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यहां हैंडपंप तो हैं भरपूर, फिर भी बिन पानी सब सून

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Published : Jun 1, 2020, 6:09 PM IST

Updated : Jun 1, 2020, 9:24 PM IST

झाबुआ जिले की बड़ी आबादी इन दिनों पीने के पानी के लिए जद्दोजहद कर रही है. ग्रामीण अंचलों में लोग पेयजल के लिए कई घंटों हैंडपंपों के आगे इंतजार कर रहे हैं. वहीं इस गर्मी में हैंडपंप से पानी की बजाय हवा निकल रही है.

drinking water crisis in jhabua district
ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या

झाबुआ। एक तरफ कोरोना वायरस से पूरा देश परेशान है. तो वही भीषण गर्मी के कारण आम जनता का हाल बेहाल हो रखा है. गर्मी अपने पूरे उफान पर है, इस मौसम में आप जितना पानी पीएं, उतना कम लगता है, लेकिन झाबुआ जिले की बड़ी आबादी इन दिनों पीने के पानी के लिए जद्दोजहद कर रही है. ग्रामीण अंचलों में लोग पेयजल के लिए कई-कई घंटे हैंडपंपों के आगे इंतजार कर रहे हैं. वहीं इस तपन में कई हैंडपंपों से पानी की बजाय हवा निकलना शुरू हो गया है, ऐसे में अंचल में महिलाएं कड़ी धूप में सिर पर मटके रखकर पानी का जुगाड़ कर रही हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या

ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी के लिए कोई हैंडपंप तो कोई कुएं के आगे लाइन लगा रहा है. लोग साइकिल, बैलगाड़ी गाड़ी ,रिक्शा और मोटरसाइकिल के सहारे पीने का पानी लाने को मजबूर हैं. 11 लाख से अधिक की आबादी वाले झाबुआ जिले में 80 फीसदी से ज्यादा लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं और यहां पर जल आपूर्ति का मुख्य स्त्रोत हैंडपंप को माना जाता है. गर्मी में एक ओर लोगों को पेयजल दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो दूसरी ओर मवेशियों के लिए भी पानी की परेशानी खड़ी हो गई है.

जिले में 14300 हैंडपंप
जिले में 14300 हैंडपंप हैं, विभागीय आंकड़ों के अनुसार 13100 हैंडपंप चालू बताए जा रहे हैं. पीएचई विभाग के कागजों में 144 नल जल योजना हैं, जल संकट के चलते 2 दर्जन से ज्यादा नल जल योजनाएं बंद हैं. 1 दर्जन से ज्यादा नल जल योजना मंद गति से चल रही हैं.

हैंडपंपों में पानी का कोई ठिकाना नहीं

आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के ग्रामीण इलाकों में ना तो नल जल योजना पहुंची हैं और ना ही पेयजल के लिए खोदे गए हैंडपंपों में पानी का कोई ठिकाना दिखाई दे रहा है, जिले में डेढ़ हजार से ज्यादा हैंडपंप ऑन रिकॉर्ड बंद हैं, जबकि हकीकत में यह आंकड़ा 4 हजार से ज्यादा है. पेटलावद विकासखंड के लगभग सभी गांवों में पानी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं कुंदनपुर, पिटोल , राणापुर, खवासा, मेघनगर सहित आसपास के दर्जनों कस्बों का भी यही हाल है.

10 दिनों में मिलता है पीने का पानी

ग्रामीण इलाकों में पेयजल आपूर्ति की जिम्मेदारी पीएचई विभाग की है. जबकि शहरी इलाकों में नगरीय निकाय पेयजल आपूर्ति करती है. मई के अंतिम दिनों और जून के शुरूआती दिनों में जल संकट का विकराल रूप ग्रामीण अंचल में हर साल देखने को मिलता है, लेकिन जनप्रतिनिधि और प्रशासन हर साल ऐसे ही देखते रहते हैं और ग्रामीण परेशान होते रहते हैं. जिले में नल जल योजना के सही ढंग से क्रियान्वयन ना होने के चलते लोगों को 10-10 दिनों में पीने का पानी नलों से नसीब हो रहा है.

झाबुआ। एक तरफ कोरोना वायरस से पूरा देश परेशान है. तो वही भीषण गर्मी के कारण आम जनता का हाल बेहाल हो रखा है. गर्मी अपने पूरे उफान पर है, इस मौसम में आप जितना पानी पीएं, उतना कम लगता है, लेकिन झाबुआ जिले की बड़ी आबादी इन दिनों पीने के पानी के लिए जद्दोजहद कर रही है. ग्रामीण अंचलों में लोग पेयजल के लिए कई-कई घंटे हैंडपंपों के आगे इंतजार कर रहे हैं. वहीं इस तपन में कई हैंडपंपों से पानी की बजाय हवा निकलना शुरू हो गया है, ऐसे में अंचल में महिलाएं कड़ी धूप में सिर पर मटके रखकर पानी का जुगाड़ कर रही हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या

ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी के लिए कोई हैंडपंप तो कोई कुएं के आगे लाइन लगा रहा है. लोग साइकिल, बैलगाड़ी गाड़ी ,रिक्शा और मोटरसाइकिल के सहारे पीने का पानी लाने को मजबूर हैं. 11 लाख से अधिक की आबादी वाले झाबुआ जिले में 80 फीसदी से ज्यादा लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं और यहां पर जल आपूर्ति का मुख्य स्त्रोत हैंडपंप को माना जाता है. गर्मी में एक ओर लोगों को पेयजल दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो दूसरी ओर मवेशियों के लिए भी पानी की परेशानी खड़ी हो गई है.

जिले में 14300 हैंडपंप
जिले में 14300 हैंडपंप हैं, विभागीय आंकड़ों के अनुसार 13100 हैंडपंप चालू बताए जा रहे हैं. पीएचई विभाग के कागजों में 144 नल जल योजना हैं, जल संकट के चलते 2 दर्जन से ज्यादा नल जल योजनाएं बंद हैं. 1 दर्जन से ज्यादा नल जल योजना मंद गति से चल रही हैं.

हैंडपंपों में पानी का कोई ठिकाना नहीं

आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के ग्रामीण इलाकों में ना तो नल जल योजना पहुंची हैं और ना ही पेयजल के लिए खोदे गए हैंडपंपों में पानी का कोई ठिकाना दिखाई दे रहा है, जिले में डेढ़ हजार से ज्यादा हैंडपंप ऑन रिकॉर्ड बंद हैं, जबकि हकीकत में यह आंकड़ा 4 हजार से ज्यादा है. पेटलावद विकासखंड के लगभग सभी गांवों में पानी के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं कुंदनपुर, पिटोल , राणापुर, खवासा, मेघनगर सहित आसपास के दर्जनों कस्बों का भी यही हाल है.

10 दिनों में मिलता है पीने का पानी

ग्रामीण इलाकों में पेयजल आपूर्ति की जिम्मेदारी पीएचई विभाग की है. जबकि शहरी इलाकों में नगरीय निकाय पेयजल आपूर्ति करती है. मई के अंतिम दिनों और जून के शुरूआती दिनों में जल संकट का विकराल रूप ग्रामीण अंचल में हर साल देखने को मिलता है, लेकिन जनप्रतिनिधि और प्रशासन हर साल ऐसे ही देखते रहते हैं और ग्रामीण परेशान होते रहते हैं. जिले में नल जल योजना के सही ढंग से क्रियान्वयन ना होने के चलते लोगों को 10-10 दिनों में पीने का पानी नलों से नसीब हो रहा है.

Last Updated : Jun 1, 2020, 9:24 PM IST
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