झाबुआ। 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में आदिवासी अंचल का प्रतिनिधित्व झाबुआ के सामाजिक कार्यकर्ता राजाराम कटारा करेंगे. अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट से उन्हें खास तौर पर आमंत्रण मिला है. वे 20 जनवरी को इंदौर से अहमदाबाद होते हुए अयोध्या पहुंचेगे. निमंत्रण को लेकर राजाराम बोले 'मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था, कि इतने बड़े आयोजन के लिए मुझे जैसे एक सामान्य भील युवा को न्यौता मिलेगा. मैं और मेरा परिवार इस आमंत्रण को लेकर बहुत अभिभूत हैं. भील समाज से होने के नाते मैं इसे सम्पूर्ण भील समाज के लिए गौरव की बात मानता हूं. मुझे ऐसा लगता है कि भगवान राम न केवल भारत की आत्मा है, बल्कि बल्कि भीलों के भी परमात्मा है. हमारे यहां आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में अभिवादन के लिए ग्रामीण राम राम ही बोलते हैं.
भीलों का राम से अलौकिक संबंध
सामाजिक कार्यकर्ता राजाराम कटारा ने बताया हम भील भगवान शिव के वंशज हैं. भगवान शिव और रामजी का जो संबंध है, वह अलौकिक है. राम हमारे जीवन मूल्यों और संस्कार में बसते हैं. हमारे जीवन व्यवहार में बसते हैं. इस प्रकार से राम और भीलों का संबंध भी अलौकिक है.
भगवान राम राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक
सामाजिक कार्यकर्ता राजाराम बोले भगवान राम भारत की राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है. राम जन्मभूमि और प्राण प्रतिष्ठा का यह विषय पूरे देश वासियों के लिए गौरवान्वित करने का विषय है. पूरे देश के आदिवासी भील समाज के लिए बड़ा हर्ष और गौरवान्वित करने वाला विषय है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के माध्यम से आज भारत की एकता व अखंडता के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और अनिवार्य अवसर देश में आया है. इससे हमारे देश में सामाजिक समरसता और सामाजिक समृद्धि जैसे अनेक शुभ अवसर आने वाले हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में दिवाली सा माहौल
राजाराम कटारा ने बताया इस समय झाबुआ के प्रत्येक गांव में दिवाली जैसे उत्सव सा माहौल है. रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का विषय जबसे पूरे अंचल में फैला है, तब से प्रत्येक गांव-गांव में भजन और प्रभात फेरी निकलने के साथ प्रभु राम की आरती की जा रही है. अलग अलग गतिविधियों के माध्यम से समूचा समाज राम की भक्ति में सराबोर हो रहा है. सभी लोग संकल्प ले रहे हैं कि हम आने वाले समय में उस राम जन्मभूमि के दर्शन करने जरूर जाएंगे.