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संकट से गुजर रहे गुलाब किसान, दीपावली तक रौनक लौटने की कर रहे उम्मीद - rose farming in loss

जबलपुर में फूलों की खेती करने वाले किसान इन दिनों संकट से गुजर रहे हैं. कुछ किसानों को दीपावली जैसे त्योहारों से उम्मीद है तो कई किसन फूलों की फसल नष्ट कर धान रोप दिए हैं.

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गुलाब किसान परेशान
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Published : Jul 20, 2020, 1:57 PM IST

Updated : Jul 21, 2020, 2:30 PM IST

जबलपुर। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए गए लॉकडाउन ने फूलों की खेती करने वाले किसानों की कमर तोड़ दी है. फूलों की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि आने वाले तीन महीने में भी बाजार सुधरने की संभावना नहीं है. लाखों खर्च कर उन्होंने अपने खेतों में गुलाब तो लगा लिए, लेकिन अब वो गुलाब पौधों पर लगे-लगे ही सूख रहे हैं.

गुलाब किसान परेशान

गुलाब की खेती करने वाले मनोज रजक ने बताया कि एक एकड़ जमीन पर करीब दो लाख रुपए खर्च कर गुलाब की खेती की थी. उन्हें उम्मीद थी कि फसल तीन साल तक उत्पादन देगी, जिससे उन्हें अच्छा-खासा लाभ होगा, लेकिन लॉकडाउन ने सब पलट कर रख दिया. लॉकडाउन की वजह से एक तरफ फसल नहीं बिकी, दूसरी ओर पौधे खराब हो रहे हैं. हालांकि, अब भी किसानों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है. उनका कहना है कि हो सकता है दीपावली तक बाजार संभले और दोबारा फूलों की मांग बाजार में बढ़े. इसलिए पौधों की देख-रेख कर रहे हैं और इनमें खाद पानी दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें- शिल्पकार-मूर्तिकार सबको कोरोना ने किया बर्बाद, खाने के पड़े लाले!

सामान्य खेती में ज्यादा मजदूरों की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन फूलों की खेती में ज्यादा काम होता है. इसलिए ज्यादा मजदूरों की जरूरत भी होती है. इसलिए आसपास के मजदूरों को गांव में ही रोजगार मिल जाता था, लेकिन इस समय ये मजदूर खाली बैठे हैं. अब इन्हें उम्मीद है कि दीपावली तक बाजार में रौनक लौटेगी, इसलिए फूलों के खेतों में काम पर लौट आए हैं.

सामान्य दिनों में 40 रुपए किलो बिकने वाला गुलाब इन दिनों बाजारों में दिख ही नहीं रहा है. जहां कभी जबलपुर में दो टन से ज्यादा गुलाब की मांग रहती थी, वहीं अब बाजार में एक किलो गुलाब के भी खरीददार नहीं हैं. कुछ किसानों ने तो फूलों के पेड़-पौधों अलग करके उसकी जगह धान लगा दिए हैं. किसानों का कहना है कि इससे कम से कम उन्हें दो पैसे की आय तो होगी.

जबलपुर। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए गए लॉकडाउन ने फूलों की खेती करने वाले किसानों की कमर तोड़ दी है. फूलों की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि आने वाले तीन महीने में भी बाजार सुधरने की संभावना नहीं है. लाखों खर्च कर उन्होंने अपने खेतों में गुलाब तो लगा लिए, लेकिन अब वो गुलाब पौधों पर लगे-लगे ही सूख रहे हैं.

गुलाब किसान परेशान

गुलाब की खेती करने वाले मनोज रजक ने बताया कि एक एकड़ जमीन पर करीब दो लाख रुपए खर्च कर गुलाब की खेती की थी. उन्हें उम्मीद थी कि फसल तीन साल तक उत्पादन देगी, जिससे उन्हें अच्छा-खासा लाभ होगा, लेकिन लॉकडाउन ने सब पलट कर रख दिया. लॉकडाउन की वजह से एक तरफ फसल नहीं बिकी, दूसरी ओर पौधे खराब हो रहे हैं. हालांकि, अब भी किसानों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है. उनका कहना है कि हो सकता है दीपावली तक बाजार संभले और दोबारा फूलों की मांग बाजार में बढ़े. इसलिए पौधों की देख-रेख कर रहे हैं और इनमें खाद पानी दे रहे हैं.

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सामान्य खेती में ज्यादा मजदूरों की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन फूलों की खेती में ज्यादा काम होता है. इसलिए ज्यादा मजदूरों की जरूरत भी होती है. इसलिए आसपास के मजदूरों को गांव में ही रोजगार मिल जाता था, लेकिन इस समय ये मजदूर खाली बैठे हैं. अब इन्हें उम्मीद है कि दीपावली तक बाजार में रौनक लौटेगी, इसलिए फूलों के खेतों में काम पर लौट आए हैं.

सामान्य दिनों में 40 रुपए किलो बिकने वाला गुलाब इन दिनों बाजारों में दिख ही नहीं रहा है. जहां कभी जबलपुर में दो टन से ज्यादा गुलाब की मांग रहती थी, वहीं अब बाजार में एक किलो गुलाब के भी खरीददार नहीं हैं. कुछ किसानों ने तो फूलों के पेड़-पौधों अलग करके उसकी जगह धान लगा दिए हैं. किसानों का कहना है कि इससे कम से कम उन्हें दो पैसे की आय तो होगी.

Last Updated : Jul 21, 2020, 2:30 PM IST
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