जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की 3 सदस्यीय टीम ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के लिए 7 जजों की नियुक्ति पर मुहर लगा दी है. इस कॉलेजियम में भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायधीश केएम जोसेफ शामिल हैं. इसमें उल्लेखनीय यह है कि ये सभी 7 जज अभी तक जिला अदालतों में काम कर रहे थे. जिला अदालत में काम करने का इनका अनुभव 25 से 30 साल का है.
ये हैं 7 न्यायाधीशों की सूची :
- रुपेश चंद्र वैष्णेय
- अनुराधा शुक्ला
- संजीव सुधाकर कलगांवकर
- प्रेम नारायण सिंह
- अचल कुमार पालीवाल
- हिरदेश
- अवनींद्र कुमार सिंह
पिछले साल भेजा था प्रस्ताव : इन सात जिला न्यायाधीशों को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का जज बनाने का प्रस्ताव मध्य प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री की सिफारिश के साथ न्याय विभाग ने 23 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजा था, जिस पर 7 अप्रैल को मोहर लगाई गई. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इन 7 न्यायाधीशों की गोपनीय रिपोर्ट का भी अध्ययन किया था. इसके बाद ही न्यायाधीशों को हाई कोर्ट का जज बनाया गया है. सामान्य तौर पर हाईकोर्ट में सीनियर वकीलों को उनके अनुभव के आधार पर जज बनाया जाता है लेकिन यदि जिला अदालत के अनुभवी जजों को हाई कोर्ट के न्यायाधीश बनने का मौका मिलता है तो इससे उच्च न्यायालयों में जजों की खाली पदों को भरा जा सकता है.
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रिटायरमेंट की उम्र सीमा का फायदा : जिला अदालतों में काम करने वाले न्यायाधीशों की रिटायरमेंट की उम्र मध्य प्रदेश में 60 साल है. जबकि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में काम करने वाले न्यायाधीशों की रिटायरमेंट की उम्र 62 वर्ष है. इसलिए जिला अदालतों के न्यायाधीशों को हाईकोर्ट में कुछ दिन काम करने का अवसर मिल जाएगा. हालांकि इसमें से कुछ ऐसे हैं, जिनका रिटायरमेंट हो गया है लेकिन इनकी उम्र अभी 62 साल नहीं हुई है. इसलिए इन्हें हाईकोर्ट में अपनी सेवाएं देने का मौका मिल जाएगा. बता दें कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अभी भी जजों की भारी कमी है. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट 53 जज की पोस्ट सेंक्शन हैं, लेकिन अभी मात्र 31 जज ही अपनी सेवाएं दे पा रहे हैं.