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अफसर गिनेंगे पेड़ : कितने कटेंगे, कितने लगेंगे - सड़क के लिए काटे पेड़ जबलपुर

सड़क बनाने के लिए जंगल के हरे भरे पेड़ काटने को हाईकोर्ट ने सख्ती से लिया है. सरकार ने इस मामले में रिपोर्ट देेने के लिए समय मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च को होगी.

trees cut for road
गिनकर बताओ, कितने पेड़
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Published : Feb 25, 2021, 7:45 PM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट ने डुमना में रोड चौड़ी करने और दूसरे विकास कार्यों के लिए जंगल में पेड़ काटे जाने को सख्ती से लिया है. अदालत में सरकार की ओर से कहा गया कि मामले में लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट देंगे. वे बताएंगे, कि सड़क निर्माण के लिए कितने पेड़ काटने की जरूरत है. इनके बदले कितने नये पेड़ लगाये जाएंगे . इसके लिये उन्हें कुछ मोहलत दी जाए. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च को निर्धारित की है

बिना अनुमति क्यों काट रहे जंगल ?

गढ़ा गंगा नगर कालोनी निवासी निकिता खम्परिया की और से दायर याचिका में कहा गया, कि डुमना के हरे-भरे जंगल को बिना केन्द्र सरकार की अनुमति के काटा जा रहा है. आवेदक का कहना है कि मास्टर प्लान के तहत सड़क चौड़ी करने और अन्य विकास कार्यो के नाम पर शहरी जंगल को काटा जा रहा है. नियमानुसार इसके लिए केन्द्र सरकार से अनुमति लेनी जरूरी है.

सरकारी जमीन और कुएं के पानी पर कब्जा क्यों ?

मामले में केन्द्र सरकार के वन पर्यावरण मंत्रालय के सचिव, प्रमुख सचिव वन विभाग, नगर निगम आयुक्त और PWD को पक्षकार बनाया गया है. मामले में न्यायालय ने 29 सितंबर को अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये थे. पहले हुई सुनवाई पर सरकार ने अंडरटेकिंग दी थी, कि वो हरे-भरे पेड़ों को नहीं काटेंगे, उन्हें संरक्षित करेंगे.

जबलपुर। हाईकोर्ट ने डुमना में रोड चौड़ी करने और दूसरे विकास कार्यों के लिए जंगल में पेड़ काटे जाने को सख्ती से लिया है. अदालत में सरकार की ओर से कहा गया कि मामले में लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट देंगे. वे बताएंगे, कि सड़क निर्माण के लिए कितने पेड़ काटने की जरूरत है. इनके बदले कितने नये पेड़ लगाये जाएंगे . इसके लिये उन्हें कुछ मोहलत दी जाए. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च को निर्धारित की है

बिना अनुमति क्यों काट रहे जंगल ?

गढ़ा गंगा नगर कालोनी निवासी निकिता खम्परिया की और से दायर याचिका में कहा गया, कि डुमना के हरे-भरे जंगल को बिना केन्द्र सरकार की अनुमति के काटा जा रहा है. आवेदक का कहना है कि मास्टर प्लान के तहत सड़क चौड़ी करने और अन्य विकास कार्यो के नाम पर शहरी जंगल को काटा जा रहा है. नियमानुसार इसके लिए केन्द्र सरकार से अनुमति लेनी जरूरी है.

सरकारी जमीन और कुएं के पानी पर कब्जा क्यों ?

मामले में केन्द्र सरकार के वन पर्यावरण मंत्रालय के सचिव, प्रमुख सचिव वन विभाग, नगर निगम आयुक्त और PWD को पक्षकार बनाया गया है. मामले में न्यायालय ने 29 सितंबर को अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये थे. पहले हुई सुनवाई पर सरकार ने अंडरटेकिंग दी थी, कि वो हरे-भरे पेड़ों को नहीं काटेंगे, उन्हें संरक्षित करेंगे.

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