झाबुआ। मेघनगर ओर राणापुर में जनजाति समुदाय का प्रमुख पर्व भगोरिया उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया. भगोरिया हाट बाजार में सम्मिलित होने के लिए आदिवासी समुदाय के युवक-युवतियां सज-धज कर हाट बाजार पहुंचे.
भगोरिया पर्व को लेकर इस समुदाय के हर वर्ग में उत्साह देखने को मिला. सबसे ज्यादा भीड़ दशहरा मैदान में लगे झुले-चकरियों और पान की दुकानों पर नजर आई.
ढोल-मांदल की थाप पर झूमे लोग
जनजाति समुदाय के इस पारंपरिक पर्व में ढोल-मांदल की खुब अहमियत रहती है. लिहाजा ग्रामीण अपने साथ ढोल, मांदल, मंजिरे, थाली लेकर पहुंचे. ताड़ी और देसी-विदेशी शराब के सुरुर में मदमंस्त होकर र्कुराटी के साथ पूरे हाट बाजार में मांदल की थाप पर नाचते लोगों की भीड़ इस पर्व में उल्लास घोलती नजर आई. सजे-धजे युवाओं की टोलियों ने हाट बाजार में जोश भर दिया. हर तरफ पर्व का जोश दिखाई दिया.
राजनीतिक दलों ने निकाली गैर
भगोरिया हाट बाजार में राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों ने अपने समर्थकों के साथ सहभागिता की. ग्रामीणजनों को आगामी होली पर्व की बधाई दी. कांग्रेस विधायक विर सिंह भूरिया ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर विधायक कार्यालय से मुख्य भगोरिया स्थल तक गैर निकाली. भगोरिया हाट में धर्म जागरण मंच और जय आदिवासी युवा संगठन के कार्यकर्ताओं ने भी रैली निकाली.
भगोरिया हाट मेले का आयोजन, पारम्परिक वेशभूषा में पहुंचे रहे हैं आदिवासी
हर दुकान पर रही भीड़
हाट बाजार में लगी अस्थाई दुकानों पर दोपहर से लेकर शाम तक भारी भीड़ लगी रही. गर्मी के चलते आईस्क्रीम पार्लर, ज्युस सेंटर, बर्फ के गोले की दुकानों पर ग्राहकी अच्छी रही. बाजार में बच्चों के लिए खिलौनें और पिचकारियों की दुकानें भी लगी रही.
टैटू बनवाने का क्रेज
आदिवासी समुदाय की सजी-धजी युवतियां हाथों पर टैटू बनाते दिखाई दी. टैटू को लेकर समुदाय के लोगों में काफी क्रेज रहा.
कोरोना गाइडलाइन का नहीं हुआ पालन
कोरोना संक्रमण के बावजूद हजारों की संख्या में लोग इस पर्व में सम्मिलित होने के लिए अपने गांवों से मेघनगर पहुंचे. इस दौरान यात्री वाहन जीप और बसों से लेकर लोडिंग वाहनों से आते-जाते हुए नजर आए, लेकिन लोगों ने न तो सामाजिक दूरी के नियम और न ही मास्क की उपयोगिता को महत्व दिया.
पारम्परिक वेशभूषा में हो रहा बदलाव
जनजाति समुदाय के पारम्परिक वेशभुषा में समय के साथ-साथ बड़ा बदलाव हो रहा है. भगोरिया हाट बाजार में समुदाय के लोग नए-नए परिधान पहन कर पहुंचे. युवा वर्ग जिन्स, टी-शर्ट और चश्में में दिखाई दिए, तो समुदाय के लोग धोती-कुर्ते की बजाय पेंट-शर्ट में दिखाई दिए. युवतियां अपने पारम्परिक आदिवासी पहनावे की बजाय सलवार सुट तो महिलाएं साड़ी पहन कर हाट बाजार में पहुंची.