झाबुआ। कैंसर रोगियों को उपचार के लिए अब बाहर नहीं जाना होगा. बड़े अस्पतालों में इलाज पर होने वाले भारी भरकम खर्च से भी उन्हें मुक्ति मिल जाएगी. अब झाबुआ के जिला अस्पताल में ही कैंसर पीड़ितों की जांच से लेकर उपचार तक की सारी सुविधाएं मुफ्त मुहैया करवाई जाएगी. इसी महीने से कीमोथेरेपी की शुरुआत भी हो गई है. यहीं नहीं, एक कैंसर पीड़ित की सफल सर्जरी भी यहां की जा चुकी है. पश्चिमी मप्र के आदिवासी अंचल झाबुआ के लिए इसे स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बड़ा कदम बताया जा रहा है.
जिला अस्पताल में कैंसर के मुफ्त इलाज की सुविधा: दरअसल अब तक झाबुआ जिले में कैंसर की जांच और उपचार की कोई व्यवस्था नहीं थी. लक्षण नजर आने पर मरीज को या तो इंदौर जाना पड़ता या फिर सीमावर्ती गुजरात राज्य के बड़ौदा व अहमदाबाद का रुख करना पड़ता था. चूंकि निजी अस्पतालों में कैंसर के उपचार का खर्च ही लाखों में होता है. ऐसे में गरीब परिवारों के लिए इतना आर्थिक बोझ उठा पाना संभव ही नहीं है. जबकि मध्यमवर्गीय परिवारों की सारी जमा पूंजी इलाज में ही खर्च हो जाती है. ऐसे में अब जिला अस्पताल में कैंसर के मुफ्त इलाज की सुविधा मिलने से कैंसर रोगियों को एक बड़ा सहारा मिल जाएगा.
15 मरीजों का किया पंजीयन: फिलहाल जिला अस्पताल में उपचार के लिए 15 मरीजों का पंजीयन किया गया है. अब आवश्यकता के अनुसार उनकी कीमोथेरेपी की जाएगी. कैंसर रोगियों के लिए दो बेड आरक्षित किए गए हैं. इसके अलावा पुराने आईसीयू को जल्द ही एक 6 बेड वाले कैंसर वार्ड में तब्दील करने की तैयारी की जा रही है. नोडल अधिकारी डॉ देवेंद्र भायल ने बताया कीमोथेरेपी के लिए नर्सिंग ऑफिसर इंचार्ज विजय लक्ष्मी तालोदिया को नियुक्त किया गया है. उनके सहयोगी के रूप में लक्ष्मी डावर, रानी राठौर, नविता राजपूत और पूनम राठौर सेवाएं देंगी.
निजी अस्पताल में एक कीमोथेरेपी का खर्च 30 से 50 हजार: जिला कैंसर नोडल अधिकारी डॉ. देवेंद्र भायल के अनुसार निजी अस्पतालों में एक बार की कीमोथेरेपी के लिए 30 से 50 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं. एक मरीज को 7 कीमोथेरेपी देनी होती हैं. इस लिहाज से खर्च का आंकलन किया जा सकता है. जिला अस्पताल में कीमोथेरेपी पूरी तरह से निःशुल्क है. छह महीने से तैयारी कर रहे थे. जिला कैंसर नोडल अधिकारी डॉ देवेंद्र भायल ने बताया कि जिला अस्पताल में अब कैंसर का निःशुल्क इलाज उपलब्ध है. इसके लिए हम पिछले 6 महीने से तैयारी कर रहे थे. इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा हमारी दिल्ली में विशेष ट्रेनिग करवाई गई. इसके अलावा उज्जैन में भी ट्रेनिंग हुई. इसके बाद अब झाबुआ में कैंसर केयर प्रोग्राम की शुरुआत की. इसी महीने जिला अस्पताल को कीमोथेरेपी की 6 तरह की दवाईयां भी मिल गई है. तीन कैंसर रोगियों को कीमोथेरेपी देना शुरू भी कर दिया गया है. 21 दिन के अंतराल में कीमोथेरेपी देनी होती है. एक कैंसर पीड़ित की सर्जरी भी की जा चुकी है. सामान्य सर्जरी अब यहीं होगी.
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ये हैं वो तीन मरीज, जिनका झाबुआ में किया गया उपचारः
- झाबुआ के दिलीप गेट के निवासी मेहताब पुत्र भेरू सिंह वास्केल उम्र 50 साल के बाएं पैर में लंबे समय से घाव हो रहा था. इस वजह से उसे चलने में परेशानी आ रही थी. दर्द और सूजन की समस्या थी. सिविल सर्जन डॉ. बीएस बघेल और जनरल सर्जन डॉक्टर देवेंद्र भायल ने उसकी जांच की. घाव में कैंसर जैसे लक्षण पाए जाने पर एक टिशू लेकर उसे जांच के लिए इंदौर भेजा गया, जहां उसकी कैंसर की पुष्टि हुई. वहीं, कैंसर की जानकारी मिलने पर मेहताब के साथ उसके परिजन घबरा गए. कैंसर के नोडल अधिकारी डॉ. देवेंद्र भायल ने मरीज और उसके परिजन दोनों से बात की और समझाइश दी कि कैंसर का इलाज अब संभव है. इसके बाद मेहताब का उपचार शुरू किया गया. डॉ देवेंद्र भायल के साथ डॉक्टर वीएस निनामा, डॉ. राजीव शर्मा और डॉ. सावन चौहान की टीम ने मेहताब के बाएं पैर का ऑपरेशन कर उसे घुटने के नीचे से काट दिया. अब उसकी कीमोथेरेपी की जा रही है.
- उमरी निवासी हीरा पुत्र नरसिंह भूरिया को मुंह का कैंसर है. आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं है कि बड़े अस्पताल में उपचार करवा सकें. अब जिला अस्पताल में ही उसका उपचार किया जा रहा है. हीरा की एक कीमोथेरेपी भी हो चुकी है.
- झाबुआ के 45 वर्षीय जीतू पुत्र गजेंद्र ठाकुर को गले का कैंसर है. उसका उपचार भी जिला अस्पताल में चल रहा है. जीतू की एक कीमोथेरेपी हो चुकी है.