झाबुआ। झाबुआ विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के रूप में जिलाध्यक्ष भानू भूरिया का नाम घोषित होने के पांचवे दिन कई युवा बगावती तेवर दिखाते हुए सड़क पर उतर गए. उन्होंने एक हाथ में पार्टी का झंडा थामा तो दूसरे हाथ में 'भानू भूरिया हटाओ-झाबुआ सीट बचाओ' का नारा लिखी तख्ती उठा रखी थी. उनकी एक ही मांग है कि भानू की जगह किसी अन्य को प्रत्याशी बनाया जाए. हालांकि भाजपा जिलाध्यक्ष एवं झाबुआ विधानसभा से प्रत्याशी भानू भूरिया इस प्रदर्शन से बिलकुल भी विचलित नहीं दिखे. उन्होंने दावे से कहा कि भाजपा कार्यकर्ता बेहद अनुशासित है, वह इस तरह सड़कों पर उतर ही नहीं सकता. इस प्रदर्शन में पर्दे के पीछे बैठे कुछ विरोधियों का हाथ है. समय के साथ वे खुद बेनकाब हो जाएंगे.
भानू भूरिया के खिलाफ निकली रैली: गौरतलब है कि 17 अगस्त को भाजपा ने प्रत्याशियों के नामों की पहली सूची जारी की थी. इसमें झाबुआ विधानसभा से भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया का नाम था. चूंकि कई अन्य नेता भी टिकट की दौड़ में थे, लिहाजा विरोध के स्वर उठना तय माना जा रहा था. हालांकि खुलकर तो कोई भी दावेदार सामने नहीं आया, लेकिन चार दिन बाद सोमवार को इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन जरूर हुआ. इसके लिए काफी संख्या में युवा कृषि उपज मंडी प्रांगण में एकत्रित हुए. यहां से उन्होंने भाजपा जिलाध्यक्ष भानू भूरिया को उम्मीदवार घोषित किए जाने के मुद्दे पर शहर में वाहन रैली निकाली. सभी के हाथ में भाजपा के झंडे थे. कुछ युवाओं ने विरोध स्वरूप काले झंडे भी थाम रखे थे. कृषि उपज मंडी से शुरू हुई वाहन रैली राजगढ़ नाका, विजय स्तंभ तिराहा, बस स्टैंड, मुख्य बाजार, आजाद चौक, राजवाड़ा चौक से कॉलेज मार्ग होती हुई राजगढ़ नाके पर आकर समाप्त हुई. इस दौरान सभी युवा भानू भूरिया हटाओ-झाबुआ सीट बचाओ का नारा लगा रहे थे. वाहन रैली में मौजूद बीसलपुर के रमेश हटीला और वार्ड क्रमांक 14 से जनपद सदस्य कमल डामोर ने बताया "पहले से जिस व्यक्ति के पास तीन तीन पद है, पार्टी ने उसे उम्मीदवार चुना है. इसी बात को लेकर हमारा विरोध है. पार्टी किसी और को प्रत्याशी चुनती तो हमारा उसे पूरा समर्थन है.
इसलिए हो रहा विरोध:
- भाजपा संगठन ने भानू भूरिया को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप रखी है. इसके साथ ही उन्हें पार्टी ने अपना उम्मीदवार भी बना दिया.
- भानू की पत्नी राणापुर जनपद पंचायत की अध्यक्ष है .साथ ही उन्हें आईटीडीपी का अध्यक्ष भी नियुक्त कर रखा है.
- एक ही परिवार में इतने सारे पद दिए जाने को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी है.
पूर्व नपाध्यक्ष भी अपनाए हुए हैं बगावती तेवर: झाबुआ के पूर्व नपाध्यक्ष धनसिंह बारिया तो खुलकर बगावती तेवर अपनाए हुए हैं. उन्होंने इस संबंध में अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर बकायदा एक पोस्ट भी कर रखी है. जिसमें उन्होंने भाजपा संगठन पर परिवारवाद का आरोप लगाया है. उन्होंने लिखा है कि-बीजेपी के नेताओं का यह कहना हे कि "भाई-भतीजावाद-परिवारवाद पार्टी में नहीं चलेगा, तो फिर झाबुआ जिले की दो विधानसभा में ऐसा क्या हो गया कि सारे नियमों को ताक में रखकर एक ही परिवार के दो सदस्य बुआ (निर्मला भूरिया) और भतीजे (भानू भूरिया) को पार्टी के नेताओं ने उम्मीदवार घोषित किया. धन सिंह ने खुले रूप से लिखा है कि अब नहीं चलेगा परिवारवाद. चुनाव लड़ेगा आपका भाई, आपका बेटा धनसिंह बारिया.
संगठन पहले से ही ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए तैयार: सूत्रो के अनुसार भाजपा संगठन पहले से ही इस तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए रणनीति बना रखी है. इसी वजह से चुनावों की घोषणा होने से पहले ही प्रत्याशियों के नाम घोषित किए गए हैं. ताकि किसी तरह का विरोध या बगावत हो तो उससे शुरूआती दौर में ही निपट लिया जाए. यदि कोई नेता या कार्यकर्ता असंतुष्ट है तो उसे अभी किसी तरह से मना लिया जाए. जिससे बाद में पूरी ताकत के साथ कार्यकर्ता चुनावी मैदान में मोर्चा संभाल लें.
ये विरोधियों की साजिश है: भाजपा जिलाध्यक्ष एवं झाबुआ विधानसभा प्रत्याशी भानू भूरिया ने कहा "भाजपा कार्यकर्ता इतना अनुशासित है कि वह कभी भी इस तरह से अपने ही संगठन के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन नहीं करेगा. यह प्रदर्शन पर्दे के पीछे बैठे विरोधियों की साजिश है, लेकिन वे अपने मंसूबों में कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे. हम एक जुट होकर चुनाव लडे़ंगे और जीत हासिल कर सरकार भी बनाएंगे.