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चार सालों से बंद चौपट है रेलवे कैंटीन, परेशान हो रहे यात्री - यात्री

झाबुआ में करोड़ों का राजस्व देने के बावजूद स्टेशनों की हालत खराब हो चुकी है. न तो खाने की सुविधा है न ही पीने के लिए पानी की.

मेघनगर रेलवे स्टेशन
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Published : Feb 11, 2019, 11:00 PM IST

झाबुआ। दिल्ली-मुंबई मेन रेल लाइन के अंतर्गत आने वाले मेघनगर में पिछले 4 सालों से रेलवे का आहार केंद्र बंद पड़ा है. कैंटीन बंद रहने से रेल यात्रियों को खाने-पीने की वस्तुओं के लिए स्टेशन के बाहर भटकना पड़ता है. कई बार तो यात्रियों को भूखे-प्यासे रहकर ही यात्रा करनी पड़ती है.

मेघनगर रेलवे स्टेशन
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इस जिले से रेलवे को यात्री और गुड्स वैगन पॉइंट से करोड़ों का राजस्व मिलता है, बावजूद इसके यहां के स्टेशनों पर सुविधा बढ़ाना तो दूर जो तय मापदंडों के अनुसार सुविधा है, उसे संचालित करने में भी वर्षों से लापरवाही बरती जा रही है. मेघनगर और बामनिया रेलवे स्टेशन पर वर्षों से खानपान के लिए स्वीकृत कैंटीन बंद हैं. विभागीय अधिकारियों से कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.

स्थानीय लोगों ने रेलवे के जीएम और डीआरएम से उनके दौरों के समय चर्चा की थी, लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. झाबुआ जिले के मेघनगर रेलवे स्टेशन पर दिल्ली-मुंबई, जयपुर-उदयपुर, अहमदाबाद-गुजरात और गोधरा वाया आनंद विहार तक रेलवे का संपर्क है, जिसके चलते बड़ी संख्या में झाबुआ-धार-बड़वानी के यात्री भी इस स्टेशन से अपनी यात्राएं शुरू करते हैं.

झाबुआ। दिल्ली-मुंबई मेन रेल लाइन के अंतर्गत आने वाले मेघनगर में पिछले 4 सालों से रेलवे का आहार केंद्र बंद पड़ा है. कैंटीन बंद रहने से रेल यात्रियों को खाने-पीने की वस्तुओं के लिए स्टेशन के बाहर भटकना पड़ता है. कई बार तो यात्रियों को भूखे-प्यासे रहकर ही यात्रा करनी पड़ती है.

मेघनगर रेलवे स्टेशन
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इस जिले से रेलवे को यात्री और गुड्स वैगन पॉइंट से करोड़ों का राजस्व मिलता है, बावजूद इसके यहां के स्टेशनों पर सुविधा बढ़ाना तो दूर जो तय मापदंडों के अनुसार सुविधा है, उसे संचालित करने में भी वर्षों से लापरवाही बरती जा रही है. मेघनगर और बामनिया रेलवे स्टेशन पर वर्षों से खानपान के लिए स्वीकृत कैंटीन बंद हैं. विभागीय अधिकारियों से कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.

स्थानीय लोगों ने रेलवे के जीएम और डीआरएम से उनके दौरों के समय चर्चा की थी, लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. झाबुआ जिले के मेघनगर रेलवे स्टेशन पर दिल्ली-मुंबई, जयपुर-उदयपुर, अहमदाबाद-गुजरात और गोधरा वाया आनंद विहार तक रेलवे का संपर्क है, जिसके चलते बड़ी संख्या में झाबुआ-धार-बड़वानी के यात्री भी इस स्टेशन से अपनी यात्राएं शुरू करते हैं.

Intro:झाबुआ : पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल के अंतर्गत झाबुआ जिले के रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं में कमी से रेल यात्री परेशान है। जिले से होकर दिल्ली मुंबई मेन रेल लाइन के अंतर्गत आने वाले जिले के मेघनगर में पिछले 4 सालों से रेलवे का आहार केंद्र केंटीन बंद पड़ा है, जिसके रेल यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। केंटीन बन्द रहने से रेल यात्रियों को खाने-पीने की वस्तुओं के स्टेशन के बाहर भटकना पड़ता है । कई बार तो यात्रियों को भूखे प्यासे रेल यात्रा करनी पड़ती है ।


Body:झाबुआ जिले से रेलवे मंत्रालय को रेल यात्री और गुड्स वैगन रेक पॉइंट से करोड़ों का राजस्व मिलता है ,बावजूद रेलवे यहां के स्टेशनों पर सुविधा बढ़ाना तो दूर जो सुविधा तय मापदंडों के अनुसार है है उसे संचालित करने में भी वर्षों से लापरवाह बना हुआ है । जिले के मेघनगर और बामनिया रेलवे स्टेशन पर वर्षों से खानपान के लिए स्वीकृत रेलवे कैंटीन बंद है मगर विभागीय अधिकारी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। मेघनगर थांदला रोड और बामनिया झाबुआ जिले के प्रमुख रेलवे स्टेशन है ,जहां से प्रतिदिन हजारों की संख्या में रेल यात्री देश के विभिन्न स्टेशनों के लिए यात्रा करते हैं ।


Conclusion:झाबुआ जिले के मेघनगर रेलवे स्टेशन पर प्रमुख यात्री रेल गाड़ियों का ठहराव होता है ।यहां से दिल्ली -मुंबई ,राजस्थान के जयपुर- उदयपुर ,अहमदाबाद गुजरात और गोधरा व्हाया आनंद तक रेल संपर्क है, जिसके चलते बड़ी संख्या में झाबुआ जिले के साथ-साथ धार और बड़वानी के यात्री भी इस स्टेशन से अपनी यात्राएं शुरू करते हैं। पिछले 4 सालों से बंद रेलवे कैंटीन को खोलने में विभागीय लापरवाही न सिर्फ सामने आई है बल्कि इसमें रेलवे के नियमों को भी पोल खोली है। इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों ने रेलवे के जीएम और डीआरएम से उनके दोरो के समय चर्चा की थी मगर उन्हें केवल आश्वासन ही मिले हैं। रेल गाड़ियों के निरस्त होने ,लेट होने पर यात्रियों को कई कई घंटे स्टेशन पर इंतजार करना पड़ता है ऐसे में यदि खाने-पीने के लिये बनाये कैंटीन ही बंद हो तो रेल यात्री अपनी समस्या किसे बताये ।
बाइट : शेलेन्द्र नीमा , स्थानीय
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