जबलपुर। बोरवेल की खुदाई के बावजूद पानी नहीं निकलने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि बोरवेल खुदाई में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत लोकायुक्त से की गयी थी. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पुष्पेन्द्र कौरव ने इस याचिका को खारिज कर दिया. पीठ ने अपने आदेश में लिखा कि भूमि जल की प्राप्ति अवसर की बात है, बोरवेल को असलफ होने को भ्रष्टाचार नहीं (failure of borewell is not corruption) माना जा सकता है.
बोरवेल से पानी नहीं निकलना भ्रष्टाचार नहीं
याचिकाकर्ता बालचंद्र शिंदे की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि बुरहानपुर में पानी की भारी किल्लत है, पानी की उपलब्धता के लिए बोरबेल खुदाई (water not available in borewell is not corruption) का ठेका अनावेदक मेसर्स सागर को दिया गया था, ठेकेदार ने जितने भी बोरवेल की खुदाई की, उनमें से अधिकांश जगह पानी ही नहीं निकला और कुछ स्थानों पर बहुत कम मात्रा में पानी निकला. उपकरणों के माध्यम से भूमिगत जल स्रोत का पता लगाकर ही बोरवेल की खुदाई की जाती है.
हाई कोर्ट की युगलपीठ ने खारिज की याचिका
बोरवेल खुदाई में हुए भ्रष्टाचार (borewell excavation scam in burhanpur) की शिकायत उसने लोकायुक्त में की थी, लोकायुक्त ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते फरियादी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने याचिका खारिज करते हुए उक्त आदेश जारी किया है. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने पक्ष रखा.