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सांप के काटने पर झाड़फूंक कराते रहे परिजन, चली गई मासूम की जान

जहरीले सांप के काटने से 5 साल के एक मासूम की जान चली गई. परिजन अस्पताल ले जाने की बजाए तांत्रिक के पास झाड़फूंक के लिये ले गए, जिससे उसकी मौत हो गयी.

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Published : Aug 14, 2019, 12:53 PM IST

जहरीले सांप के काटने से चली गई मासूम की जान

झाबुआ। जिले में सांप काटने से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. ताजा मामला मेघनगर के मोर डूंगरा से सामने आया, जहां 5 साल के बच्चे की सांप के काटने से मौत हो गई.

जहरीले सांप के काटने से चली गई मासूम की जान

आदिवासियों मे अशिक्षा और जागरूकता की कमी के चलते 5 साल के मासूम की मौत हो गई, परिजनों ने वक्त पर उसे अस्पताल पहुंचाने की बजाए तांत्रिक के पास ले गये, लेकिन तब तक जहर पूरे शरीर में फैल चुका था, जिसकी वजह से बच्चे कि मौत हो गयी, जिसके बाद परिजन शव को लेकर मेघनगर अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

ग्रामीण आज भी अपनी तमाम छोटी-बड़ी बीमारियों का उपचार तंत्र विद्या से करवाने पर विश्वास करते है. ऐसे लोगों को जिला प्रशासन जागरूक करने की बजाय शहरों में जन जागरूकता कार्यक्रम चलाता है, जिसका गांव के लोगों पर कोई असर नहीं पड़ता. सांप काटने जैसी घटनाओं में जहां तुरंत उपचार जरूरी होता है, लोग सबसे आखरी में आते हैं जिससे पीड़ित की मौत हो जाती है.

झाबुआ। जिले में सांप काटने से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. ताजा मामला मेघनगर के मोर डूंगरा से सामने आया, जहां 5 साल के बच्चे की सांप के काटने से मौत हो गई.

जहरीले सांप के काटने से चली गई मासूम की जान

आदिवासियों मे अशिक्षा और जागरूकता की कमी के चलते 5 साल के मासूम की मौत हो गई, परिजनों ने वक्त पर उसे अस्पताल पहुंचाने की बजाए तांत्रिक के पास ले गये, लेकिन तब तक जहर पूरे शरीर में फैल चुका था, जिसकी वजह से बच्चे कि मौत हो गयी, जिसके बाद परिजन शव को लेकर मेघनगर अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

ग्रामीण आज भी अपनी तमाम छोटी-बड़ी बीमारियों का उपचार तंत्र विद्या से करवाने पर विश्वास करते है. ऐसे लोगों को जिला प्रशासन जागरूक करने की बजाय शहरों में जन जागरूकता कार्यक्रम चलाता है, जिसका गांव के लोगों पर कोई असर नहीं पड़ता. सांप काटने जैसी घटनाओं में जहां तुरंत उपचार जरूरी होता है, लोग सबसे आखरी में आते हैं जिससे पीड़ित की मौत हो जाती है.

Intro:झाबुआ : जिले में सांप काटने से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है ,ताजा मामला मेघनगर के मोर डूंगरा में सामने आया यहां कल एक 5 साल के बच्चों को सांप ने काट लिया जिससे उसकी मौत हो गई । आदिवासी बहुल झाबुआ जिले के ग्रामीण अशिक्षा और जागरूकता की कमी के चलते जहरीले जानवर काटने पर तांत्रिक और बड़वो के चक्कर में पीड़ित को अस्पताल लाने की बजाए बड़वो ओर तांत्रिकों के पास जाते हैं।


Body:5 साल के मनीष को जब सांप ने काटा तो परिजन उसे मेघनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाने की बजाय पास के एक गांव आगरल ले गए जहां एक व्यक्ति (जसे आदिवाशी भाषा में बड़वा कहते है ) सांप के जहर निकालने का दावा करता है। बच्चे को मार ले जाने के बावजूद नहीं बचाया जा सका । परिजन आज उसके शव को लेकर मेघनगर अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया ।


Conclusion:ग्रामीण अंचलों में रह रही जिले की आधी से अधिक आबादी आज भी अंधविश्वास के जाल में फंसी हुई है । ग्रामीणजन आज भी अपनी तमाम छोटी-बड़ी बीमारियों का उपचार तंत्र विद्या ओर बढ़वाई से करवाने के फेर में फंसी हुई है। ऐसे लोगों को जागरूक करने की बजाय जिला प्रशासन शहरों में जन जागरूकता कार्यक्रम चलाता है जिसका गांव के लोगों पर कोई असर नहीं पड़ता । सांप काटने जैसी घटनाओं में जहां तुरंत चिकित्सीय उपचार जरूरी होता है वही लोग सबसे आखरी में आते हैं जिससे पीड़ित की मौत हो जाती है ।
बाइट : हुमजी मचार , मृतक बच्चे का पिता
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