झाबुआ। चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों द्वारा चुनाव प्रचार पर खर्च की गई रकम का पूरा हिसाब किताब रखने को कहा है. मतदान से दो दिन पहले यानी 15 नवंबर तक जिले की तीनों विधानसभा सीटों में प्रत्याशियों ने जो राशि खर्च की उसका पूरा ब्योरा आ गया है. अंतिम रिपोर्ट मतगणना के 30 दिन के भीतर प्रस्तुत करना होगी. बता दें कि 9 अक्टूबर को आचार संहिता लगने से लेकर चुनाव प्रचार का शोर थमने तक कुल 38 दिनों में झाबुआ जिले की तीनों विधानसभा सीटों में 25 प्रत्याशियों ने अपने प्रचार पर 1 करोड़ 8 लाख 88 हजार 221 रुपए खर्च कर दिए. इसमें भी कांग्रेस प्रत्याशी आगे रहे.
पीएम की रैली का खर्च जुड़ना बाकी : भाजपा द्वारा 14 नवंबर को झाबुआ के गोपालपुरा हवाई पट्टी पर हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा का हिसाब जुड़ना बाकी है. इस सभा में झाबुआ जिले की तीनों विधानसभा सीट के साथ जोबट और सरदारपुर विधानसभा सीट के भाजपा प्रत्याशी शामिल हुए थे. चूंकि प्रदेश भाजपा ने अभी खर्च का विभाजन नहीं किया है, इसलिए इसकी चुनाव प्रचार के खाते में इसकी एंट्री होना बाकी है. हालांकि बीजेपी कांग्रेस की तुलन में अन्य दलों का खर्चा देखें तो इसमें कई निर्दलीय भी कम नहीं हैं.
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40 लाख रुपए खर्च सीमा तय : चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार में अधिकतम 40 लाख रुपए खर्च करने की सीमा तय कर रखी है. इसके लिए अलग-अलग प्रचार सामग्री से लेकर खाने पीने तक की वस्तुओं की दर भी पहले से ही तय कर दी थीं, ताकि हिसाब किताब में किसी तरह की कोई गड़बड़ी न हो. प्रत्याशियों का ज्यादातर खर्च चुनाव कार्यालय, कार्यकर्ताओं के लिए वाहन व्यवस्था, चाय-नाश्ता और चुनावी सभा पर हुआ है. झाबुआ विधानसभा में कुल 8 प्रत्याशी मैदान में थे. प्रत्याशियों द्वारा जो ब्योरा दिया गया है उसके मुताबिक चुनाव प्रचार में सबसे ज्यादा 10 लाख 93 हजार 493 रुपए कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. विक्रांत भूरिया ने खर्च किए. भाजपा उम्मीदवार भानू भूरिया 10 लाख 35 हजार 612 रुपए के खर्च के साथ दूसरे नंबर पर हैं.