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अनलॉक 1.0 में नहीं मिली नाविकों को नाव चलाने की अनुमति, सरकार से लगाई मदद की गुहार

अनलॉक 1.0 में रियायत मिलने के बाद भी जबलपुर में नाविकों को नाव चलाने की अनुमति नहीं मिली है. लॉकडाउन की वजह से करीब 3 माह से नाविक बेरोजगार बैठे हैं .

Sailors pleaded for help from the government
नाविकों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार
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Published : Jun 27, 2020, 1:59 PM IST

Updated : Jun 27, 2020, 2:27 PM IST

जबलपुर। कोरोना वायरस के चेन को तोड़ने के लिए करीब तीन महीने से लागू लॉकडाउन में नाव चलाकर अपना जीव यापन करने वाले नाविक बेरोजगार हो गए हैं. अब अनलॉक 1.0 में जब सरकार ने कई तरह की रियायत दी हैं, नाव चालकों को अभी नर्मदा में नाव चलाने की अनुमति नहीं दी गई है. जिसके बाद उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

नाविकों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार

नर्मदा नदी के ग्वारीघाट, तिलवाराघाट और भेड़ाघाट में चलती हैं सैकड़ों नाव

नर्मदा के किनारे बसा जबलपुर जिला आस्था का केंद्र है. नर्मदा के ग्वारीघाट,तिलवाराघाट और भेड़ाघाट में हजारों श्रद्धालु रोजाना दर्शन करने आते थे. दर्शन के दौरान यह श्रद्धालुओं नाव का इस्तेमाल ही करते थे, लेकिन लॉकडाउन में भक्तों और पर्यटकों का आना बंद हो गया था. जिसके चलते नाविकों से रोजगार ही छीन गया. अनलॉक 1.0 सरकार ने कई तरह से रियायत दी है, लेकिन इन नाविकों की ओर ना ही स्थानीय नेताओं का ध्यान गया और ना ही जिला प्रशासन का. ऐसे में अब यह नाविक दो वक्त की रोटी के लिए भी जूझ रहे हैं.

3 माह से लगे लॉकडाउन में नाविक बेरोजगार हो गए हैं. नर्मदा किनारे बसने वाले बर्मन समाज का एकमात्र व्यवसाय है नाव चलाना. ऐसे में उनके सामने परिवार चलाने का संकट मड़राने लगा है.

  • ग्वारीघाट में चलती हैं 185 नाव
  • तिलवाराघाट में भी करीब 100 नाव संचालित होती हैं.
  • पर्यटन स्थल भेड़ाघाट में 120 नावों में घूमकर पर्यटक करते हैं मनोरंजन
  • नाव चलने से करीब 400 नावों से 500 से ज्यादा परिवारों का चूल्हा जलता है.

नाविकों ने सरकार से की अपील

मां नर्मदा के तटों में कई सालों से नाव चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाली नाविकों ने सरकार से गुहार लगाई है कि इस लॉकडाउन के समय उनकी मदद की जाए. 2 से 3 माह होने को है पर अभी तक सरकार ने नाविकों पर ध्यान नहीं दिया है. अब ऐसे में आलम यह है कि अगर जल्द ही नाव चलाने की जिला प्रशासन ने अगर अनुमति नहीं दी तो नाविकों के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी.

जबलपुर। कोरोना वायरस के चेन को तोड़ने के लिए करीब तीन महीने से लागू लॉकडाउन में नाव चलाकर अपना जीव यापन करने वाले नाविक बेरोजगार हो गए हैं. अब अनलॉक 1.0 में जब सरकार ने कई तरह की रियायत दी हैं, नाव चालकों को अभी नर्मदा में नाव चलाने की अनुमति नहीं दी गई है. जिसके बाद उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

नाविकों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार

नर्मदा नदी के ग्वारीघाट, तिलवाराघाट और भेड़ाघाट में चलती हैं सैकड़ों नाव

नर्मदा के किनारे बसा जबलपुर जिला आस्था का केंद्र है. नर्मदा के ग्वारीघाट,तिलवाराघाट और भेड़ाघाट में हजारों श्रद्धालु रोजाना दर्शन करने आते थे. दर्शन के दौरान यह श्रद्धालुओं नाव का इस्तेमाल ही करते थे, लेकिन लॉकडाउन में भक्तों और पर्यटकों का आना बंद हो गया था. जिसके चलते नाविकों से रोजगार ही छीन गया. अनलॉक 1.0 सरकार ने कई तरह से रियायत दी है, लेकिन इन नाविकों की ओर ना ही स्थानीय नेताओं का ध्यान गया और ना ही जिला प्रशासन का. ऐसे में अब यह नाविक दो वक्त की रोटी के लिए भी जूझ रहे हैं.

3 माह से लगे लॉकडाउन में नाविक बेरोजगार हो गए हैं. नर्मदा किनारे बसने वाले बर्मन समाज का एकमात्र व्यवसाय है नाव चलाना. ऐसे में उनके सामने परिवार चलाने का संकट मड़राने लगा है.

  • ग्वारीघाट में चलती हैं 185 नाव
  • तिलवाराघाट में भी करीब 100 नाव संचालित होती हैं.
  • पर्यटन स्थल भेड़ाघाट में 120 नावों में घूमकर पर्यटक करते हैं मनोरंजन
  • नाव चलने से करीब 400 नावों से 500 से ज्यादा परिवारों का चूल्हा जलता है.

नाविकों ने सरकार से की अपील

मां नर्मदा के तटों में कई सालों से नाव चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाली नाविकों ने सरकार से गुहार लगाई है कि इस लॉकडाउन के समय उनकी मदद की जाए. 2 से 3 माह होने को है पर अभी तक सरकार ने नाविकों पर ध्यान नहीं दिया है. अब ऐसे में आलम यह है कि अगर जल्द ही नाव चलाने की जिला प्रशासन ने अगर अनुमति नहीं दी तो नाविकों के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी.

Last Updated : Jun 27, 2020, 2:27 PM IST
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