झाबुआ। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) राजेंद्र कुमार शर्मा को कोर्ट ने आदिवासी छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोपी झाबुआ एसडीएम को 30 घंटे के अंदर ही जमानत दे दी. न्यायालय ने इसके लिए झा के साथ मौजूद अतिरिक्त जिला परियोजना अधिकारी जीपी ओझा, सैनिक अमर सिंह डूडवे और ड्राइवर पंकज द्वारा पेश किए गए शपथ पत्र को आधार बनाकर 40 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत मंजूर की है. जबकि उनकी जमानत याचिका पर फरियादी हॉस्टल अधीक्षिका और बच्चियों ने आपत्ति ली थी.
अभियोज ने आवेदन खारिज करने की मांग: नवीन अजजा कन्या आश्रम की छात्राओं की शिकायत पर झाबुआ एसडीएम रहे सुनील झा के खिलाफ मंगलवार तड़के करीब साढ़े 6 बजे धारा 354, 354(क), पॉक्सो एक्ट और अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनयम में प्रकरण दर्ज किया गया था. इसके तत्काल बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था. दोपहर में विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) राजेंद्र कुमार शर्मा ने प्रकरण में सुनवाई करते हुए झा को जेल भेजने के आदेश दे दिए थे. उनके वकील द्वारा लगाई गई जमानत याचिका पर बुधवार को सुनवाई होना थी. इस दौरान सुबह फरियादी हॉस्टल अधीक्षिका और पीड़ित बच्चियों ने न्यायालय में पेश होकर जमानत याचिका पर आपत्ति दर्ज कराई. अभियोजन की ओर से भी यह कहते हुए जमानत खारिज करने का निवेदन किया गया कि एक जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी द्वारा किया गया कृत्य क्षमा करने योग्य नहीं है. इससे समाज में गलत संदेश जाएगा.
आरोपों को बताया निराधार: उधर, झा के वकील दिनेश सक्सेना ने दलील दी कि जो आरोप लगाए गए हैं. वे पूरी तरह से निराधार है. मेरे पक्षकार को षड़यंत्रपूर्वक केस में फंसाया गया है. उन्होंने इस संबंध में हॉस्टल निरीक्षण के दौरान झा के साथ मौजूद रहे तीन कर्मचारियों के शपथ पत्र प्रस्तुत किए. जिसमें तीनों कर्मचारियों ने बताया कि एसडीएम सुनील कुमार झा ने तीन हॉस्टल का निरीक्षण किया था. इस दौरान वे उनके साथ थे और जो आरोप लगाए गए, कहीं भी उस तरह की कोई घटना नहीं हुई. उनके द्वारा सभी जगह हमारी उपस्थिति में ही निरीक्षण किया गया. इन शपथ पत्र को संज्ञान में लेते हुए विशेष न्यायालय ने जमानत मंजूर कर दी. सुनील झा की पत्नी का आवेदन भी पेश किया.
पत्नी बोली-पति को झूठे आरोप में फंसाया: एसडीएम झा के वकील दिनेश सक्सेना ने उनकी पत्नी द्वारा एसपी को दिए गए आवेदन को भी न्यायालय में पेश किया. इस आवेदन में बताया गया कि "मेरे पति के खिलाफ जो शिकायत की गई है, वह झूठी है. मेरे पति वर्ष 1992 में शासकीय सेवा में है और उन पर आज तक चरित्र संबंधी कोई आरोप नहीं लगा है. मेरे पति ने 9 जुलाई को होस्टल का निरीक्षण किया था और हॉस्टल अधीक्षिका द्वारा की गई अनियमितता के संबंध में उनके द्वारा कलेक्टर को प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था. जिसके चलते हॉस्टल अधीक्षिका ने उनके विरुद्ध षड्यंत्र रच कर असत्य आधार पर प्रकरण दर्ज करवा दिया. इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए."
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न्यायालय ने जमानत मंजूर कर ली है: प्रकरण में हमारे द्वारा जमानत याचिका खारिज करने के लिए निवेदन किया गया था. न्यायालय ने जमानत मंजूर कर ली. पूरे ऑर्डर का अध्ययन करने के बाद इसमें रीविजन दायर करेंगे. मंगलवार शाम को चार घंटे तक बच्चियों के बयान दर्ज किए गए. इस प्रकरण में मंगलवार शाम करीब चार बजे से रात 8 बजे तक धारा 164 में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी साक्षी मसीह ने पीड़ित बच्चियों के बयान दर्ज किए थे. वहीं बुधवार सुबह हॉस्टल अधीक्षिका के साथ सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग भी न्यायालय में प्रस्तुत हुई. एसडीएम पर आरोप लगने के बाद सहायक आयुक्त ने हॉस्टल का निरीक्षण किया था.