ग्वालियर/भोपाल। मध्य प्रदेश में इन दोनों लघु एवं मध्यम श्रेणी संविदाकार संघ का एक पत्र राजनीतिक गलियारों में सनसनी का माहौल पैदा किए हुए हैं. खास बात यह है कि यह पत्र कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया है. प्रियंका गांधी ने कहा कि "जिस तरह से कर्नाटक में 40 फीसदी कमीशन की सरकार थी, ठीक उसी तरह मध्य प्रदेश में 50 फीसदी कमीशन की सरकार है." कांग्रेस महासचिव के ट्वीट के बाद कांग्रेस नेताओं ने शिवराज सरकार को घेरा है. वहीं बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट कर जवाबी हमला किया है.
प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर साधा निशाना: प्रियंका गांधी ने ट्वीट में कहा है "मध्य प्रदेश में ठेकेदारों के संघ ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर शिकायत की है कि प्रदेश में 50% कमीशन देने पर ही भुगतान मिलता है. कर्नाटक में भ्रष्ट BJP सरकार 40% कमीशन की वसूली करती थी, मध्य प्रदेश में BJP भ्रष्टाचार का अपना ही रिकॉर्ड तोड़कर आगे निकल गई है. कर्नाटक की जनता ने 40% कमीशन वाली सरकार को बाहर किया. अब मध्य प्रदेश की जनता 50% कमीशन वाली भाजपा सरकार को सत्ता से हटाएगी." इसके जवाब में बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने लिखा कि "बेहद शर्मनाक कांग्रेस किस प्रकार झूठ पर आधारित राजनीति करती है, यह उसका प्रमाण है. 50% कमीशन के एक फर्जी पत्र के आधार पर पहले कांग्रेस के नेता अरुण यादव ट्वीट करते हैं. उसी के आधार पर प्रियंका गांधी से लेकर जयराम रमेश और खुद कमलनाथ ट्वीट कर रहे हैं. एमपी में शिवराज सरकार में भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस है. इस प्रकार की कमीशन की बात पूरी तरह से फर्जी है.
सलूजा बोले-शिवराज सरकार को बदनाम करने की कोशिश: सूलजा ने कहा कि सिर्फ चुनाव के एजेंडे को सेट करने के लिए इस तरह से फर्जीवाड़े का सहारा लिया जा रहा है. मैं सरकार से मांग करता हूं कि इस फर्जी पत्र के आधार पर कांग्रेस के नेताओं पर प्रकरण दर्ज किया जाए. कांग्रेस को चुनाव में कोई मुद्दा नहीं मिल रहा है, तो इस तरह से फर्जी पत्र तैयार कर सरकार को बदनाम करने का काम किया जा रहा है. जिस कमलनाथ की सरकार में वल्लभ भवन भ्रष्टाचार व दलालों का अड्डा बना रहा. ट्रांसफर उद्योग पूरे 15 माह चलता रहा. जहां सारी जन हितेषी योजनाएं बंद कर दी गई , वो लोग आज शिवराज सरकार पर मनगढ़ंत, झूठे आरोप लगा रहे हैं.
संविदाकार संघ ने की मांग: वहीं प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में संविदाकार संघ के ज्ञानेंद्र अवस्थी ने मांग की है कि उनका संगठन मध्य प्रदेश में निर्माण कार्य करने वाले छोटे पेटी संविदाकारों का प्रदेश स्तरीय संगठन है. पत्र में कहा गया है कि साल 2012 में अस्तित्व में आए उनके संगठन के सदस्यों प्रदेश में 10 साल के भीतर पेटी कांट्रेक्टर के तौर पर 35000 किलोमीटर की सड़क का निर्माण किया है. डेढ़ हजार छोटे बड़े मकान बनाए हैं. जबकि 1000 से अधिक छोटे बड़े तालाब भी निर्माण किए हैं. संगठन का कहना है कि जब से बीजेपी की सरकार अस्तित्व में आई है, तब से अब तक हम पेटी कांट्रेक्टर का जीवन नारकीय हो गया है. लगभग हर जिले में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यों के भुगतान लंबित है. किसी भी जिले में पुराने कार्यों का भुगतान करने के लिए कोई बजट आवंटित नहीं किया जा रहा है. विभागीय अधिकारी सरकार से राशि नहीं मिलने की बात कह रहे हैं. दलाल पचास प्रतिशत कमीशन लेकर भुगतान करा रहे हैं.
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जीवन यापन में संकट: संविदा कार संघ ने कहा है कि "मूल ठेकेदार को प्राप्त होने वाले भुगतान पर हमारा भुगतान निर्भर करता है. मूल ठेकेदार हमें निविदा में स्वीकृत राशि का 40 फीसदी हिस्सा देकर काम कराते हैं. कुल स्वीकृत कार्य में से 50% राशि कमीशन के तौर पर बंट जाती है. 10 फीसदी राशि मूल ठेकेदार रखते हैं और शेष 40% में ही हमें भी काम करना होता है. ऐसे में उनके सामने जीवन यापन का संकट पैदा हो गया है. पत्र में लिखा गया है कि पिछले दिनों उनके प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की थी और अपनी पीड़ा बताई थी. मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था, लेकिन ओएसडी से मिलने पर उन्होंने चुनावी वर्ष का हवाला देते हुए भुगतान की जाने वाली राशि का 50 फ़ीसदी पार्टी के लिए खर्च करने की बात कहकर हमें निराश किया है. पूर्व में 15 से 20 फीसदी कमीशन ही प्रचलित था. इस पर किसी को कोई आपत्ति भी नहीं थी, लेकिन 50 फीसदी कमीशन की मांग से संविदाकार संघ को काम की गुणवत्ता से समझौता करना पड़ रहा है. संघ ने पूरे मामले की जांच हाई कोर्ट जज से कराकर सभी लंबित भुगतानों को जल्द करने की मांग की है. खास बात यह है कि यह पत्र भोपाल के राजनीतिक गलियारों और मीडिया के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.