जबलपुर। रीवा से आए बुखार के मरीज को जबलपुर के मेट्रो अस्पताल और लाइव मेडिसिटी अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया. मरीज परेशान होते रहे इन दोनों ही अस्पतालों ने बुखार के मरीज को कोरोना को संदिग्ध मानते हुए इलाज देने से मना कर दिया. बाद में इन मरीजों को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया. जहां इनका इलाज किया जा रहा है. लेकिन जबलपुर कलेक्टर के आदेश पर जबलपुर सीएमएचओ ने इन दोनों अस्पतालों को नोटिस जारी किया है. इस नोटिस में अस्पतालों से इस बात की जानकारी चाही है कि आखिर उन्होंने मरीजों का इलाज करने से मना क्यों किया गया.
कलेक्टर भरत यादव का कहना है कि कोई भी अस्पताल किसी मरीज को इलाज देने से मना नहीं कर सकता है. यदि इन अस्पतालों के जवाब से जिला प्रशासन संतुष्ट नहीं होता है तो इन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं जिला प्रशासन ने निजी अस्पतालों को इस बात की समझाइश दी है कि केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार 50 से 100 बिस्तर तक के अस्पताल को पांच बिस्तर आइसोलेशन के लिए रिजर्व रखने होंगे. इसी तरह 100 बिस्तर से ज्यादा के अस्पताल में कोरोना वायरस के मरीजों के लिए 10 विस्तर रिजर्व होंगे और यह कोई सलाह नहीं बल्कि आदेश हैं, जिसे मानना ही होगा.
आयुष्मान भारत योजना के तहत दी जाएगी फीस
जिला प्रशासन का कहना है कि कोरोना वायरस को आयुष्मान भारत योजना के तहत बीमा का फायदा दिया गया है. इसलिए निजी अस्पतालों को कोरोना संदिग्ध का इलाज करने पर पैसा बीमा कंपनी देगी. लेकिन किसी भी स्थिति में निजी अस्पताल किसी मरीज को इलाज के लिए मना नहीं कर सकता.
कोरोना वायरस के संकट काल में निजी डॉक्टर और निजी अस्पतालों का जो चेहरा सामने आया है, उसने निजी अस्पतालों की छवि को और खराब किया है. निजी अस्पताल किसी किस्म की जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं हैं. कोरोना वायरस के संकट काल में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का तो दूर सामान्य मरीजों के इलाज में भी इन अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए थे.