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अब नर्मदा भी हो रही प्रदूषित, शिवराज सरकार ने माना 'नदी में मिल रहा है नालों का पानी'

शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश विधानसभा में एक सवाल के जवाब में माना कि जबलपुर जैसे बड़े शहर में ही नर्मदा नदी में मिलने वाले नालों के लाखों लीटर गंदे पानी को रोका नहीं जा सका है.

shivraj government on narmada river water
अब नर्मदा भी हो रही प्रदूषित
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Published : Apr 6, 2023, 12:41 PM IST

जबलपुर। पुण्य सलिला नर्मदा नाले में तब्दील होती जा रही हैं, हिंदू धर्म में कहा जाता है कि नर्मदा के दर्शन मात्र से वह लाभ मिलता है जो गंगा में स्नान से मिलता है, लेकिन अब ये वह नर्मदा नहीं रही है. अब नर्मदा में जबलपुर जैसे बड़े शहर के कई नालों का लाखों लीटर गंदा पानी मिल रहा है, इस बात को कुछ शिवराज सरकार ने माना है.

क्या है सरकार को कहना: हमारा आधार वैज्ञानिक नहीं भौतिक है, केवल जबलपुर में नर्मदा नदी में एक दर्जन के लगभग बड़े और छोटे नाले रोज लाखों लीटर गंदा पानी नर्मदा नदी में प्रवाहित कर देते हैं. नर्मदा नदी में मिलने वाली नालों पर एक सवाल मध्यप्रदेश की विधानसभा में कांग्रेस के विधायक विनय सक्सेना ने पूछा था, इसके जवाब में राज्य सरकार ने बताया कि "अभी तक एक दर्जन में से मात्र एक नाले का पानी ही ट्रीटमेंट करने के बाद नर्मदा में भेजा जा रहा है, बाकी नालों पर या तो कोई काम हुआ ही नहीं है या कुछ पर हुआ भी है तो अभी इनके ट्रीटमेंट प्लांट चालू नहीं हो पाए हैं. यह स्थिति जबलपुर की है."

अभी तक नर्मदा को नहीं मिली मुक्ति: जबलपुर एक बड़ा शहर है, यहां ध्यान रखा जाता है कि नर्मदा नदी का पानी का प्रदूषण कम किया जा सके, कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं का आकलन है कि केवल मध्यप्रदेश में 102 नाले नर्मदा नदी में अपना गंदा पानी छोड़ रहे हैं. जबलपुर के ग्वारीघाट और तिलवारा घाट में घाट पर इतनी गंदगी है कि आप पानी का आचमन करने की कल्पना तक नहीं कर सकते. कुछ साल पहले जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के बायो टेक्नोलॉजी के छात्रों ने नर्मदा नदी के पानी का अध्ययन किया था, जिसमें नर्मदा नदी के पानी में मल में पाए जाने वाला बैक्टीरिया तय मानक से ज्यादा पाया गया था. इसके बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया था. एक एनजीओ और धार्मिक संगठन नर्मदा नदी में मिलने वाले नालों के खिलाफ जनहित याचिका लेकर हाईकोर्ट पहुंचा था, जिस पर हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि नालों के पानी का ट्रीटमेंट किया जाए और इसके बाद ही नर्मदा नदी में मिलाए जाएं. सरकार ने कोर्ट में जवाब दिया था कि इस मामले में एक बड़ी कार्य योजना बनाई जा रही है और गंदे नालों के पानी से नर्मदा को मुक्त किया जाएगा, लेकिन अभी तक नर्मदा को यह मुक्ति नहीं मिली है. इसका प्रमाण खुद सरकार ने अपने जवाब में दिया है.

