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जबलपुर के टीटी सेंटर के बचाव में आगे आई समाजसेवी संस्था, सांसदों को लिखी चिट्ठी

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Published : Sep 26, 2020, 10:02 AM IST

जबलपुर के महत्व को घटाने की कोशिश की वजह से जबलपुर से टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर को गाजियाबाद शिफ्ट कर दिया, इसके खिलाफ अब समाज सेवी संस्था ने सांसदों को चिट्ठी लिखी है.

Case of TTC Center in Jabalpur
जबलपुर के टीटीसी सेंटर का मामला

जबलपुर। जबलपुर स्थित टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर (टीटीसी) को अब आंचलिक प्रशिक्षण केंद्र में परिवर्तित किया जा रहा है. भारत सरकार के संचार मंत्रालय ने यह बात स्वीकार की है. जबलपुर में अंग्रेजों के जमाने में टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर खोला गया था, इसमें टेलीकॉम के अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती थी. यह सिलसिला बीते डेढ़ सौ साल चला आ रहा था. इस ट्रेनिंग सेंटर की वजह से जबलपुर में टेलीकॉम की बड़ी इंडस्ट्री थी. जबलपुर में ट्रेनिंग सेंटर के अलावा टेलीकॉम फैक्ट्री भी थी, लेकिन जबलपुर की टेलीकॉम इंडस्ट्री को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश की गई और अब यहां से टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर को ही गाजियाबाद शिफ्ट करने की कोशिश की जा रही है, जिसमें अधिकारी लगभग सफल हो गए हैं. समाजसेवी संस्था ने प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी भेजी थी, जिसके जवाब में जबलपुर से टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर के शिफ्ट होने की बात स्वीकार की गई है.

जबलपुर के टीटीसी का मामला

अब समाज सेवी संस्था का कहना है कि वह जबलपुर के दोनों सांसद राकेश सिंह और विवेक तंखा को चिट्ठी लिख रहे हैं अगर बात नहीं बनी तो फिर टेलीकॉम आयोग के सामने इस मुद्दे को एक याचिका के माध्यम से उठाया जाएगा. जबलपुर में प्रभावी नेतृत्व नहीं है, इसी की वजह से जबलपुर हमेशा हाशिए पर रहा है. अभी भी कुछ ऐसा होता हुआ नजर आ रहा है कि जबलपुर के महत्व को घटाने की कोशिश की जा रही है.

दरअसल, गाजियाबाद दिल्ली के नजदीक है और अधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार गाजियाबाद में ही औपचारिकताएं पूरी कर लेते हैं और वे जबलपुर नहीं आना चाहते, इसलिए उन्होंने इस ट्रेनिंग सेंटर को गाजियाबाद में शिफ्ट कर दिया है. अब जबलपुर में मात्र एक छोटा सा आंचलिक कार्यालय बचा है, हालांकि कैंट के बेहद सुरक्षित सेना के परिषद के बीच में टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर की बिल्डिंग अभी भी मौजूद है, लेकिन अब इसमें नाम मात्र के अधिकारी कर्मचारी बचे हैं.

जबलपुर। जबलपुर स्थित टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर (टीटीसी) को अब आंचलिक प्रशिक्षण केंद्र में परिवर्तित किया जा रहा है. भारत सरकार के संचार मंत्रालय ने यह बात स्वीकार की है. जबलपुर में अंग्रेजों के जमाने में टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर खोला गया था, इसमें टेलीकॉम के अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती थी. यह सिलसिला बीते डेढ़ सौ साल चला आ रहा था. इस ट्रेनिंग सेंटर की वजह से जबलपुर में टेलीकॉम की बड़ी इंडस्ट्री थी. जबलपुर में ट्रेनिंग सेंटर के अलावा टेलीकॉम फैक्ट्री भी थी, लेकिन जबलपुर की टेलीकॉम इंडस्ट्री को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश की गई और अब यहां से टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर को ही गाजियाबाद शिफ्ट करने की कोशिश की जा रही है, जिसमें अधिकारी लगभग सफल हो गए हैं. समाजसेवी संस्था ने प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी भेजी थी, जिसके जवाब में जबलपुर से टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर के शिफ्ट होने की बात स्वीकार की गई है.

जबलपुर के टीटीसी का मामला

अब समाज सेवी संस्था का कहना है कि वह जबलपुर के दोनों सांसद राकेश सिंह और विवेक तंखा को चिट्ठी लिख रहे हैं अगर बात नहीं बनी तो फिर टेलीकॉम आयोग के सामने इस मुद्दे को एक याचिका के माध्यम से उठाया जाएगा. जबलपुर में प्रभावी नेतृत्व नहीं है, इसी की वजह से जबलपुर हमेशा हाशिए पर रहा है. अभी भी कुछ ऐसा होता हुआ नजर आ रहा है कि जबलपुर के महत्व को घटाने की कोशिश की जा रही है.

दरअसल, गाजियाबाद दिल्ली के नजदीक है और अधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार गाजियाबाद में ही औपचारिकताएं पूरी कर लेते हैं और वे जबलपुर नहीं आना चाहते, इसलिए उन्होंने इस ट्रेनिंग सेंटर को गाजियाबाद में शिफ्ट कर दिया है. अब जबलपुर में मात्र एक छोटा सा आंचलिक कार्यालय बचा है, हालांकि कैंट के बेहद सुरक्षित सेना के परिषद के बीच में टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर की बिल्डिंग अभी भी मौजूद है, लेकिन अब इसमें नाम मात्र के अधिकारी कर्मचारी बचे हैं.

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