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कोरोना से मौत : कोरोना ने ली 8 साल के मासूम की जान

झाबुआ के 8 साल के मासूम की कोरोना संक्रमण के चलते इंदौर में मौत हो गई, बच्चे को झाबुआ में डेंगू बताया था लेकिन हालत ठीक नहीं होने के चलते उसे इंदौर के टी चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया था. 25 मार्च को कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आई और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई.

Death from Corona: Corona killed 8-year-old innocent
कोरोना से मौत : कोरोना ने ली 8 साल के मासूम की जान
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Published : Mar 26, 2021, 10:34 PM IST

झाबुआ। झाबुआ में 8 साल के बच्चे की कोरोना से इंदौर में उपचार के दौरान मौत हो गई. झाबुआ में अब तक इस महामारी से 28 लोगों की जान जा चुकी है. जिले में अब तक कुल 2715 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, इधर जिले में इतनी कम उम्र के बच्चे की मौत का यह पहला मामला है.

  • झाबुआ में बताया था डेंगू का लक्षण

इंदौर के टी चोइथराम अस्पताल में गंभीर अवस्था के बाद बच्चे को भर्ती कराया गया था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका, मृतक बच्चे के परिजनों के अनुसार 18 मार्च को बच्चे की तबीयत खराब हुई, सबसे पहले बच्चे को उल्टी- दस्त की शिकायत हुई, जिस पर 20 मार्च को झाबुआ के निजी अस्पताल में भर्ती कर उसका उपचार किया गया, विभिन्न जाँच के बाद उसके खून में संक्रमण फैलने और प्लेटलेटस कम होने, लीवर में सूजन की जानकारी मिली, जिस पर डाक्टरों ने उसे डेंगू का लक्षण बताया था.

  • हालत बिगड़ने पर इंदौर किया रेफर

परिजनों के अनुसार झाबुआ में बच्चे की तबीयत में सुधार नहीं होने पर उपचार के लिए इंदौर ले जाया गया, इंदौर में भी उसे निजी अस्पताल में भर्ती करा कर उपचार कराया गया किंतु उसका बीपी लगातार गिरता जा रहा था और हार्ट सामान्य ढंग से नहीं धड़क रहा था, जिसके बाद उसका कोरोना टेस्ट कराया गया जिसमें टेस्ट पॉजिटिव आया, बच्चे के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद निजी अस्पताल वालों ने उसे कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के अस्पताल ले जाने की सलाह परिजनों को दी, इसके बाद उसे कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए अधिकृत अस्पताल में भर्ती कराने के लिए परिजन परेशान होते रहे.

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  • समय पर होती जांच तो नतीजा कुछ और होता

बच्चे की मौत के बाद झाबुआ से लेकर इंदौर के निजी अस्पतालों के उपचार पर सवालिया निशान उठने लगे हैं, परिजन 18 मार्च से बच्चे की तबीयत खराब होने पर उसका इलाज करा रहे थे लेकिन बच्चे की कोरोना की जांच 23 मार्च को की गई और उसकी पुष्टि भी उसी दिन शाम को हुई. दूसरे ही दिन 25 मार्च गुरुवार को उसकी मौत हो गई. यदि कोरोना जांच 18 मार्च को ही हो जाती तो शायद बच्चे के शरीर में इतना संक्रमण नहीं फैलता और डॉक्टरों को इलाज के लिए समय मिल जाता. इस मामले में कोरोना की जांच में देरी होना घातक सिद्ध हो गया.

  • सीएचएमओ ने की अपील

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जेपी एस ठाकुर ने कहा कि उन्हें बच्चे के दुखद निधन की जानकारी मिली, ठाकुर ने कहा कि बुखार आने पर किसी भी प्रकार की लापरवाही ना बरतें और कोरोना के लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराएं ताकि समय रहते इलाज किया जा सके, यदि लोग अपनी बीमारी को छुपायेंगे तो ऐसे में न सिर्फ खुद की जान जोखिम में डालेंगे ब्लकि अपने परिवार जनों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकते हैं.

झाबुआ। झाबुआ में 8 साल के बच्चे की कोरोना से इंदौर में उपचार के दौरान मौत हो गई. झाबुआ में अब तक इस महामारी से 28 लोगों की जान जा चुकी है. जिले में अब तक कुल 2715 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, इधर जिले में इतनी कम उम्र के बच्चे की मौत का यह पहला मामला है.

  • झाबुआ में बताया था डेंगू का लक्षण

इंदौर के टी चोइथराम अस्पताल में गंभीर अवस्था के बाद बच्चे को भर्ती कराया गया था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका, मृतक बच्चे के परिजनों के अनुसार 18 मार्च को बच्चे की तबीयत खराब हुई, सबसे पहले बच्चे को उल्टी- दस्त की शिकायत हुई, जिस पर 20 मार्च को झाबुआ के निजी अस्पताल में भर्ती कर उसका उपचार किया गया, विभिन्न जाँच के बाद उसके खून में संक्रमण फैलने और प्लेटलेटस कम होने, लीवर में सूजन की जानकारी मिली, जिस पर डाक्टरों ने उसे डेंगू का लक्षण बताया था.

  • हालत बिगड़ने पर इंदौर किया रेफर

परिजनों के अनुसार झाबुआ में बच्चे की तबीयत में सुधार नहीं होने पर उपचार के लिए इंदौर ले जाया गया, इंदौर में भी उसे निजी अस्पताल में भर्ती करा कर उपचार कराया गया किंतु उसका बीपी लगातार गिरता जा रहा था और हार्ट सामान्य ढंग से नहीं धड़क रहा था, जिसके बाद उसका कोरोना टेस्ट कराया गया जिसमें टेस्ट पॉजिटिव आया, बच्चे के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद निजी अस्पताल वालों ने उसे कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के अस्पताल ले जाने की सलाह परिजनों को दी, इसके बाद उसे कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए अधिकृत अस्पताल में भर्ती कराने के लिए परिजन परेशान होते रहे.

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बच्चे की मौत के बाद झाबुआ से लेकर इंदौर के निजी अस्पतालों के उपचार पर सवालिया निशान उठने लगे हैं, परिजन 18 मार्च से बच्चे की तबीयत खराब होने पर उसका इलाज करा रहे थे लेकिन बच्चे की कोरोना की जांच 23 मार्च को की गई और उसकी पुष्टि भी उसी दिन शाम को हुई. दूसरे ही दिन 25 मार्च गुरुवार को उसकी मौत हो गई. यदि कोरोना जांच 18 मार्च को ही हो जाती तो शायद बच्चे के शरीर में इतना संक्रमण नहीं फैलता और डॉक्टरों को इलाज के लिए समय मिल जाता. इस मामले में कोरोना की जांच में देरी होना घातक सिद्ध हो गया.

  • सीएचएमओ ने की अपील

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जेपी एस ठाकुर ने कहा कि उन्हें बच्चे के दुखद निधन की जानकारी मिली, ठाकुर ने कहा कि बुखार आने पर किसी भी प्रकार की लापरवाही ना बरतें और कोरोना के लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराएं ताकि समय रहते इलाज किया जा सके, यदि लोग अपनी बीमारी को छुपायेंगे तो ऐसे में न सिर्फ खुद की जान जोखिम में डालेंगे ब्लकि अपने परिवार जनों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकते हैं.

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