ETV Bharat / state

MP देश का टाइगर स्टेट तो यहां कैपिटल क्यों नहीं?, जानें प्रदेश में कहां, कितने बाघ - mp tiger reserve

पूरे देश में जबलपुर ही एकमात्र ऐसा शहर है जिससे 200 किलोमीटर के परिधि में 500 से ज्यादा बाघ पाए जाते हैं लेकिन टाइगर कैपिटल का दर्जा नागपुर को मिला हुआ है. यह मध्य प्रदेश सरकार की एक बड़ी नाकामी है. मध्यप्रदेश में बाघ देखने के लिए देश के कई सेलिब्रिटी और लगभग 10 लाख टूरिस्ट हर साल आते हैं.

tiger capital in india
भारत में बाघ राजधानी
author img

By

Published : Apr 9, 2023, 7:36 AM IST

Updated : Apr 9, 2023, 12:13 PM IST

जबलपुर। भारत में लगभग 3 हजार बाघ पाए जाते हैं इनमें से 500 से ज्यादा टाइगर जबलपुर से 200 किलोमीटर की परिधि में पाए जाते हैं. जबलपुर से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक अनुमान के तहत बाघों की संख्या 220 है. भारत में किसी एक टाइगर रिजर्व में इतनी ज्यादा घनत्व वाले बाघ नहीं पाए जाते, दूसरी ओर जबलपुर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर पन्ना टाइगर रिजर्व है. यहां बाघों की संख्या 83 है. इसी तरह जबलपुर से लगभग 200 किलोमीटर दूर कान्हा टाइगर रिजर्व है यहां 150 टाइगर हैं और जबलपुर से डेढ़ सौ किलोमीटर की ही दूरी पर पेंच टाइगर रिजर्व है जहां बाघों की संख्या 129 है. इस तरह केवल जबलपुर शहर के चारों तरफ भारत का यह सबसे खूबसूरत जानवर पाया जाता है.

tiger census 2023
2022 में ज्यादातर करंट से बाघों का शिकार

मध्य प्रदेश सरकार की नाकामी: संख्या के अनुसार और दूरी के अनुसार भारत के सबसे ज्यादा बाघ जबलपुर के आसपास पाए जाते हैं. लिहाजा दुनिया भर से आने वाला टूरिस्ट जबलपुर से इन टाइगर रिजर्व में जाना चाहिए क्योंकि जबलपुर से इन टाइगर रिजर्व की दूरी कम है और जबलपुर के हवाई अड्डे पर देसी विमान सेवाएं हैं लेकिन ऐसा नहीं है टाइगर कैपिटल के नाम से नागपुर को जाना जाता है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने इसका प्रमोशन बहुत अच्छे तरीके से किया है. नागपुर मध्य प्रदेश के इन्हीं टाइगर रिजर्व को नजदीकी बताकर बेच रहा है जबकि मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ऐसा नहीं कर पा रहा है और इसका नुकसान जबलपुर के आसपास के पर्यटन से जुड़े हुए व्यवसाय को उठाना पड़ रहा है.

tiger census 2023
इतने एरिया में इतने बाघ

बड़ी तादाद में आते हैं टूरिस्ट: मध्य प्रदेश कि बाघों को देखने के लिए एक अनुमान के तहत हर साल 10 लाख से ज्यादा पर्यटक मध्यप्रदेश आते हैं हालांकि कोरोना वायरस के बाद से इस संख्या में कुछ कमी आई है लेकिन अभी भी टाइगर रिजर्व की ऑनलाइन बुकिंग में सीट फुल दिखा रहे हैं. इससे यह स्पष्ट है कि टाइगर रिजर्व में आने वाले दिनों में टूरिस्ट की भीड़ रहेगी.

बाघों से जुड़ी खबरें...

सेलिब्रिटी और फिल्म स्टार: इनमें सामान्य टूरिस्ट के साथ ही फिल्म क्रिकेट और उद्योग जगत की कई बड़ी हस्तियां भी मध्यप्रदेश के बाघों को देखने के लिए पहुंचते हैं. बीते दिनों क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर अपने परिवार के साथ 5 दिनों की छुट्टी पर मध्य प्रदेश के सिवनी आए हुए थे यहां उन्होंने पेंच टाइगर रिजर्व में 5 दिनों तक रुक कर बाघों को देखा. वहीं फिल्म अदाकारा रवीना टंडन भी मध्य प्रदेश के टाइगर को देखने के लिए आई थीं. यहां सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में रुकी और उन्होंने जंगल सफारी का मजा लिया. पिछले महीने सुनील शेट्टी भी अपने परिवार के साथ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंचे थे और उन्होंने यहां पर 2 दिन रुक कर मध्य प्रदेश के जंगलों के साथ ही टाइगर सफारी का मजा लिया. वही बीते दिनों कंगना रनौत भी मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व में शेर देखने के लिए आई थी.

tiger census 2023
देश का टाइगर स्टेट

टाइगर स्टेट तो कैपिटल क्यों नहीं: भारत सरकार में जब प्रहलाद पटेल पर्यटन मंत्री हुआ करते थे तब उन्होंने कुछ कोशिश की थी. जबलपुर के सांसद राकेश सिंह भी अपने स्तर पर प्रयास करते रहे हैं लेकिन मध्य प्रदेश सरकार की ओर से इस मुद्दे को ताकत नहीं मिली. यदि इस बार फिर से मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट होने का दर्जा मिलता है तो टाइगर कैपिटल की जरूर मांग की जाए. इससे जबलपुर के पर्यटन क्षेत्र को भरपूर मदद मिलेगी और जबलपुर के आसपास के पिछड़े इलाकों को आर्थिक दृष्टिकोण से फायदा होगा.

