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भारत-चीन सीमा विवाद के बीच नया संकट, हड़ताल पर जाएंगे हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियों के कर्मचारी

केंद्र सरकार के निगमीकरण के फैसले के खिलाफ देशभर के सुरक्षा संस्थानों में तैनात कर्मचारियों ने अब अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का एलान कर दिया है. बता दें जुलाई के दूसरे सप्ताह में कर्मचारी ये हड़ताल शुरू करेंगे, जिसमें देशभर से 82 हजार कर्मचारी शामिल होने वाले हैं.

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Published : Jun 20, 2020, 2:13 PM IST

Updated : Jun 20, 2020, 3:20 PM IST

Central security institutes  strike
केंद्रीय सुरक्षा संस्थान हड़ताल

जबलपुर। भारत-चीन के बीच सीमा में उपजे विवाद के बीच भारतीय सेना के लिए गोला, बारूद, तोप, व्हीकल और कई घातक हथियार बनाने वाली देश भर की 41 सुरक्षा संस्थानों में जुलाई महीने के दूसरे सप्ताह में ताला लटकने वाला है. केंद्र सरकार के निगमीकरण के फैसले के खिलाफ देश भर के सुरक्षा संस्थानों में तैनात कर्मचारियों ने अब अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का एलान कर दिया है.

हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियों के कर्मचारी हड़ताल पर
देशभर की 41 केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों में तैनात कर्मचारियों ने एकमत होकर हड़ताल में जाने के लिए पहले गेट मीटिंग और फिर मतदान कर अपना विरोध केंद्र सरकार के सामने जता दिया है. मतदान में 98 प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारियों ने हड़ताल का रास्ता अख्तियार करने पर सहमति जताई है. वहीं जुलाई के दूसरे सप्ताह से होने वाली इस हड़ताल के बाद कर्मचारी काम नहीं करेंगे और सरकार के फैसले की खिलाफत करते रहेंगे.

ये भी पढ़ें- सीमा विवाद के बीच रूस और चीन के साथ बैठक में शामिल होगा भारत : विदेश मंत्रालय

बता दें, केंद्र सरकार ने देश की 41 आयुध निर्माण कंपनियों को निजीकरण के दायरे में लाने का प्रस्ताव पास किया है, जिसके खिलाफ लगातार आंदोलन भी किए जा रहे हैं. कर्मचारियों ने सरकार को कई बार आगाह भी किया. लेकिन जब कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं हुई तो अब एक बार फिर कर्मचारियों ने देशव्यापी हड़ताल करने का एलान किया है. इससे पहले भी हड़ताल हुई थी. लेकिन सरकार ने उनकी मांगों को मानने का आश्वासन दिया था. हालांकि, अब जब सरकार ने कर्मचारियों के साथ वादा खिलाफी की तो कर्मचारियों ने भी आर-पार लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है.

जबलपुर में सेना के लिए किन उत्पादों का होता है निर्माण

जानें कि जबलपुर स्थित केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों में सेना के लिए किन उत्पादों का निर्माण किया जाता है. बता दें, जबलपुर में चार ऑर्डनेंस फैक्ट्रियां हैं.

1. ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया


यह देश की सबसे बड़ी फैक्ट्री है. इस फैक्ट्री में सेना के लिए कई प्रकार के बमों का उत्पादन होता है. इसमें सबसे ज्यादा 84 एमएम श्रेणी के बम हैं. ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया में देश की तीनों सेनाओं के लिए अलग-अलग तरह के बम का उत्पादन किया जाता है.


2. गन कैरिज फैक्ट्री


देश की सबसे ताकतवर तोप जिसे की धनुष का नाम दिया गया है, वह जबलपुर की गन कैरिज फैक्ट्री में बनती है. सेना ने जीसीएफ फैक्ट्री को 12 धनुष तोप के ऑर्डर दिए हैं, जिसमे से पांच धनुष तो फैक्ट्री ने बनाकर सेना को सुपुर्द भी कर दिया है. कहा जाता है कि यह भारत की सबसे ताकतवर तोप है.


3. व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर


जबलपुर की इस फैक्ट्री में सेना के लिए जो वाहन बनाए जाते हैं उनमें स्टायलीयन, एंटी लैंड माइन व्हीकल और सेफ्टी टैंक है, जो कि दुश्मनों से लड़ने में कारगार साबित होते हैं.


4. ग्रे आयरन फॉउंड्री


जबलपुर की इस फैक्ट्री में बमों के कवच बनाए जाते हैं. वायु सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले थाउजैंड पाउंडर बम की बॉडी ढलाई, इसी फैक्ट्री में बनती है. इतना ही नहीं कई और बड़े-बड़े बमों के कवच को भी इस फैक्ट्री में बनाया जाता है.


राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार समिति JCM 2 राष्ट्रीय नेता अरूण दुबे ने सरकार के फैसलों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. अरूण दुबे का कहना है कि ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया सहित देश की कई ऐसी फैक्ट्रियां हैं, जो कि तानाशाही रवैया के चलते उत्पादन करने में असफल हुई हैं. फैक्ट्री के अधिकारी कर्मचारियों पर दबाव बनाने के लिए कई तरह का रास्ता इख्तियार कर रहे हैं. ऐसे में अगर कर्मचारी नाराज होकर हड़ताल पर जाने का मन बना रहे हैं तो कुछ भी गलत नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कर्मचारियों के लिए अपनाई जा रही दोहरी नीति ठीक नही है.

