झाबुआ। झाबुआ डायोसिस को 3 साल 7 माह बाद नए बिशप मिल गए. डायोसिस के प्रशासनिक अधिकारी फादर पीटर खराड़ी को नया बिशप चुना गया है. वे यहां के चौथे और आदिवासी समुदाय से तीसरे बिशप होंगे. बिशप चुने जाने के पश्चात रविवार को झाबुआ पल्ली में प्रथम आगमन पर समाजजनों ने लोक संस्कृति के अनुरूप उनका स्वागत किया गया. गौरतलब है कि बिशप बसील भूरिया के 6 में 2021 को निधन के पश्चात से ही झाबुआ डायोसिस में बिशप का पद रिक्त था.
गांव कलदेला के निवासी नए बिशप : लंबी प्रक्रिया के बाद फादर पीटर खराड़ी को बिशप चुना गया. इससे स्थानीय कैथोलिक समुदाय में हर्ष व्याप्त है. उनके झाबुआ पहुंचने पर लोक संस्कृति के अनुरूप समाजजनों ने साफा बांधकर और पारंपरिक आदिवासी झूलड़ी पहनाकर स्वागत किया गया. इसके बाद मांदल की थाप पर जुलूस के रूप में नए बिशप चर्च पहुंचे. जहां मिस्सा बलिदान की प्रक्रिया की गई. झाबुआ के पल्ली पुरोहित फादर प्रताप बारिया ने बताया कैथोलिक डायसिस झाबुआ के नए बिशप 65 वर्षीय फादर पीटर खराड़ी मूल रूप से थांदला क्षेत्र के गांव कलदेला के निवासी हैं.
क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हैं : नए बिशप ने स्थानीय स्तर पर अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद वह अध्ययन के लिए अजमेर और नागपुर भी गए. सरल और विनम्र व्यवहार के बिशप फादर पीटर खराड़ी लंबे समय से विकार जनरल का कार्य करते हुए वर्तमान में कैथोलिक डायसिस झाबुआ के प्रशासक थे. स्थानीय निवासी होने के साथ वे यहां की आदिवासी संस्कृति, भाषा, रहन सहन सभी धर्मों के प्रति सम्मान के लिए अंचल में काफी लोकप्रिय हैं. उनके स्वागत कार्यक्रम में पल्ली परिषद के सचिव प्रकाश वसुनिया, सभी फ़ादर्स, सिस्टर्स, माता मारिया समिति, युवा संघ, कर्मचारियों एवम बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे.
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कब कौन बिशप रहे : कार्यक्रम को सफल बनाने में जेरोम वाख़ला, रीता गणावा, राहिंग डामोर, सुधीर मण्डोरिया, वरुण मकवाना, सोनू हटीला, ज्योत्सना सिगाड़िया, पीआरओ वैभव खराड़ी आदि की अहम भूमिका रही. बता दें कि वर्ष 2002 में बिशप डॉ. टीजे चाको झाबुआ डायोसिस के पहले बिशप बने थे. उनके बाद वर्ष 2009 में डॉ. देवप्रसाद गणावा को बिशप नियुक्त किया गया. वहीं 18 जुलाई 2015 को बसील भूरिया को बिशप नियुक्त किया गया था.