जबलपुर। भारत में लगभग 3 हजार बाघ पाए जाते हैं इनमें से 500 से ज्यादा टाइगर जबलपुर से 200 किलोमीटर की परिधि में पाए जाते हैं. जबलपुर से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक अनुमान के तहत बाघों की संख्या 220 है. भारत में किसी एक टाइगर रिजर्व में इतनी ज्यादा घनत्व वाले बाघ नहीं पाए जाते, दूसरी ओर जबलपुर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर पन्ना टाइगर रिजर्व है. यहां बाघों की संख्या 83 है. इसी तरह जबलपुर से लगभग 200 किलोमीटर दूर कान्हा टाइगर रिजर्व है यहां 150 टाइगर हैं और जबलपुर से डेढ़ सौ किलोमीटर की ही दूरी पर पेंच टाइगर रिजर्व है जहां बाघों की संख्या 129 है. इस तरह केवल जबलपुर शहर के चारों तरफ भारत का यह सबसे खूबसूरत जानवर पाया जाता है.

tiger census 2023
2022 में ज्यादातर करंट से बाघों का शिकार

मध्य प्रदेश सरकार की नाकामी: संख्या के अनुसार और दूरी के अनुसार भारत के सबसे ज्यादा बाघ जबलपुर के आसपास पाए जाते हैं. लिहाजा दुनिया भर से आने वाला टूरिस्ट जबलपुर से इन टाइगर रिजर्व में जाना चाहिए क्योंकि जबलपुर से इन टाइगर रिजर्व की दूरी कम है और जबलपुर के हवाई अड्डे पर देसी विमान सेवाएं हैं लेकिन ऐसा नहीं है टाइगर कैपिटल के नाम से नागपुर को जाना जाता है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने इसका प्रमोशन बहुत अच्छे तरीके से किया है. नागपुर मध्य प्रदेश के इन्हीं टाइगर रिजर्व को नजदीकी बताकर बेच रहा है जबकि मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ऐसा नहीं कर पा रहा है और इसका नुकसान जबलपुर के आसपास के पर्यटन से जुड़े हुए व्यवसाय को उठाना पड़ रहा है.

tiger census 2023
इतने एरिया में इतने बाघ

बड़ी तादाद में आते हैं टूरिस्ट: मध्य प्रदेश कि बाघों को देखने के लिए एक अनुमान के तहत हर साल 10 लाख से ज्यादा पर्यटक मध्यप्रदेश आते हैं हालांकि कोरोना वायरस के बाद से इस संख्या में कुछ कमी आई है लेकिन अभी भी टाइगर रिजर्व की ऑनलाइन बुकिंग में सीट फुल दिखा रहे हैं. इससे यह स्पष्ट है कि टाइगर रिजर्व में आने वाले दिनों में टूरिस्ट की भीड़ रहेगी.

बाघों से जुड़ी खबरें...

सेलिब्रिटी और फिल्म स्टार: इनमें सामान्य टूरिस्ट के साथ ही फिल्म क्रिकेट और उद्योग जगत की कई बड़ी हस्तियां भी मध्यप्रदेश के बाघों को देखने के लिए पहुंचते हैं. बीते दिनों क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर अपने परिवार के साथ 5 दिनों की छुट्टी पर मध्य प्रदेश के सिवनी आए हुए थे यहां उन्होंने पेंच टाइगर रिजर्व में 5 दिनों तक रुक कर बाघों को देखा. वहीं फिल्म अदाकारा रवीना टंडन भी मध्य प्रदेश के टाइगर को देखने के लिए आई थीं. यहां सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में रुकी और उन्होंने जंगल सफारी का मजा लिया. पिछले महीने सुनील शेट्टी भी अपने परिवार के साथ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंचे थे और उन्होंने यहां पर 2 दिन रुक कर मध्य प्रदेश के जंगलों के साथ ही टाइगर सफारी का मजा लिया. वही बीते दिनों कंगना रनौत भी मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व में शेर देखने के लिए आई थी.

tiger census 2023
देश का टाइगर स्टेट

टाइगर स्टेट तो कैपिटल क्यों नहीं: भारत सरकार में जब प्रहलाद पटेल पर्यटन मंत्री हुआ करते थे तब उन्होंने कुछ कोशिश की थी. जबलपुर के सांसद राकेश सिंह भी अपने स्तर पर प्रयास करते रहे हैं लेकिन मध्य प्रदेश सरकार की ओर से इस मुद्दे को ताकत नहीं मिली. यदि इस बार फिर से मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट होने का दर्जा मिलता है तो टाइगर कैपिटल की जरूर मांग की जाए. इससे जबलपुर के पर्यटन क्षेत्र को भरपूर मदद मिलेगी और जबलपुर के आसपास के पिछड़े इलाकों को आर्थिक दृष्टिकोण से फायदा होगा.

Last Updated : Apr 9, 2023, 12:13 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.