जबलपुर. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा (Vivek Tankha) का कहना है कि राम मंदिर का शुरुआती सिविल सूट शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने भी दाखिल किया था और उनकी ओर से खुद मैंने पैरवी की थी, इसलिए अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर किसी एक का नहीं है. राज्यसभा सांसद ने आगे कहा कि वे अयोध्या जाएंगे और राम मंदिर में रामलला के दर्शन भी करेंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यदि चारों शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा को सही नहीं बता रहे हैं तो उनकी बात का सम्मान रखा जाना चाहिए था.
राम मंदिर की जीत किसी एक की नहीं
कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा का कहना है कि राम मंदिर का निर्माण किसी एक की जीत नहीं है बल्कि इसमें सभी ने सम्मिलित प्रयास किया था. विवेक तन्खा का कहना है कि राम मंदिर के पक्ष में जो शुरुआती सिविल सूट हुए थे, वे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी की ओर से लगाए गए थे. उन्होंने कहा कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी के विश्वास पात्र थे, इसलिए शंकराचार्य जी ने उनसे राम मंदिर को लेकर काफी विचार विमर्श किया था. बल्कि जब शंकराचार्य जी की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में 18 दिन का पक्ष रखा गया था जिसमें एडवोकेट पीएन मिश्रा ने पैरवी की थी, उस दौरान भी शंकराचार्य महाराज ने विवेक तन्खा से लगातार संपर्क किया था.
वर्तमान शंकराचार्य की आपत्ति सुननी चाहिए : तन्खा
राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने आगे कहा कि वे इस बात से दुखी हैं कि वर्तमान में चारों शंकराचार्यों जो आपत्ति दर्ज करवा रहे हैं, उसे दरकिनार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि चारों मठों के शंकराचार्य का कहना है कि अधूरे मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करना ठीक नहीं है, तो सरकार को इस बात को सुनना चाहिए. राज्यसभा सदस्य ने आगे कहा कि वे राम मंदिर के दर्शन करने जाएंगे. हालांकि, वे उन तारीखों में नहीं जाएंगे जब वहां सरकारी कार्यक्रम चल रहा होगा. जब सामान्य लोगों के लिए दर्शन सुलभ हो जाएंगे तब वे अयोध्या जाएंगे.