जबलपुर। शहर में आए नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir injection) मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. यूएस की कंपनी ने बताया कि ये उनकी कंपनी या फिर बेच नंबर के इंजेक्शन जबलपुर में नहीं आए हैं. एसआइटी प्रमूख रोहित कासवानी ने यह खुलासा किया है.
यूएस की कंपनी ने एसआइटी से किया संपर्क
दरअसल, प्रदेश में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले की जांच में कई दिग्गज लोग इसमें आरोपी बने. नकली इंजेक्शन के तार प्रदेश के साथ-साथ गुजरात से भी जुड़े हैं. जब पुलिस ने इस मामले में अपनी जांच को आगे बढ़ाया तो कई चौकाने वाले खुलासे हुए, एसआइटी प्रमुख रोहित कासवानी ने बताया कि जिस कंपनी के इंजेक्शन जबलपुर में मिले है उस कंपनी ने बेच नंबर की जांच की, जिसमें पाया गया कि इंजेक्शन उनकी कंपनी के नहीं है.
क्या गुजरात में ही बन रहे थे नकली इंजेक्शन..?
यूएस कंपनी के द्वारा यह स्पष्ट कर देना की जो भी इंजेक्शन जबलपुर में सिटी अस्पताल संचालक सरबजीत सिंह मोखा के पास से मिले थे वह उनकी कंपनी के नही थे. साथ ही बेच नंबर भी गलत था, लिहाजा ऐसे में अब यह स्पष्ट हो गया है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी को भी यह पता नहीं था कि उनकी कंपनी के नाम वाले इंजेक्शन भारत में अवैध तरीके से बन रहे है.
रेमडेसिविर की कालाबाजारी : 2 महिलाओं को भेजा जेल, 1 युवक पर लगाया NSA
आरोपियों को लाया जाएगा जबलपुर
बता दें कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir injection) मामले की शुरुआत गुजरात से हुई थी, अभी तक इस मामले में गुजरात पुलिस ने सपन जैन, सुनील मिश्रा, कौशल वोरा और पुनीत शाह को गिरफ्तार किया है. जिसको प्रोडक्शन वारंट पर लाने के लिए जल्द ही पुलिस की एक टीम गुजरात जाएगी. एसपी रोहित कासवानी का कहना है कि आरोपियों से पूछताछ में खुलासा होगा कि ये नकली इंजेक्शन कहां और कैसे बनाए गए थे.