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बक्सवाहा की Rock Painting को पुरातात्विक संपदा किया जाए घोषित, जनहित याचिका दायर

जबलपुर हाईकोर्ट में शुक्रवार को बक्सवाहा के जंगल में 25 हजार वर्ष पूर्व की अतिप्रचलित रॉक पेंटिंग को लेकर जनहित याचिका दायर की गई. याचिका में रॉक पेंटिंग को पुरातात्विक संपदा घोषित करने की मांग की गई है.

jabalpur high court
जबलपुर हाईकोर्ट
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Published : Jul 16, 2021, 7:04 PM IST

जबलपुर। बक्सवाहा के जंगल में 25 हजार वर्ष पूर्व की अतिप्रचलित रॉक पेंटिंग को लेकर शुक्रवार को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका में बक्सवाहा की रॉक पेंटिंग को पुरातात्विक संपदा घोषित करने की मांग की गई है. यह पेंटिंग पाषाण युग में मानव जीवन की जानकारी देने वाले स्त्रोत के लिये महत्वपूर्ण है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.

सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित करने की मांग
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में बक्सवाहा में पाई गई देश की सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित किये जाने की मांग की गयी है. याचिका में कहा गया है कि आर्कियोलॉजिकल विभाग को रॉक पेंटिंग की जानकारी दी गई थी.

एनजीटी में भी दायर की गई थी याचिका
अखबारों में भी इस संबंध में समाचार प्रकाशित हुए हैं. इसके बावजूद भी पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की कोई कार्रवाई नहीं की है. इस क्षेत्र में 364 हेक्टेयर भूमि में प्रस्तावित डायमंड माइनिंग की कार्रवाई कभी भी शुरू हो सकती है. पर्यावरण तथा बक्सवाहा जंगल से जुड़े बिंदु पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की गई थी.

बक्स्वाहा जंगल बचाने हरित सत्याग्रह होगा शुरू, 26 जून से पांच दिन चलेगा अनशन

पुरातात्विक संपदा का मामला एनजीटी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. इस कारण हाईकोर्ट में उक्त याचिका दायर की गई है. याचिका में केन्द्र व राज्य सरकार सहित भारतीय पुरातत्व विभाग को अनावेदक बनाया गया है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 16 अगस्त निर्धारित की गयी है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने पैरवी की.

जबलपुर। बक्सवाहा के जंगल में 25 हजार वर्ष पूर्व की अतिप्रचलित रॉक पेंटिंग को लेकर शुक्रवार को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका में बक्सवाहा की रॉक पेंटिंग को पुरातात्विक संपदा घोषित करने की मांग की गई है. यह पेंटिंग पाषाण युग में मानव जीवन की जानकारी देने वाले स्त्रोत के लिये महत्वपूर्ण है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है.

सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित करने की मांग
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में बक्सवाहा में पाई गई देश की सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित किये जाने की मांग की गयी है. याचिका में कहा गया है कि आर्कियोलॉजिकल विभाग को रॉक पेंटिंग की जानकारी दी गई थी.

एनजीटी में भी दायर की गई थी याचिका
अखबारों में भी इस संबंध में समाचार प्रकाशित हुए हैं. इसके बावजूद भी पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की कोई कार्रवाई नहीं की है. इस क्षेत्र में 364 हेक्टेयर भूमि में प्रस्तावित डायमंड माइनिंग की कार्रवाई कभी भी शुरू हो सकती है. पर्यावरण तथा बक्सवाहा जंगल से जुड़े बिंदु पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की गई थी.

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पुरातात्विक संपदा का मामला एनजीटी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. इस कारण हाईकोर्ट में उक्त याचिका दायर की गई है. याचिका में केन्द्र व राज्य सरकार सहित भारतीय पुरातत्व विभाग को अनावेदक बनाया गया है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 16 अगस्त निर्धारित की गयी है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने पैरवी की.

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