जबलपुर। अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के साथ ही जबलपुर में रहने वाली राम भक्त उर्मिला चतुर्वेदी की 28 साल की तपस्या पूरी हो गई है. 28 साल बाद उर्मिला चतुर्वेदी का संकल्प पूरा हो गया है. उन्होंने संकल्प लिया था कि, जब तक रामलला का मंदिर नहीं बन जाता, तब तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगी. 5 अगस्त यानी आज राम मंदिर भूमिपूजन के साथ उनका सपना भी पूरा हो गया.
हालांकि उन्होंने अपना व्रत नहीं तोड़ा है. उनका कहना है कि, वे सरयू नदी और रामलला के दर्शन के बाद ही अपना व्रत खोलेंगी. कोरोना संकटकाल में उनका अयोध्या जाना फिलहाल नहीं हो पा रहा है, परिजनों का कहना है कि, कोरोना वायरस का कहर खत्म होने के बाद वे उर्मिला चतुर्वेदी को लेकर अयोध्या जरूर जाएंगे.
देश की बहुसंख्यक जनता को वर्षों से जिस घड़ी का इंतजार था, वो आज खत्म हो गई है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया. जबलपुर की एक महिला उर्मिला चतुर्वेदी ने 28 साल पहले संकल्प लिया था कि, जब तक अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन जाता, तब तक वे अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं करेंगी. संस्कारधानी की उर्मिला चतुर्वेदी की ये तपस्या अब जल्द ही साकार होने जा रही है.
6 दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिरा, तो उर्मिला चतुर्वेदी ने राम मंदिर निर्माण होने तक अन्य त्याग करने का संकल्प ले लिया, तब उर्मिला चतुर्वेदी 54 साल की थीं, लेकिन तब से अब तक 28 सालों के इस सफर में उर्मिला चुतर्वेदी भगवान राम का नाम जाप करती रहीं और अन्न का एक दाना भी नहीं ग्रहण किया.