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झाबुआ में खस्ताहाल स्वास्थ्य सेवायें, स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पतालों में नहीं हैं विशेषज्ञ डॉक्टर - mp news

झाबुआ में स्वास्थ्य सेवायें खस्ताहाल में हैं. स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में विशेषज्ञों डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को सीमावर्ती राज्य गुजरात जाकर इलाज कराना पड़ता है. जिला अस्पताल में सीटी स्कैन MRI जैसी जांचों के लिए मशीन नहीं है.

जिला अस्पताल झाबुआ
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Published : Jun 23, 2019, 6:35 AM IST

झाबुआ। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में विशेषज्ञों डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को सीमावर्ती राज्य गुजरात जाकर इलाज कराना पड़ता है. दरअसल जिले में प्रथम श्रेणी के डॉक्टरों के 84 पद हैं, जबकि 13 डॉक्टर ही फिलहाल कार्यरत हैं. द्वितीय श्रेणी मेडिकल ऑफिसर के 79 पदों में से 58 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं. जिला अस्पताल में सीटी स्कैन MRI जैसी जांचों के लिए मशीन नहीं है, इन कारणों से मरीजों को अन्य राज्यों या बड़े शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है.

झाबुआ में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई

⦁ झाबुआ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में विशेषज्ञों डॉक्टर की कमी.

⦁ जिले में प्रथम श्रेणी के 84 डॉक्टरों के पद खाली हैं, जबकि 13 डॉक्टर ही फिलहाल कार्यरत हैं.

⦁ द्वितीय श्रेणी मेडिकल ऑफिसर के 79 पदों में से 58 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं.

⦁ जिला अस्पताल में सीटी स्कैन MRI जैसी जांचों के लिए मशीन नहीं है.

⦁ मरीजों को अन्य राज्यों या बड़े शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है.

⦁ यहां के विधायकों ने कभी इन मुद्दों को विधानसभा या सरकार के सामने नहीं उठाया.

झाबुआ। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में विशेषज्ञों डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों को सीमावर्ती राज्य गुजरात जाकर इलाज कराना पड़ता है. दरअसल जिले में प्रथम श्रेणी के डॉक्टरों के 84 पद हैं, जबकि 13 डॉक्टर ही फिलहाल कार्यरत हैं. द्वितीय श्रेणी मेडिकल ऑफिसर के 79 पदों में से 58 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं. जिला अस्पताल में सीटी स्कैन MRI जैसी जांचों के लिए मशीन नहीं है, इन कारणों से मरीजों को अन्य राज्यों या बड़े शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है.

झाबुआ में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई

⦁ झाबुआ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में विशेषज्ञों डॉक्टर की कमी.

⦁ जिले में प्रथम श्रेणी के 84 डॉक्टरों के पद खाली हैं, जबकि 13 डॉक्टर ही फिलहाल कार्यरत हैं.

⦁ द्वितीय श्रेणी मेडिकल ऑफिसर के 79 पदों में से 58 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं.

⦁ जिला अस्पताल में सीटी स्कैन MRI जैसी जांचों के लिए मशीन नहीं है.

⦁ मरीजों को अन्य राज्यों या बड़े शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है.

⦁ यहां के विधायकों ने कभी इन मुद्दों को विधानसभा या सरकार के सामने नहीं उठाया.

Intro:झाबुआ : सरकार को जिन कामों को प्राथमिकता से करना चाहिए उसमें स्वास्थ्य सबसे प्रमुख है। आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के हाल अच्छे नहीं है, यहां सरकारी अस्पतालों के भवन तो बने हैं मगर इन भवनों में मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर नहीं है । प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की कमी के चलते वहां ताले लगे रहते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में विशेषज्ञों डॉक्टर की कमी है । सरकार जिले में स्वीकृत डॉक्टरों के पद भी वर्षों से नहीं भर पा रही जिसके चलते यहां के मरीज़ों को सीमावर्ती राज्य गुजरात जाकर इलाज कराना पड़ रहा पड़ता है ।


Body:बीते 10 सालों से झाबुआ के हालात स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में ओर खराब हुए । जिले में प्रथम श्रेणी के 84 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं ,जबकि मौजूदा समय में केवल 13 डॉक्टर ही कार्य कर रहे हैं । द्वितीय श्रेणी के मेडिकल ऑफिसर के 79 पदों में से 58 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं ,जिले में मेडिकल ऑफिसर के 21 डॉक्टरों के पद खाली है । डॉक्टरों की कमी का सबसे बड़ा खामियाजा यहां के आदिवासी गरीब मरीज़ों को उठाना पड़ता है । सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञों के ना होने के कारण यहां के लोगों को निजी अस्पतालों में जाकर अपना इलाज कराना पड़ता है जिससे उन्हें आर्थिक हानि भी झेलना पड़ती है ।


Conclusion:स्वास्थ्य सुविधा ना होने के कारण यहां के मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । जिला अस्पताल को छोड़कर जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में सोनोग्राफी की मशीन तक नहीं है जबकि जिले में हर महीने 12 सौ से अधिक महिलाओं की प्रस्तुति कराई जाती है। जिला अस्पताल में सीटी स्कैन m.r.i. जैसी जांच के लिए मशीन नही है जिस कारण मरीज़ों को अन्य राज्यों या बड़े शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है । जिले के विधायकों ने कभी भी ऐसे जन हितेषी मुद्दों को न तो विधानसभा और ना ही सरकार के सामने उठाया । कमलनाथ सरकार को झाबुआ की स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है जिससे यहां के लोगों को ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य लाभ मिल सके ।
बाइट : बीएस बारिया सीएचएमओ झाबुआ
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