झाबुआ। आदिवासी अंचल झाबुआ में मूल प्रजाति के रूप में पहचाने जाने वाले कड़कनाथ मुर्गे को बर्ड फ्लू से बचाने की कवायद तेज हो गई है. झाबुआ के कड़कनाथ उत्पादक संस्थानों पर बार्ड फ्लू का असर ना हो इसकी तैयारी की जा रही है. देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ इंदौर में पक्षियों की असमय प्राकृतिक तरीकों से हो रही मौत पर फ्लू की आशंका बढ़ती जा रही है. लिहाजा एहतियात के तौर पर झाबुआ के कृषि विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र में कड़कनाथ मुर्गों को आइसोलेट किया जा रहा है.
- कौओं की मौत के बाद बर्ड फ्लू की आशंका
राजस्थान के जयपुर और कसरावद जैसे क्षेत्रों में पक्षियों की मौत से बर्ड फ्लू की आशंका बढ़ती जा रही है, लिहाजा इसके लिए एक एडवाइजरी जारी की गई है. इसी एडवाइज़री के चलते झाबुआ की देसी प्रजाति यानि कड़कनाथ मुर्गे को सुरक्षित रखने की कवायद तेज कर दी गई है. कड़कनाथ मुर्गे को किसी भी तरह की बीमारी से बचाने के लिए उन्हें इम्यूनिटी बूस्टर दिया जा रहा है.
हल्दी के साथ विटामिन-C, D, E कड़कनाथ मुर्गों को दिया जा रहा है, ताकि वो बर्ड फ्लू से बचे रहें, कड़कनाथ मुर्गे को बचाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र की हेचरी के साथ-साथ मध्य प्रदेश शासन के कड़कनाथ कुक्कड़ पालन केंद्र पर किया जाता है. बर्ड फ्लू की आशंका के चलते इन कड़कनाथ मुर्गे - मुर्गियों को पिंजरे से बाहर नहीं निकाला जा रहा है, पिंजरे में ही उन्हे दाना पानी के साथ ही इम्यूनिटी बूस्टर दिया जा रहा है.
- आइसोलेशन में रखे गए कड़कनाथ मुर्गे
वैश्विक महामारी कोरोना के चलते विश्व की करोड़ों की आबादी महीनों तक होम आइसोलेशन में रह चुकी है, लेकिन प्रदेश में पक्षियों के मरने की खबर के बाद झाबुआ के कड़कनाथ को भी आइसोलेशन में रखना पड़ रहा है. झाबुआ कृषि विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डॉ आईएस तोमर ने बताया कि उनके केंद्र के पक्षियों में अभी किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं है, मगर सुरक्षा की दृष्टि से वे उचित प्रबंध करने में जुटे हैं. कड़कनाथ उत्पादन केंद्रों पर सुरक्षा की दृष्टि से बाहरी पक्षियों का प्रवेश बंद कर दिया गया है.