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धनुष और सारंग का सफल परीक्षण, भारतीय सेना की बढ़ी ताकत - मारक क्षमता

जबलपुर की LPR रेंज में धनुष और सारंग तोप का सफल परीक्षण किया गया. बोफोर्स को अपग्रेड करके धनुष का रूप दिया गया है, तो वहीं रशियन गन को अपग्रेड करके सारंग बनाई गई है.

Successful testing of Dhanush and Saranga cannons
धनुष और सारंग तोपों का सफल परीक्षण
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Published : Jan 21, 2020, 2:05 PM IST

जबलपुर। शहर की LPR रेंज में धनुष और सारंग तोपों का सफल परीक्षण किया गया. पहले इन तोपों को जबलपुर में बनाया जाता था और इसके बाद इन्हें टेस्टिंग के लिए इटारसी या फिर बालासुर भेजा जाता था. इस पूरे काम में लगभग 100 करोड़ रूपए का खर्च आता था, लेकिन जबलपुर में टेस्टिंग होने से सरकार का 100 करोड़ से ज्यादा रुपए बचने लगेगा

धनुष और सारंग तोपों का सफल परीक्षण

धनुष तोप बोफोर्स तोप की अपग्रेडेड गन है. जबलपुर तोप निर्माणी में ये गन बनाई जा रही है. इसकी मारक क्षमता लगभग 27 किलोमीटर है. इसके लिए काफी लंबी एलपीआर रेंज की जरूरत पड़ती थी. एलपीआर रेंज को इस तोप के हिसाब से विकसित किया है. भारतीय सेना को बड़ी तादाद में धनुष गन सप्लाई की जानी है. इसलिए अब इनका परीक्षण और निर्माण जबलपुर में किया जाएगा. इस पूरे काम की वजह से सेना को भी ये हथियार कम समय में सप्लाई किया जा सकेगा.

देश की दूसरी बड़ी तोप सारंग का परीक्षण

जबलपुर की LPR रेंज में तोप सारंग का भी परीक्षण किया गया है. सारंग को रशियन गन को अपग्रेड कर बनाया गया है. इसकी मारक क्षमता भी बढ़ाई गई है. पहले ये 14 किलोमीटर तक गोले को फेंक पाती थी, लेकिन अब ये तोप 30 किलोमीटर तक गोला फेंक पाएगी. इन दोनों ही तोपों का इस्तेमाल जमीन से जमीन पर और जमीन से आसमान में गोले दागने के लिए किया जाता है और कारगिल युद्ध के दौरान भारत की जीत में इसी तरह की तोपों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

जबलपुर। शहर की LPR रेंज में धनुष और सारंग तोपों का सफल परीक्षण किया गया. पहले इन तोपों को जबलपुर में बनाया जाता था और इसके बाद इन्हें टेस्टिंग के लिए इटारसी या फिर बालासुर भेजा जाता था. इस पूरे काम में लगभग 100 करोड़ रूपए का खर्च आता था, लेकिन जबलपुर में टेस्टिंग होने से सरकार का 100 करोड़ से ज्यादा रुपए बचने लगेगा

धनुष और सारंग तोपों का सफल परीक्षण

धनुष तोप बोफोर्स तोप की अपग्रेडेड गन है. जबलपुर तोप निर्माणी में ये गन बनाई जा रही है. इसकी मारक क्षमता लगभग 27 किलोमीटर है. इसके लिए काफी लंबी एलपीआर रेंज की जरूरत पड़ती थी. एलपीआर रेंज को इस तोप के हिसाब से विकसित किया है. भारतीय सेना को बड़ी तादाद में धनुष गन सप्लाई की जानी है. इसलिए अब इनका परीक्षण और निर्माण जबलपुर में किया जाएगा. इस पूरे काम की वजह से सेना को भी ये हथियार कम समय में सप्लाई किया जा सकेगा.

देश की दूसरी बड़ी तोप सारंग का परीक्षण

जबलपुर की LPR रेंज में तोप सारंग का भी परीक्षण किया गया है. सारंग को रशियन गन को अपग्रेड कर बनाया गया है. इसकी मारक क्षमता भी बढ़ाई गई है. पहले ये 14 किलोमीटर तक गोले को फेंक पाती थी, लेकिन अब ये तोप 30 किलोमीटर तक गोला फेंक पाएगी. इन दोनों ही तोपों का इस्तेमाल जमीन से जमीन पर और जमीन से आसमान में गोले दागने के लिए किया जाता है और कारगिल युद्ध के दौरान भारत की जीत में इसी तरह की तोपों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

Intro:जबलपुर की एलपीआर रेंज में धनुष और सारंग तोपों का सफल परीक्षण सरकार को होगी करोड़ों रुपए की बचतBody:जबलपुर की लोंग प्रूफ रेंज में धनुष और सारंग तोपों का परीक्षण किया गया पहले इन तोपों को जबलपुर में बनाया जाता था और इसके बाद इन्हें टेस्टिंग के लिए इटारसी या फिर बालासुर भेजा जाता था इस पूरे काम में लगभग 100 करोड़ रूपया खर्च होते थे जबलपुर में टेस्टिंग होने से अप सरकार का 100 करोड़ से ज़्यादा रुपये बचने लगेंगे

धनुष तोप बोफोर्स तोप की अपग्रेडेड गन है जबलपुर तोप निर्माणी में यह गन बनाई जा रही है इसकी मारक क्षमता जमीन से जमीन पर लगभग 27 किलोमीटर है इसके लिए काफी लंबी एलपीआर रेंज की जरूरत पड़ती थी जबलपुर ने अपनी एलपीआर रेंज को इस तोप के हिसाब से विकसित किया है भारतीय सेना को बड़ी तादाद में धनुष गन सप्लाई की जानी है इसलिए अब इनका परीक्षण और निर्माण जबलपुर में ही हो जाएगा इस पूरे काम की वजह से सेना को भी यह हथियार कम समय में सप्लाई किया जा सकेगा

देश की दूसरी बड़ी गन सारंग का परीक्षण
जबलपुर में LPR रेंज में किया जा रहा है सारंग की मारक क्षमता भी बढ़ाई गई है पहले यह 14 किलोमीटर तक गोले को फेंक पाती थी लेकिन अब यह तोप 30 किलोमीटर तक गोला फेक पाएगी
इन दोनों ही तोपों का इस्तेमाल जमीन से जमीन पर और जमीन से आसमान में गोले दागने के लिए किया जाता है और कारगिल युद्ध में इसी तरह की तोपों की वजह से भारत पाकिस्तान को शिकस्त दे पाया था

सेना के अधिकारियों का कहना है कि इन दोनों तोपों की वजह से सेना की ताकत बढ़ेगी Conclusion:भारत में निर्माण होने की वजह से अब हमारी बहुत सारी विदेशी मुद्रा भी बच रही है साथ ही जबलपुर में इनकी टेस्टिंग होने से समय और पैसे दोनों की बचत होने लगेगी और जबलपुर मैं बंद होने की कगार पर जा रही तोप निर्माणी मैं लोगों को काम मिल सकेगा
बाइट एसएस भदौरिया अधिकारी भारतीय सेना
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