फेडरेशन ने रक्षा मंत्री को लिखा पत्र
केंद्र सरकार द्वारा आयुध निर्माण के निगमीकरण के फैसले का तीनों ही फेडरेशन BPMS, INDWF और AIDEF ने विरोध दर्ज कराया है. तीनों ही यूनियन ने रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखकर फैसले को वापस लेने की मांग की है. फेडरेशन की मांग है कि अगर सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो देशभर के 82 हजार कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे, जिसके बाद फैक्ट्रियों का उत्पादन पूरी तरह से ठप हो जाएगा.

जबलपुर। भारत-चीन के बीच सीमा में उपजे विवाद के बीच भारतीय सेना के लिए गोला, बारूद, तोप, व्हीकल और कई घातक हथियार बनाने वाली देश भर की 41 सुरक्षा संस्थानों में जुलाई महीने के दूसरे सप्ताह में ताला लटकने वाला है. केंद्र सरकार के निगमीकरण के फैसले के खिलाफ देश भर के सुरक्षा संस्थानों में तैनात कर्मचारियों ने अब अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का एलान कर दिया है.

हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियों के कर्मचारी हड़ताल पर
देशभर की 41 केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों में तैनात कर्मचारियों ने एकमत होकर हड़ताल में जाने के लिए पहले गेट मीटिंग और फिर मतदान कर अपना विरोध केंद्र सरकार के सामने जता दिया है. मतदान में 98 प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारियों ने हड़ताल का रास्ता अख्तियार करने पर सहमति जताई है. वहीं जुलाई के दूसरे सप्ताह से होने वाली इस हड़ताल के बाद कर्मचारी काम नहीं करेंगे और सरकार के फैसले की खिलाफत करते रहेंगे.

ये भी पढ़ें- सीमा विवाद के बीच रूस और चीन के साथ बैठक में शामिल होगा भारत : विदेश मंत्रालय

बता दें, केंद्र सरकार ने देश की 41 आयुध निर्माण कंपनियों को निजीकरण के दायरे में लाने का प्रस्ताव पास किया है, जिसके खिलाफ लगातार आंदोलन भी किए जा रहे हैं. कर्मचारियों ने सरकार को कई बार आगाह भी किया. लेकिन जब कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं हुई तो अब एक बार फिर कर्मचारियों ने देशव्यापी हड़ताल करने का एलान किया है. इससे पहले भी हड़ताल हुई थी. लेकिन सरकार ने उनकी मांगों को मानने का आश्वासन दिया था. हालांकि, अब जब सरकार ने कर्मचारियों के साथ वादा खिलाफी की तो कर्मचारियों ने भी आर-पार लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है.

जबलपुर में सेना के लिए किन उत्पादों का होता है निर्माण

जानें कि जबलपुर स्थित केंद्रीय सुरक्षा संस्थानों में सेना के लिए किन उत्पादों का निर्माण किया जाता है. बता दें, जबलपुर में चार ऑर्डनेंस फैक्ट्रियां हैं.

1. ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया


यह देश की सबसे बड़ी फैक्ट्री है. इस फैक्ट्री में सेना के लिए कई प्रकार के बमों का उत्पादन होता है. इसमें सबसे ज्यादा 84 एमएम श्रेणी के बम हैं. ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया में देश की तीनों सेनाओं के लिए अलग-अलग तरह के बम का उत्पादन किया जाता है.


2. गन कैरिज फैक्ट्री


देश की सबसे ताकतवर तोप जिसे की धनुष का नाम दिया गया है, वह जबलपुर की गन कैरिज फैक्ट्री में बनती है. सेना ने जीसीएफ फैक्ट्री को 12 धनुष तोप के ऑर्डर दिए हैं, जिसमे से पांच धनुष तो फैक्ट्री ने बनाकर सेना को सुपुर्द भी कर दिया है. कहा जाता है कि यह भारत की सबसे ताकतवर तोप है.


3. व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर


जबलपुर की इस फैक्ट्री में सेना के लिए जो वाहन बनाए जाते हैं उनमें स्टायलीयन, एंटी लैंड माइन व्हीकल और सेफ्टी टैंक है, जो कि दुश्मनों से लड़ने में कारगार साबित होते हैं.


4. ग्रे आयरन फॉउंड्री


जबलपुर की इस फैक्ट्री में बमों के कवच बनाए जाते हैं. वायु सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले थाउजैंड पाउंडर बम की बॉडी ढलाई, इसी फैक्ट्री में बनती है. इतना ही नहीं कई और बड़े-बड़े बमों के कवच को भी इस फैक्ट्री में बनाया जाता है.


राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार समिति JCM 2 राष्ट्रीय नेता अरूण दुबे ने सरकार के फैसलों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. अरूण दुबे का कहना है कि ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया सहित देश की कई ऐसी फैक्ट्रियां हैं, जो कि तानाशाही रवैया के चलते उत्पादन करने में असफल हुई हैं. फैक्ट्री के अधिकारी कर्मचारियों पर दबाव बनाने के लिए कई तरह का रास्ता इख्तियार कर रहे हैं. ऐसे में अगर कर्मचारी नाराज होकर हड़ताल पर जाने का मन बना रहे हैं तो कुछ भी गलत नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कर्मचारियों के लिए अपनाई जा रही दोहरी नीति ठीक नही है.

फेडरेशन ने रक्षा मंत्री को लिखा पत्र
केंद्र सरकार द्वारा आयुध निर्माण के निगमीकरण के फैसले का तीनों ही फेडरेशन BPMS, INDWF और AIDEF ने विरोध दर्ज कराया है. तीनों ही यूनियन ने रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखकर फैसले को वापस लेने की मांग की है. फेडरेशन की मांग है कि अगर सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो देशभर के 82 हजार कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे, जिसके बाद फैक्ट्रियों का उत्पादन पूरी तरह से ठप हो जाएगा.

Last Updated : Jun 20, 2020, 3:20 PM IST
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