जबलपुर। सागर में बनने वाले 100 करोड़ की लागत के संत रविदास के मंदिर पर राजनीति शुरू हो गई है. जबलपुर के अनुसूचित जाति वर्ग के नेता और कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे लखन घनघोरिया का आरोप है कि संत रविदास मंदिर को बनाने की घोषणा एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 2019 में की थी. उस समय कमलाथ संत रविदास जयंती के कार्यक्रम में शामिल हुए थे और उन्होने ही यह ऐलान किया था कि मध्य प्रदेश के सागर में उनकी सरकार भव्य मंदिर का निर्माण करेगी. अब भारतीय जनता पार्टी 100 करोड़ की लागत से संत रविदास मंदिर बना रही है.
संत रविदास मंदिर की घोषणा कांग्रेस ने की थी: मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के दौरान सामाजिक न्याय अनुसूचित जाति कल्याण और निशक्तजन कल्याण मंत्री रहे लखन घनघोरिया ने खुलासा किया है कि 2019 में सागर में संत रविदास जयंती पर एक भव्य आयोजन हुआ था जिसमें मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ शामिल हुए थे. इसी मौके पर संत रविदास के लिए एक भव्य आश्रम बनाने की घोषणा की गई थी. इसके लिए कांग्रेस सरकार ने एक बड़ा फंड बनाने की भी बात कही थी.
साल 2019 में ही लोगों ने इस मंदिर को बनाने में अपना आर्थिक सहयोग देने की भी घोषणा की थी. लखन घनमोरिया का कहना है कि संत रविदास का यह मंदिर कांग्रेस की परिकल्पना थी और कांग्रेस की उसी घोषणा को भारतीय जनता पार्टी ने हथियाया है. अब बीजेपी चुनावी साल में पीएम मोदी के हाथों मदिर की आधारशिला रखवा कांग्रेस के प्लान को ही आगे बढ़ा रही है.
बीजेपी पर कैसे होगी वोटों की बारिश: मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं संख्या लगभग 1 करोड़ से अधिक है. खास तौर पर मध्य प्रदेश में यह वर्ग कांग्रेस का परंपरागत वोटर रहा है. भारतीय जनता पार्टी बीते कुछ सालों से इस वर्ग को साधने के लिए अलग-अलग तरह से जतन कर रही है. इसमें भारतीय जनता पार्टी ने अनुसूचित जाति वर्ग के संत रविदास को आधार बनाकर अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के बीच में स्थान बनाने की कोशिश की है.
MP में हाल के समय में पीएम मोदी का यह 5वां दौरा है. संत रविदास मंदिर के भूमिपूजन के बाद माना जा रहा है कि इसके जरिए मध्य प्रदेश के 16% दलित वोट बैंक को बीजेपी रिझाएगी. इससे 54 विधानसभा सीटें सीधे सीधे प्रभावित होंगी. यूं भी कहा जाता है कि SC सीटों पर जब जब बीजेपी की पकड़ कमजोर हुई है और दलित कांग्रेस की तरफ गए हैं, तब तब भारतीय जनता पार्टी सत्ता से आउट हुई है. लिहाजा कांग्रेस के उनाउंसड प्रोजेक्ट को पूरा कर बीजेपी 54 में से उन 35 सीटों को हासिल करना चाहती है जहां पर अनुसूचित जाति दबंग बने हुए हैं.
भारतीय जनता पार्टी अंबेडकर विरोधी रही है: अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से लगातार कई बार विधायक रहे लखन घनघोरिया का कहना है कि उनकी लंबी राजनीति में उन्होंने यह अनुभव किया है कि भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में कभी अनुसूचित जाति नहीं थी. भारतीय जनता पार्टी हमेशा ही अंबेडकर विरोधी रही है अक्सर BJP के लोग यह कहते हुए नजर आए हैं कि वे संविधान बदलेंगे. वहीं भारतीय जनता पार्टी निजीकरण की समर्थक है और यदि निजीकरण बढ़ता है तो इसका प्रभाव आरक्षण पर पड़ेगा और इसका सीधा असर अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को भोगना पड़ेगा.
सामाजिक समरसता यात्रा का कोई असर नहीं: लखन घनघोरिया का कहना है कि अब अनुसूचित जाति के लोग भारतीय जनता पार्टी को समझ गए हैं इसलिए समरसता यात्रा का कोई बहुत असर नहीं पड़ेगा. भाजपी का अगला कदम हर गांव में समरसता यात्रा निकालने का है. संत रविदास का मंदिर बनना चाहिए इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन अनुसूचित जाति वर्ग के लोग बड़े पैमाने पर बेरोजगार हैं. जिस बुंदेलखंड में इस मंदिर के जरिए लोगों के मन में भक्ति भाव जगाया जा रहा है वहां यदि रोजगार के बड़े अवसर पैदा किए जाते तो ना केवल वहां की जनता को फायदा मिलता बल्कि रोजगार देने वाली पार्टी को भी इसका फायदा मिलता.
BJP का आरोपों पर जवाब: इस मामले में बीजेपी के जिला महामंत्री और अनुसूचित जाति के नेता रत्नेश सोनकर का कहना हैं कि कांग्रेस नेता लखन घनघोरिया का यह बयान झूठा और गैर जिम्मेदाराना है. कमलनाथ और कांग्रेस 100 करोड़ के विशाल मंदिर की वजह से दहशत में हैं. कांग्रेस हमेशा ही अनुसूचित जाति जनजाति का दोहन करती रही है और भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा अंत्योदय की बात की है. गरीबों को रसोई गैस दी है और आयुष्मान भारत के जरिए इलाज दिया है जहां तक अंबेडकर की नीतियों पर चलने की बात है तो कांग्रेस ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ा था और उन्हें हराया था अंबेडकर के सपनों को तो भारतीय जनता पार्टी ही पूरा कर रही है.