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OBC आरक्षण के खिलाफ याचिकाकर्ताओं को SC का नोटिस, 12 मई को अगली सुनवाई - एमपी ओबीसी आरक्षण मामला

मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर चल रही कोर्ट की सुनवाई में आए दिन नए पेंच फंसते नजर आ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Apr 28, 2023, 6:20 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से संबंधित 64 याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में किये जाने की मांग करते हुए दो एसएलपी दायर की गयी थी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन व जस्टिस असाउद्दीन अमानुल्लाह की युगलपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाओं पर अगली सुनवाई 12 मई को निर्धारित की गयी है.

हाईकोर्ट ने दिए थे डे-टू-डे सुनवाई के निर्देश: गौरतलब है कि प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किये जाने के खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर की गयी थी. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया था कि सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के कानून को चुनौती नहीं दी गयी है. सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित याचिकाएं साल 2003 में ओबीसी आरक्षण के संबंध में दायर नोटिफिकेशन से संबंधित है. हाईकोर्ट का अभिमत था कि ओबीसी आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में लंबित प्रकरणों के निराकरण की आवश्यकता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के कानून की वैधता को चुनौती नहीं दी गयी है. हाईकोर्ट ने याचिकाओं पर डे-टू-डे सुनवाई के निर्देश दिये थे.

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सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस: जिसके बाद ओबीसी, एसटी, एससी एकता मंच व सरकार की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की गयी थी. जिसमें में कहा गया था कि ओबीसी आरक्षण के संबंध में साल 2014 से सर्वोच्च न्यायालय में चार याचिकाए लंबित है. हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण संबंधित सभी याचिकाएं सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित की जाये. सर्वोच्च न्यायालय ओबीसी आरक्षण से संबंधित याचिकाओं की संयुक्त रूप से सुनवाई करे. दायर एसएलपी में कहा गया था कि ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से कुल आरक्षण पचास प्रतिशत से अधिक होने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है. याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदिरा सहानी प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ द्वारा आदेश का हवाला दिया गया है. दायर एसएलपी में कहा गया था कि संवैधानिक पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि विशेष परिस्थितियों में आरक्षण की सीमा बढ़ाई जा सकती है. विशेष परिस्थितियों का न्यायिक पुनरावलोकन करने का अधिकारी सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को होगा. सुप्रीम कोर्ट की युगलपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद याचिका में ओबीसी आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई के दौरान ओबीसी एससी एसटी एकला मंच की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता व असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने पैरवी की.

जबलपुर। मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से संबंधित 64 याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में किये जाने की मांग करते हुए दो एसएलपी दायर की गयी थी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन व जस्टिस असाउद्दीन अमानुल्लाह की युगलपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाओं पर अगली सुनवाई 12 मई को निर्धारित की गयी है.

हाईकोर्ट ने दिए थे डे-टू-डे सुनवाई के निर्देश: गौरतलब है कि प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किये जाने के खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर की गयी थी. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया था कि सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के कानून को चुनौती नहीं दी गयी है. सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित याचिकाएं साल 2003 में ओबीसी आरक्षण के संबंध में दायर नोटिफिकेशन से संबंधित है. हाईकोर्ट का अभिमत था कि ओबीसी आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में लंबित प्रकरणों के निराकरण की आवश्यकता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के कानून की वैधता को चुनौती नहीं दी गयी है. हाईकोर्ट ने याचिकाओं पर डे-टू-डे सुनवाई के निर्देश दिये थे.

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सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस: जिसके बाद ओबीसी, एसटी, एससी एकता मंच व सरकार की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की गयी थी. जिसमें में कहा गया था कि ओबीसी आरक्षण के संबंध में साल 2014 से सर्वोच्च न्यायालय में चार याचिकाए लंबित है. हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण संबंधित सभी याचिकाएं सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित की जाये. सर्वोच्च न्यायालय ओबीसी आरक्षण से संबंधित याचिकाओं की संयुक्त रूप से सुनवाई करे. दायर एसएलपी में कहा गया था कि ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से कुल आरक्षण पचास प्रतिशत से अधिक होने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है. याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदिरा सहानी प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ द्वारा आदेश का हवाला दिया गया है. दायर एसएलपी में कहा गया था कि संवैधानिक पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि विशेष परिस्थितियों में आरक्षण की सीमा बढ़ाई जा सकती है. विशेष परिस्थितियों का न्यायिक पुनरावलोकन करने का अधिकारी सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को होगा. सुप्रीम कोर्ट की युगलपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद याचिका में ओबीसी आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई के दौरान ओबीसी एससी एसटी एकला मंच की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता व असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने पैरवी की.

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