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रोजाना 3 नवजातों की मौत पर उठे सवाल, जिम्मेदार कौन ?

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि एक महीने में स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (SNCU) में 74 नवजात की मौत हुई है. जिसके बाद नवजात की मौत पर अब सवाल उठना शुरु हो गया है.

three newborns die every day
नवजात बच्चों की मौत पर उठे सवाल
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Published : Jan 16, 2020, 4:43 PM IST

Updated : Jan 16, 2020, 5:05 PM IST

जबलपुर। सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी, स्वास्थ्य सेवाओं की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है. हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 1 दिसंबर से 31 दिसंबर 2019 के बीच स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (SNCU) में 74 नवजात की मौत हुई है.

रोजाना 3 नवजातों की मौत पर उठे सवाल

जबलपुर में सरकारी स्तर पर मेडिकल और एल्गिन अस्पताल में ही SNCU की सुविधा है. वहीं नवजात बच्चों की मौत को लेकर अस्पताल प्रबंधन इसकी अलग-अलग वजह बता रहा है. अस्पताल प्रबंधन की मानें तो गंभीर हालत में जो बच्चे रहते हैं, उन्हें मेडिकल या एल्गिन अस्पताल में रेफर किया जाता है. जानकारी के मुताबिक अस्पताल में 30- 40% केस गंभीर हालत में दूसरी जगह से रेफर होकर आते हैं, वहीं मेडिकल अस्पताल में भी गंभीर हालत पहुंचने वाली नवजात बच्चों की संख्या करीब 50 फ़ीसदी होती है.

उचित देखभाल और इलाज नहीं मिलने से गंभीर हालत में आने वाले नवजात बच्चों की मौत हो रही है. आमतौर पर नवजात बच्चों की जो डिलीवरी होनी चाहिए, वो 9 माह की होनी चाहिए पर प्रीमेच्योर डिलीवरी नवजात बच्चों की मौत की एक सबसे बड़ी वजह सामने आई है. नवजात बच्चों की स्थिति को लेकर बात करें तो 3 किलोग्राम तक नवजात का वजन होना चाहिए, लेकिन हाल के दिनों में 800- 900 ग्राम तक के बच्चे जन्म ले रहे हैं. जन्म के समय इन बच्चों का लंग्स, किडनी, हृदय अविकसित रहता है, जिसके चलते इनकी मौत हो जाती है.

जबलपुर। सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी, स्वास्थ्य सेवाओं की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है. हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 1 दिसंबर से 31 दिसंबर 2019 के बीच स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (SNCU) में 74 नवजात की मौत हुई है.

रोजाना 3 नवजातों की मौत पर उठे सवाल

जबलपुर में सरकारी स्तर पर मेडिकल और एल्गिन अस्पताल में ही SNCU की सुविधा है. वहीं नवजात बच्चों की मौत को लेकर अस्पताल प्रबंधन इसकी अलग-अलग वजह बता रहा है. अस्पताल प्रबंधन की मानें तो गंभीर हालत में जो बच्चे रहते हैं, उन्हें मेडिकल या एल्गिन अस्पताल में रेफर किया जाता है. जानकारी के मुताबिक अस्पताल में 30- 40% केस गंभीर हालत में दूसरी जगह से रेफर होकर आते हैं, वहीं मेडिकल अस्पताल में भी गंभीर हालत पहुंचने वाली नवजात बच्चों की संख्या करीब 50 फ़ीसदी होती है.

उचित देखभाल और इलाज नहीं मिलने से गंभीर हालत में आने वाले नवजात बच्चों की मौत हो रही है. आमतौर पर नवजात बच्चों की जो डिलीवरी होनी चाहिए, वो 9 माह की होनी चाहिए पर प्रीमेच्योर डिलीवरी नवजात बच्चों की मौत की एक सबसे बड़ी वजह सामने आई है. नवजात बच्चों की स्थिति को लेकर बात करें तो 3 किलोग्राम तक नवजात का वजन होना चाहिए, लेकिन हाल के दिनों में 800- 900 ग्राम तक के बच्चे जन्म ले रहे हैं. जन्म के समय इन बच्चों का लंग्स, किडनी, हृदय अविकसित रहता है, जिसके चलते इनकी मौत हो जाती है.

Intro:जबलपुर
स्वास्थ्य विभाग में करोड़ो रुपए खर्च करने के बावजूद भी वह अपने कार्यों को सफलता से अंजाम नहीं दे पा रहे हैं। हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 1 दिसंबर से 31 दिसंबर 2019 के बीच एसएनसीयू में 74 नवजात की मौत हुई है।


Body:शहर में सरकारी स्तर पर मेडिकल और एल्गिन अस्पताल में ही एसएनसीयू की सुविधा है।वही नवजात बच्चों की मौतों को लेकर अस्पताल प्रबंधन इसे अलग-अलग वजह मान रहे है।अस्पताल प्रबंधन की मानें तो गंभीर हालत में जो बच्चे रहते हैं उन्हें मेडिकल या एल्गिन अस्पताल में रिफर किया जाता है।जानकारी के अनुसार अस्पताल में 30 से 40% केस गंभीर हालत में दूसरी जगह से रेफर होकर आते हैं वहीं मेडिकल अस्पताल में भी गंभीर हालत पहुंचने वाली नवजात बच्चों की संख्या करीब 50 फ़ीसदी होती है।


Conclusion:उचित देखभाल और इलाज नहीं मिलने से गंभीर हालत में आने वाले नवजात बच्चों की मौत हो रही है।आमतौर पर नवजात बच्चों की जो डिलीवरी होनी चाहिए वह 9 माह की होनी चाहिए पर प्रीमेच्योर डिलीवरी नवजात बच्चों की मौत की एक वजह भी सामने आई है।नवजात बच्चों की स्थिति को लेकर बात करें तो 3 किलोग्राम नवजात का वजन होना चाहिए लेकिन हाल के दिनों में 800 से 900 ग्राम तक के बच्चे जन्म ले रहे हैं। जन्म के समय इन बच्चों का लंग्स, किडनी,हृदय अविकसित रहता है जिसके चलते इनकी मौत हो जाती है।
डॉक्टर.1- संजय मिश्रा....... चिकित्सक,लेडी एल्गिन अस्पताल
Last Updated : Jan 16, 2020, 5:05 PM IST
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