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ये महिला बनाती हैं सुपारी से ईको फ्रेंडली गणेश, पर्यावरण बचाने की अनोखी कोशिश - सुपारी से बने इको फ्रेंडली गणेश

जबलपुर कि एक बुजुर्ग महिला सुपारी के गणेश बनाती हैं, सुपारी के गणेश बनाने वाली यशोदा प्रजापति का तर्क है कि धर्म के साथ-साथ वह पर्यावरण को बचाने की कोशिश कर रही हैं.

Yashoda Prajapati of Jabalpur makes eco-friendly Ganesh from betel nut
इको-फ्रेंडली गणेश
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Published : Aug 16, 2020, 12:56 PM IST

Updated : Aug 16, 2020, 2:12 PM IST

जबलपुर। यशोदा के नंदलाल तो आपने सुना ही होगा, लेकिन हम आज आपको बताएंगे कि यशोदा के सुपारी गणेश जिसे बनाती हैं जबलपुर के अधारताल के पास एक छोटी सी कुटिया में रहने वाली 72 साल की यशोदा प्रजापति. सुपारी के गणेश बनाने वाली यशोदा प्रजापति का तर्क वह धर्म के साथ साथ पर्यावरण को बचाने की कोशिश कर रही हैं.

सुपारी से ईको फ्रेंडली गणेश

आत्मनिर्भरता की मिशाल
यशोदा प्रजापति की उम्र 72 वर्ष हैं इस उम्र में भी वे आत्मनिर्भर हैं और अपनी कला के जरिए अपना जीवन यापन करती हैं, यशोदा प्रजापति सुपारी का इस्तेमाल करके गणेश प्रतिमाएं बनाती हैं, जो कि विसर्जन करने में भी आसान होती हैं और पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाती.

Yashoda Prajapati of Jabalpur makes eco-friendly Ganesh from betel nut
इको फ्रेंडली गणेश

धार्मिक संस्था से मिली प्रेरणा
यशोदा एक धार्मिक संस्था से जुड़ी थीं वहां उन्होंने सुपारी की इन गणेश प्रतिमाओं को देखा, इसके बाद उन्होंने इन्हें बनाने का फैसला किया और इन्होंने पहले से देखी हुई प्रतिमाओं से भी बेहतर सुंदर आकृति के गणेश बनाना शुरू कर दिए. यशोदा एक अच्छी कलाकार हैं लेकिन इन्हें व्यापार करना नहीं आता इसलिए लागत मूल्य से थोड़ा सा पैसा और जोड़कर 100 सवा सौ रुपए में इन मूर्तियों को बेच देती हैं. इससे पैसा जरूर कम मिलता है लेकिन यशोदा का गुजर बसर हो जाता है.

Yashoda Prajapati of Jabalpur makes eco-friendly Ganesh from betel nut
यशोदा के गणेश

पर्यावरण अनुकूल
यशोदा का कहना है उनकी गणेश प्रतिमाएं पर्यावरण के नजरिए से बहुत अनुकूल हैं, इनमें कुछ भी ऐसा नहीं है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए. छोटी-छोटी सुंदर प्रतिमाएं पूरी तरह से प्राकृतिक सामानों से बनी होती हैं इसलिए इन से पर्यावरण को नुकसान नहीं होता, जबकि बाकी गणेश प्रतिमाएं जिन सामानों से बनती हैं वह कहीं ना कहीं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है. यशोदा का कहना है कि नवग्रह की पूजा में भी 9 सुपारियों का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए यह गणेश पूजा के साथ-साथ नवग्रह की पूजा भी है.

Yashoda Prajapati of Jabalpur makes eco-friendly Ganesh from betel nut
सुपारी के गणेश

समाजसेवी मदद के लिए आए आगे
यशोदा प्रजापति के साथ आसपास के कुछ बच्चे भी यह कला सीखने लगे हैं और यशोदा की मदद भी करते हैं. यशोदा ने भी प्रतिमाओं के अलावा छोटे-छोटे हवन कुंड और दूसरे सामान बनाना भी शुरू कर दिया है. शहर के एक नौकरी पेशा दंपति ने यशोदा की मदद करने के लिए उनके सामान को सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों तक पहुंचाना शुरू किया है उन्हें उम्मीद है कि यशोदा प्रजापति की यह कला घर-घर तक पहुंचेगी.

Yashoda Prajapati of Jabalpur makes eco-friendly Ganesh from betel nut
गणेश बनाते बच्चे

धार्मिक कार्यक्रम का बदलता स्वरूप सामान्य तौर पर पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानजनक होते हैं, लेकिन यशोदा की यह कोशिश धार्मिक अनुष्ठान पूरे करते हुए भी पर्यावरण बचाने की है. ऐसे प्रयासों को सरकार की ओर से भी मदद मिलनी चाहिए और इस कला को यदि सरकार अपने माध्यम से एक बाजार मुहैया करवा दें तो यशोदा के साथ ही ऐसे ही बहुत से लोगों को रोजगार मिल सकता है और लोगों को सुंदर कलाकृतियां मिल सकती हैं.

