जबलपुर। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने से संबंधित 64 याचिकाओं की सुनवाई में फिर नया पेंच फंस गया है. सोमवार को याचिकाओं की सुनवाई हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस डी डी बसंल की युगलपीठ को बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय में ओबीसी आरक्षण की सभी याचिकाएं सुनवाई के लिए बुलाये जाने की मांग करते एसएलपी दायर की गयी है. सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी पर प्रारंभिक सुनवाई लंबित है. युगलपीठ ने याचिकाओं पर अगली सुनवाई 4 मई को निर्धारित की है.
64 याचिकाओं पर सुनवाई: प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किए जाने के खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गयी थी. याचिकाओं की सुनवाई के लिए विशेष बेंच के सदस्य जस्टिस वीरेंन्द्र सिंह सेवानिवृत्त हो गए हैं. जिसके कारण जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस डी डी बसंल की युगलपीठ ने मंगलवार 18 अप्रैल को सुनवाई करते हुए पाया था कि सर्वाेच्च न्यायालय में प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के कानून को चुनौती नहीं दी गयी है. सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित याचिकाएं साल 2003 में ओबीसी आरक्षण के संबंध दायर नोटिफिकेशन से संबंधित है.
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होनी थी डे-टू-डे सुनवाई: युगलपीठ का अभिमत था कि ओबीसी आरक्षण के संबंध में सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित प्रकरणों के निराकरण की आवश्यकता नहीं है. सर्वाेच्च न्यायालय में लंबित याचिका में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के कानून की वैधता को चुनौती नहीं दी गयी है. युगलपीठ ने याचिकाओं पर डे-टू-डे सुनवाई के निर्देश दिये थे. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान ओबीसी, एसटी, एससी एकता मंच की तरफ से पैरवी कर रहे अधिवक्ता उदय कुमार ने युगलपीठ को बताया था कि प्रकरणों की सुनवाई के लिए पूर्व में विशेष बेंच गठित की गयी थी. विशेष बेंच गठित करने के लिए उन्होने रजिस्टार को पत्र लिखा है. जिसके बाद युगलपीठ ने याचिकाओं पर अगली सुनवाई 24 अप्रैल निर्धारित की थी. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर किये जाने के संबंध में जानकारी पेश की गयी. जिसके बाद युगलपीठ ने उक्त निर्देश जारी किये.