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MP High Court: ओबीसी आरक्षण मामले में फिर फंसा नया पेंच, 24 अप्रैल को अगली सुनवाई - मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय

सोमवार को एमपी हाईकोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण मामले में डेली सुनवाई के आदेश के बाद अब एक बार फिर पेंच फंस गया है. कोर्ट में ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी किए जाने से संबंधित 64 याचिकाओं की सुनवाई हो रही है जिसके लिए 2 जजों की नई बेंच गठित की गई है.

MP HIGH COURT
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय
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Published : Apr 19, 2023, 9:10 PM IST

जबलपुर। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने से संबंधित 64 याचिकाओं की सुनवाई में फिर पेंच फंस गया है. याचिकाओं की सुनवाई करते हुए गत दिवस हाईकोर्ट जस्टिस जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस डी डी बसंल की युगलपीठ ने डे-टू-डे सुनवाई के निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधिश से मिलकर अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि उक्त बेंच पूर्व में सुनवाई से इंकार कर दिया था. जिसके बाद सुनवाई के लिए विशेष बेंच गठित की गई थी. मुख्य न्यायाधिश ने इस संबंध में हाईकोर्ट रजिस्टार के समक्ष आवेदन पेश करने निर्देश दिए हैं. याचिकाओं पर अगली सुनवाई 24 अप्रैल को निर्धारित की गयी है.

27% ओबीसी आरक्षण पर पेंच: प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किए जाने के खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गई थी. याचिकाओं की सुनवाई के लिए विशेश बैंच के सदस्य जस्टिस वीरेंन्द्र सिंह सेवानिवृत्त हो गये है. जिसके कारण जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस डी डी बसंल की युगलपीठ ने मंगलवार को याचिकाओं पर सुनवाई की थी. युगलपीठ ने सुनवाई के पाया था कि सर्वाेच्च न्यायालय में प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के कानून को चुनौती नहीं दी गयी है. सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित याचिकाएं साल 2003 में ओबीसी आरक्षण के संबंध दायर नोटिफिकेशन से संबंधित है. युगलपीठ ने का अभिमत था कि ओबीसी आरक्षण के संबंध में सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित प्रकरणों के निराकरण की आवश्यकता नहीं है.

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24 अप्रैल को अगली सुनवाई: सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित याचिका में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने के कानून की वैधता को चुनौती नहीं दी गई है. याचिकाओं पर डे-टू-डे सुनवाई के निर्देश दिए थे. शासन द्वारा नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने बताया कि बुधवार को ओबीसी, एसटी, एससी एकता मंच की तरफ से पैरवी कर रहे अधिवक्ता उदय कुमार ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधिश से मुलाकता कर बताया कि ओबीसी प्रकरणों की सुनवाई के लिए विशेष बेंच गठित नहीं की गई है. याचिकाओं की गत दिवस जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस डी डी बसंल की युगलपीठ द्वारा सुनवाई की गई. उक्त युगलपीठ 16 अगस्त 2022 को आदेश पारित किया था कि ओबीसी आरक्षण के संबंध में सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार उनके पास नहीं है. मुख्य न्यायाधिश ने इस संबंध में हाईकोर्ट रजिस्टार के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए थे. मुख्य न्यायाधिश के निर्देशानुसार आवेदन दायर कर दिया गया है. याचिकाओं पर अगली सुनवाई 24 अप्रैल को निर्धारित की गयी है.

जबलपुर। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने से संबंधित 64 याचिकाओं की सुनवाई में फिर पेंच फंस गया है. याचिकाओं की सुनवाई करते हुए गत दिवस हाईकोर्ट जस्टिस जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस डी डी बसंल की युगलपीठ ने डे-टू-डे सुनवाई के निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधिश से मिलकर अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि उक्त बेंच पूर्व में सुनवाई से इंकार कर दिया था. जिसके बाद सुनवाई के लिए विशेष बेंच गठित की गई थी. मुख्य न्यायाधिश ने इस संबंध में हाईकोर्ट रजिस्टार के समक्ष आवेदन पेश करने निर्देश दिए हैं. याचिकाओं पर अगली सुनवाई 24 अप्रैल को निर्धारित की गयी है.

27% ओबीसी आरक्षण पर पेंच: प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किए जाने के खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गई थी. याचिकाओं की सुनवाई के लिए विशेश बैंच के सदस्य जस्टिस वीरेंन्द्र सिंह सेवानिवृत्त हो गये है. जिसके कारण जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस डी डी बसंल की युगलपीठ ने मंगलवार को याचिकाओं पर सुनवाई की थी. युगलपीठ ने सुनवाई के पाया था कि सर्वाेच्च न्यायालय में प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के कानून को चुनौती नहीं दी गयी है. सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित याचिकाएं साल 2003 में ओबीसी आरक्षण के संबंध दायर नोटिफिकेशन से संबंधित है. युगलपीठ ने का अभिमत था कि ओबीसी आरक्षण के संबंध में सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित प्रकरणों के निराकरण की आवश्यकता नहीं है.

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