जबलपुर। यशोदा के नंदलाल तो आपने सुना ही होगा, लेकिन हम आज आपको बताएंगे कि यशोदा के सुपारी गणेश जिसे बनाती हैं जबलपुर के अधारताल के पास एक छोटी सी कुटिया में रहने वाली 72 साल की यशोदा प्रजापति. सुपारी के गणेश बनाने वाली यशोदा प्रजापति का तर्क वह धर्म के साथ साथ पर्यावरण को बचाने की कोशिश कर रही हैं.

सुपारी से ईको फ्रेंडली गणेश

आत्मनिर्भरता की मिशाल
यशोदा प्रजापति की उम्र 72 वर्ष हैं इस उम्र में भी वे आत्मनिर्भर हैं और अपनी कला के जरिए अपना जीवन यापन करती हैं, यशोदा प्रजापति सुपारी का इस्तेमाल करके गणेश प्रतिमाएं बनाती हैं, जो कि विसर्जन करने में भी आसान होती हैं और पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाती.

Yashoda Prajapati of Jabalpur makes eco-friendly Ganesh from betel nut
इको फ्रेंडली गणेश

धार्मिक संस्था से मिली प्रेरणा
यशोदा एक धार्मिक संस्था से जुड़ी थीं वहां उन्होंने सुपारी की इन गणेश प्रतिमाओं को देखा, इसके बाद उन्होंने इन्हें बनाने का फैसला किया और इन्होंने पहले से देखी हुई प्रतिमाओं से भी बेहतर सुंदर आकृति के गणेश बनाना शुरू कर दिए. यशोदा एक अच्छी कलाकार हैं लेकिन इन्हें व्यापार करना नहीं आता इसलिए लागत मूल्य से थोड़ा सा पैसा और जोड़कर 100 सवा सौ रुपए में इन मूर्तियों को बेच देती हैं. इससे पैसा जरूर कम मिलता है लेकिन यशोदा का गुजर बसर हो जाता है.

Yashoda Prajapati of Jabalpur makes eco-friendly Ganesh from betel nut
यशोदा के गणेश

पर्यावरण अनुकूल
यशोदा का कहना है उनकी गणेश प्रतिमाएं पर्यावरण के नजरिए से बहुत अनुकूल हैं, इनमें कुछ भी ऐसा नहीं है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए. छोटी-छोटी सुंदर प्रतिमाएं पूरी तरह से प्राकृतिक सामानों से बनी होती हैं इसलिए इन से पर्यावरण को नुकसान नहीं होता, जबकि बाकी गणेश प्रतिमाएं जिन सामानों से बनती हैं वह कहीं ना कहीं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है. यशोदा का कहना है कि नवग्रह की पूजा में भी 9 सुपारियों का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए यह गणेश पूजा के साथ-साथ नवग्रह की पूजा भी है.

Yashoda Prajapati of Jabalpur makes eco-friendly Ganesh from betel nut
सुपारी के गणेश

समाजसेवी मदद के लिए आए आगे
यशोदा प्रजापति के साथ आसपास के कुछ बच्चे भी यह कला सीखने लगे हैं और यशोदा की मदद भी करते हैं. यशोदा ने भी प्रतिमाओं के अलावा छोटे-छोटे हवन कुंड और दूसरे सामान बनाना भी शुरू कर दिया है. शहर के एक नौकरी पेशा दंपति ने यशोदा की मदद करने के लिए उनके सामान को सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों तक पहुंचाना शुरू किया है उन्हें उम्मीद है कि यशोदा प्रजापति की यह कला घर-घर तक पहुंचेगी.

Yashoda Prajapati of Jabalpur makes eco-friendly Ganesh from betel nut
गणेश बनाते बच्चे

धार्मिक कार्यक्रम का बदलता स्वरूप सामान्य तौर पर पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानजनक होते हैं, लेकिन यशोदा की यह कोशिश धार्मिक अनुष्ठान पूरे करते हुए भी पर्यावरण बचाने की है. ऐसे प्रयासों को सरकार की ओर से भी मदद मिलनी चाहिए और इस कला को यदि सरकार अपने माध्यम से एक बाजार मुहैया करवा दें तो यशोदा के साथ ही ऐसे ही बहुत से लोगों को रोजगार मिल सकता है और लोगों को सुंदर कलाकृतियां मिल सकती हैं.

Last Updated : Aug 16, 2020, 2:12 PM IST
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