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कर्नाटक की रहने वालीं मजदूर महिलाएं हुईं घर के लिए रवाना, प्रशासन का जताया आभार - Tehsildar assisted laborers in Jabalpur

लॉकडाउन की वजह से जबलपुर में अपनी मां और परिवार की अन्य महिलाओं के साथ फंसी 12 साल की बच्ची को तहसीलदार द्वारा शुक्रवार को उनके घर कर्नाटक के लिए ट्रेन से रवाना किया गया है.

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Published : Jun 6, 2020, 11:01 AM IST

जबलपुर। कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान जहां मजदूरों को अपने घर वापसी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. वहीं प्रशासन के सहयोग से 12 साल की माया अपनी मां और बहनों के साथ शुक्रवार को अपने घर ग्राम गुंदवान जिला बीजापुर कर्नाटक के लिए ट्रेन से रवाना हो गई.

दो अप्रैल को पनागर में लॉकडाउन का पालन कराने भ्रमण करते हुए तहसीलदार प्रमोद चतुर्वेदी को माया अपनी मां एवं बहनों के साथ खुले आसमान के नीचे बैठे हुई मिली थीं. पूछने पर माया ने बताया कि उसकी मां और मौसी के साथ वे सभी मजदूरी करने कर्नाटक से यहां आईं हैं, उनके घर के लोग लॉकडाउन के कारण नहीं आ पाये हैं और यहां उनके रहने-खाने की कोई व्यवस्था नहीं है.

ऐसे में तहसीलदार द्वारा तत्काल उनके रहने एवं भोजन की व्यवस्था शासकीय छात्रावास पनागर में करवाई गई. पिछले 63 दिनों से वे सभी इसी छात्रावास में रह रहे थे, लेकिन पिछले कई दिनों से माया अपने घर वापस जाना चाहती थी. तहसीलदार ने बच्ची के वापस घर जाने की चाहत को देखते हुए परिवार के सभी पांच सदस्यों का यात्री ट्रेन में रिजर्वेशन कराया और आगे की यात्रा के लिये स्वयं आर्थिक सहयोग देकर स्टेशन से शुक्रवार को विदा किया.

माया के साथ उसकी मां नर्मदा बाई सोलंकी, बहन मनीषा सोलंकी और मौसी बहोरा बाई और एक बहन गुंजा ने ट्रेन से अपने घर रवाना होने के पहले उनके रहने खाने की अच्छी व्यवस्था के लिए प्रशासन का आभार जताया, वहीं तहसीलदार पनागर के अत्मीय व्यवहार की जमकर सराहना की.

जबलपुर। कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान जहां मजदूरों को अपने घर वापसी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. वहीं प्रशासन के सहयोग से 12 साल की माया अपनी मां और बहनों के साथ शुक्रवार को अपने घर ग्राम गुंदवान जिला बीजापुर कर्नाटक के लिए ट्रेन से रवाना हो गई.

दो अप्रैल को पनागर में लॉकडाउन का पालन कराने भ्रमण करते हुए तहसीलदार प्रमोद चतुर्वेदी को माया अपनी मां एवं बहनों के साथ खुले आसमान के नीचे बैठे हुई मिली थीं. पूछने पर माया ने बताया कि उसकी मां और मौसी के साथ वे सभी मजदूरी करने कर्नाटक से यहां आईं हैं, उनके घर के लोग लॉकडाउन के कारण नहीं आ पाये हैं और यहां उनके रहने-खाने की कोई व्यवस्था नहीं है.

ऐसे में तहसीलदार द्वारा तत्काल उनके रहने एवं भोजन की व्यवस्था शासकीय छात्रावास पनागर में करवाई गई. पिछले 63 दिनों से वे सभी इसी छात्रावास में रह रहे थे, लेकिन पिछले कई दिनों से माया अपने घर वापस जाना चाहती थी. तहसीलदार ने बच्ची के वापस घर जाने की चाहत को देखते हुए परिवार के सभी पांच सदस्यों का यात्री ट्रेन में रिजर्वेशन कराया और आगे की यात्रा के लिये स्वयं आर्थिक सहयोग देकर स्टेशन से शुक्रवार को विदा किया.

माया के साथ उसकी मां नर्मदा बाई सोलंकी, बहन मनीषा सोलंकी और मौसी बहोरा बाई और एक बहन गुंजा ने ट्रेन से अपने घर रवाना होने के पहले उनके रहने खाने की अच्छी व्यवस्था के लिए प्रशासन का आभार जताया, वहीं तहसीलदार पनागर के अत्मीय व्यवहार की जमकर सराहना की.

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