जबलपुर। पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव व उनके पुत्र अभिषेक भार्गव को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है. इस मामले में याचिका दायर करने वाले कांग्रेस नेता ने अपने आपराधिक व राजनीतिक रिकाॅर्ड का उल्लेख नहीं किया था. इसको लेकर वे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष संतोषजनक जवाब प्रस्तुत नहीं कर पाए. वहीं याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की अनुमत्ति प्रदान करने का आग्रह युगलपीठ से किया. जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया.
दरअसल, कांग्रेस नेता कमलेश शाहू की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि, लोगों को पट्टे पर आवंटित की गई जमीन का विक्रय-पत्र भाजपा नेता गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक के नाम पर नियम विरुद्ध तरीके से किया गया है. कमलेश शाहू ने कोर्ट से मांग की थी कि, सागर कलेक्टर कार्यालय से पूरा रिकाॅर्ड तलब किया जाए. हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज तथा जिला न्यायाधीश से मामले की जांच करवाई जाए. पट्टे की जमीन के 25 विक्रय-पत्र, जो अभिषेक के नाम पर रजिस्टार्ड किये गये हैं, उन्हें निरस्त करते हुए पिता-पुत्र के खिलाफ एफआईआर की जाए.
याचिका की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पुष्पेन्द्र कौरव ने बताया कि, याचिकाकर्ता ने साल 2018 में हुुए विधानसभा चुनाव में विधायक गोपाल भार्गव के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा उसके खिलाफ अपराधिक प्रकरण भी दर्ज हैं, लेकिन उनके द्वारा दायर जनहित याचिका में इसका उल्लेख नहीं किया गया है, तत्थों को छिपाकर दुर्भावनावश उक्त याचिका दायर की गयी है, जिसके कारण इसकी सुनवाई जनहित याचिका के तौर नहीं हो सकती. इसके अलावा पूर्व में उक्त आरोपों की जांच हो गयी है, जिसके चलते सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से याचिका वापस लेने का आग्रह करना पड़ा, जिसे स्वीकार करते युगलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया.