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एंग्लो-इंडियन कोटे से विधायक की नियुक्ति के खिलाफ दायर किया PIL, लेना पड़ा वापस

नागरिक उपभोक्ता मंच ने एंग्लो-इंडियन कोटे से विधायकों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को वापस ले लिया है. इस याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी.

Public interest litigation challenging appointment of MLAs from Anglo-Indian quota
एंग्लो-इंडियन कोटे से विधायकों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका वापस
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Published : Mar 5, 2020, 11:32 AM IST

Updated : Mar 5, 2020, 11:57 AM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एंग्लो इंडियन कोटे से विधायकों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को नागरिक उपभोक्ता मंच ने वापस ले ली है. मंच ने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि राज्य शासन की ओर से पत्र भेजकर यह साफ कर दिया है कि, एंग्लो-इंडियन कोटे का प्रावधान 25 जनवरी 2020 के बाद समाप्त हो चुका है.

एंग्लो-इंडियन कोटे से विधायकों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका वापस

याचिकाकर्ता और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के सदस्य रजत भार्गव ने बताया कि, मध्य प्रदेश शासन के विधि विधाई कार्य विभाग के पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि, राज्यपाल द्वारा एंग्लो-इंडियन समुदाय से मध्यप्रदेश की 15वीं विधानसभा में सदस्य नामित किए जाने संबंधी राज्य शासन के प्रस्ताव को यह कहकर अमान्य कर दिया है कि, 25 जनवरी 2020 के बाद इसके संबंध में प्रावधान अस्तित्व में नहीं है.

केंद्र सरकार ने भी लोकसभा में 126वां संशोधन बिल 2019 में पेश किया. जिसमें एंग्लो-इंडियन की समय अवधि बढ़ाने को प्रस्तावित नहीं किया गया था.

लोकसभा में इस बिल को 350 के विरुद्ध 0 से पारित किया गया. इस तरह यह प्रावधान अब पूरी तरह से समाप्त हो चुका है. इस मामले में जनहित याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अजय रायजादा और अंजना श्रीवास्तव ने पैरवी की थी.

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एंग्लो इंडियन कोटे से विधायकों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को नागरिक उपभोक्ता मंच ने वापस ले ली है. मंच ने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि राज्य शासन की ओर से पत्र भेजकर यह साफ कर दिया है कि, एंग्लो-इंडियन कोटे का प्रावधान 25 जनवरी 2020 के बाद समाप्त हो चुका है.

एंग्लो-इंडियन कोटे से विधायकों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका वापस

याचिकाकर्ता और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के सदस्य रजत भार्गव ने बताया कि, मध्य प्रदेश शासन के विधि विधाई कार्य विभाग के पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि, राज्यपाल द्वारा एंग्लो-इंडियन समुदाय से मध्यप्रदेश की 15वीं विधानसभा में सदस्य नामित किए जाने संबंधी राज्य शासन के प्रस्ताव को यह कहकर अमान्य कर दिया है कि, 25 जनवरी 2020 के बाद इसके संबंध में प्रावधान अस्तित्व में नहीं है.

केंद्र सरकार ने भी लोकसभा में 126वां संशोधन बिल 2019 में पेश किया. जिसमें एंग्लो-इंडियन की समय अवधि बढ़ाने को प्रस्तावित नहीं किया गया था.

लोकसभा में इस बिल को 350 के विरुद्ध 0 से पारित किया गया. इस तरह यह प्रावधान अब पूरी तरह से समाप्त हो चुका है. इस मामले में जनहित याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अजय रायजादा और अंजना श्रीवास्तव ने पैरवी की थी.

Last Updated : Mar 5, 2020, 11:57 AM IST
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