झाबुआ। टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर बगावत पर उतर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव जेवियर मेड़ा ने बुधवार दोपहर में अपना नामांकन वापस ले लिया. बताया जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला से हुई चर्चा के बाद जेवियर ने ये कदम उठाया है. इसके साथ ही कांग्रेस एक बड़े संकट से उबर गई है. जेवियर मेड़ा ने कहा कि ''मैंने न तो किसी पार्टी की सदस्यता ली थी और न ही कांग्रेस से त्याग पत्र दिया था.''
गौरतलब है कि कांग्रेस के टिकट घोषित होने के बाद जेवियर मेड़ा ने ये एलान कर दिया था कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. गत 26 अक्टूबर को उन्होंने आम आदमी पार्टी के बैनर तले शहर में रैली निकालकर शक्ति प्रदर्शन भी किया था. हालांकि बाद में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ही उनका नामांकन स्वीकृत हुआ था. इस बीच कांग्रेस के बड़े नेता लगातार जेवियर से बात कर उन्हें मनाने में लगे थे. पार्टी सूत्रों के अनुसार, कमलनाथ ने जेवियर को भोपाल बुलाया था. जहां रणदीप सुरजेवाला की मौजूदगी में चर्चा हुई और जेवियर ने नामांकन वापस लेने का मन बना लिया. मंगलवार रात जेवियर भोपाल से झाबुआ पहुंचे और बुधवार दोपहर करीब पौने तीन बजे रिटर्निग अधिकारी एवं एसडीएम एचएस विश्वकर्मा के सामने प्रस्तुत होकर नामांकन वापस ले लिया.
मैंने कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया था: नामांकन वापसी के बाद जेवियर मेड़ा ने कहा, मैंने चुनाव लड़ने के लिए फार्म भरा था लेकिन जिस पार्टी से नामांकन भरा उसमें बहुत गुटबाजी थी. पार्टी में टूट फूट की वजह से बी फॉर्म जमा नहीं कर पाए. अभी दिवाली का समय है और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव चिन्ह मिलने के बाद उसे प्रिंट करवाने में समय लगेगा. ऐसे में इतने कम दिनों में सभी क्षेत्रों और गांवों में मतदाताओं के पास अपना चुनाव चिन्ह पहुंचाना संभव नहीं था. इसे दृष्टिगत रखते हुए मैंने नाम निर्देशन पत्र वापस ले लिया.'' जेवियर ने ये भी कहा कि ''मैंने किसी पार्टी की सदस्यता नहीं ली थी और न ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था. अब ये कांग्रेस पार्टी पर है कि वो मेरा क्या और किस तरह से उपयोग करे. कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं ने जरूर मुझ से चर्चा की थी और बुलाया भी था. मैं उनसे मिला भी हूं परंतु निर्णय मैंने स्वयं लिया है.''
जेवियर कांग्रेस से बाहर गए ही नहीं थे: प्रदेश कांग्रेस के महासचिव निर्मल मेहता ने कहा ''न तो जेवियर बाहर गए थे और न ही इनकी वापसी हुई है. ये हमारे ही थे और हमारे ही पास हैं. इनकी विचारधारा कांग्रेस की विचारधारा से ही मेल खाती है. जेवियर जन्म से कांग्रेस में रहे और कांग्रेस का काम किया, कांग्रेस से विधायक रहे हैं. टिकट को लेकर कई बार ऐसी बात हो जाती है लेकिन ये हमारा पारिवारिक मामला था जो सुलझ गया है. हमने इन्हें भी कहा था कि जन्मजात कांग्रेसी हैं तो क्यों कांग्रेस छोड़कर जाना. टिकट वितरण का निर्णय हाई कमान का था. ये कांग्रेस के वफादार साथी हैं. इन्होंने सही समय पर सही निर्णय लेते हुए नाम वापसी की है. निश्चित तौर पर पार्टी चुनाव में इनका पूरा उपयोग लेगी.