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केवल सौंदर्यीकरण पर ध्यान: सरकार नर्मदा के लिए कितनी चिंतित है, इसका आभास नर्मदा नदी के किनारे होने वाले आयोजनों में बढ़ती व्यवस्थाओं से लिया जा सकता है. मसलन जबलपुर के ही ग्वारीघाट में अब एक भव्य नर्मदा आरती होती है, नर्मदा के पानी में 7 करोड़ की लागत से एक भव्य फव्वारा लगाने की बात चल रही है, कई जगहों पर नर्मदा आरतियां शुरू हो गई हैं, नर्मदा की परिक्रमा करने वाले लोगों के लिए व्यवस्थाएं बढ़ा दी गई हैं, सरकार ने नर्मदा नदी के धार्मिक महत्व को अपने पक्ष में करने के लिए प्रयास किए हैं, इन आयोजनों की वजह से भी नर्मदा नदी में पूजा पाठ के सामान का प्रदूषण बड़ा है.

जबलपुर। पुण्य सलिला नर्मदा नाले में तब्दील होती जा रही हैं, हिंदू धर्म में कहा जाता है कि नर्मदा के दर्शन मात्र से वह लाभ मिलता है जो गंगा में स्नान से मिलता है, लेकिन अब ये वह नर्मदा नहीं रही है. अब नर्मदा में जबलपुर जैसे बड़े शहर के कई नालों का लाखों लीटर गंदा पानी मिल रहा है, इस बात को कुछ शिवराज सरकार ने माना है.

क्या है सरकार को कहना: हमारा आधार वैज्ञानिक नहीं भौतिक है, केवल जबलपुर में नर्मदा नदी में एक दर्जन के लगभग बड़े और छोटे नाले रोज लाखों लीटर गंदा पानी नर्मदा नदी में प्रवाहित कर देते हैं. नर्मदा नदी में मिलने वाली नालों पर एक सवाल मध्यप्रदेश की विधानसभा में कांग्रेस के विधायक विनय सक्सेना ने पूछा था, इसके जवाब में राज्य सरकार ने बताया कि "अभी तक एक दर्जन में से मात्र एक नाले का पानी ही ट्रीटमेंट करने के बाद नर्मदा में भेजा जा रहा है, बाकी नालों पर या तो कोई काम हुआ ही नहीं है या कुछ पर हुआ भी है तो अभी इनके ट्रीटमेंट प्लांट चालू नहीं हो पाए हैं. यह स्थिति जबलपुर की है."

अभी तक नर्मदा को नहीं मिली मुक्ति: जबलपुर एक बड़ा शहर है, यहां ध्यान रखा जाता है कि नर्मदा नदी का पानी का प्रदूषण कम किया जा सके, कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं का आकलन है कि केवल मध्यप्रदेश में 102 नाले नर्मदा नदी में अपना गंदा पानी छोड़ रहे हैं. जबलपुर के ग्वारीघाट और तिलवारा घाट में घाट पर इतनी गंदगी है कि आप पानी का आचमन करने की कल्पना तक नहीं कर सकते. कुछ साल पहले जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के बायो टेक्नोलॉजी के छात्रों ने नर्मदा नदी के पानी का अध्ययन किया था, जिसमें नर्मदा नदी के पानी में मल में पाए जाने वाला बैक्टीरिया तय मानक से ज्यादा पाया गया था. इसके बाद मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया था. एक एनजीओ और धार्मिक संगठन नर्मदा नदी में मिलने वाले नालों के खिलाफ जनहित याचिका लेकर हाईकोर्ट पहुंचा था, जिस पर हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि नालों के पानी का ट्रीटमेंट किया जाए और इसके बाद ही नर्मदा नदी में मिलाए जाएं. सरकार ने कोर्ट में जवाब दिया था कि इस मामले में एक बड़ी कार्य योजना बनाई जा रही है और गंदे नालों के पानी से नर्मदा को मुक्त किया जाएगा, लेकिन अभी तक नर्मदा को यह मुक्ति नहीं मिली है. इसका प्रमाण खुद सरकार ने अपने जवाब में दिया है.

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