशित हुआ था. इसके अलावा मुमुक्षा, ठहरी हुई नदी, विभक्ता, निर्वेद, उद्धर्षिणी और अग्नि साहचर्य खंड काव्य भी प्रकाशित हो चुका है. बहुचर्चित उपन्यास दण्डकारण्य आठवीं कृति है.