जबलपुर। गांव के विकास की बातें नेता से लेकर अधिकारी तो हमेशा से करते आए हैं, लेकिन धरातल पर स्थिति इसके उल्ट ही होती है. शहपुरा जनपद के अंतर्गत आने वाले कालापाठा गांव के हालात भी कुछ इसी प्रकार है. वहीं हैरानी की बात ये है कि, करीब 49 साल बाद कोई अधिकारी यहां पर पहुंचा. अधिकारी के पहुुंचने पर गांव में दीवाली जैसा माहौल रहा. अधिकारी के लिए कुर्सी-टेबल के साथ परपंरा अनुसार गक्कड़ भर्ता पार्टी रखी गई. इस दौरान आदिवासियों ने अपनी समस्याओं का बखान अधिकारी के समक्ष रखा.
1972 में खुला स्कूल, पहली बार आए अफसर
आदिवासियों का कहना है कि 1972 में प्राथमिक-माध्यमिक स्कूल कालापाठा में खुला. कभी भी यहां अधिकारी-नेता नहीं आए. पहली बार हुआ जब संभागीय संयुक्त संचालक राजेश तिवारी यहां पहुंचे.
संकुल प्राचार्य बाल पाण्डे के प्रयासों से गांव में संभागीय अधिकारी के लिए गक्कड़-भर्ता और मिलन समारोह कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम में ग्रामीणों ने खुलकर अपनी समस्याएं बताई.
बहरहाल, अधिकारियों का कहना है कि कालापाठा गांव में पहली बार कोई अधिकारी पहुंचा. लोगों की सबसे ज्यादा परेशानी शिक्षा से जुड़ी है, क्योंकि उनकी शिकायत है कि शिक्षक स्कूल ही आते नहीं है. इस वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.