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45 मोरों की मौत: क्यों नहीं गठित हुई एक्सपर्ट और माॅनिटरिंग कमेटी - peacock death case madhya pradesh

मुरैना में राष्ट्रीय पक्षी मोरों की मौतों के मामले में मुख्य वन्य प्राणि वार्डन सहित अन्य को नोटिस भेजा गया है. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्षक मंच की तरफ से भेजे गये नोटिस में कहा गया है कि मुरैना में 20 जून को 45 मोरों की मौत का मामला प्रकाश में आया था लेकिन अभी तक किसी के ऊपर एफआईआर (FIR) तक नहीं हुई है.

peacock
राष्ट्रीय पक्षी मोर
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Published : Jun 25, 2021, 8:12 PM IST

जबलपुर। वन प्राणियों के संरक्षण के लिए एक्सपर्ट और माॅनिटरिंग कमेटी का गठित करने के लिए NGT ने तीन साल में कई आदेश जारी किये हैं. इसके बावजूद प्रदेश में इन कमेटियों का गठन नहीं किया गया. मुरैना में राष्ट्रीय पक्षी (National bird) 45 मोरों की मौतों के मामले में मुख्य वन्य प्राणी वार्डन सहित अन्य को नोटिस भेजा गया है.

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नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की तरफ से भेजे गये नोटिस में कहा गया है कि मुरैना में 20 जून को 45 मोरों की मौत का मामला सामने आया था. मोर को साल 167 में राष्ट्रीय पक्षी घोषित कर वन्य प्राणि संरक्षण कानून 1972 में उसे संरक्षित किया गया था. सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व का यह पक्षी इको-सिस्टम का अंश है. मोरों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. पंख और तेल के लिए उन्हें मारा जा रहा है.

मुरैना जिलों में हुई मोरों की मौत के मामले में अभी तक दोषियों के खिलाफ अपराधिक मामला तक दर्ज नहीं हुआ है. मोरों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा कोई योजना नहीं बनाई गई है. एनजीटी (NGT) ने पिछले तीन सालों में वन प्राणियों के संरक्षण के लिए एक्सपर्ट और माॅनिटरिंग कमेटी का गठित करने कई निर्देश जारी किये थे, लेकिन पालन को गंभरीता से नहीं लिया गया. नोटिस में कहा गया है कि मोरों की मौत के लिए दोषी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई तक नहीं की गई है. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने एनजीटी (NGT) में आवेदन देने की चेतावनी दी है.

जबलपुर। वन प्राणियों के संरक्षण के लिए एक्सपर्ट और माॅनिटरिंग कमेटी का गठित करने के लिए NGT ने तीन साल में कई आदेश जारी किये हैं. इसके बावजूद प्रदेश में इन कमेटियों का गठन नहीं किया गया. मुरैना में राष्ट्रीय पक्षी (National bird) 45 मोरों की मौतों के मामले में मुख्य वन्य प्राणी वार्डन सहित अन्य को नोटिस भेजा गया है.

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नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की तरफ से भेजे गये नोटिस में कहा गया है कि मुरैना में 20 जून को 45 मोरों की मौत का मामला सामने आया था. मोर को साल 167 में राष्ट्रीय पक्षी घोषित कर वन्य प्राणि संरक्षण कानून 1972 में उसे संरक्षित किया गया था. सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व का यह पक्षी इको-सिस्टम का अंश है. मोरों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. पंख और तेल के लिए उन्हें मारा जा रहा है.

मुरैना जिलों में हुई मोरों की मौत के मामले में अभी तक दोषियों के खिलाफ अपराधिक मामला तक दर्ज नहीं हुआ है. मोरों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा कोई योजना नहीं बनाई गई है. एनजीटी (NGT) ने पिछले तीन सालों में वन प्राणियों के संरक्षण के लिए एक्सपर्ट और माॅनिटरिंग कमेटी का गठित करने कई निर्देश जारी किये थे, लेकिन पालन को गंभरीता से नहीं लिया गया. नोटिस में कहा गया है कि मोरों की मौत के लिए दोषी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई तक नहीं की गई है. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने एनजीटी (NGT) में आवेदन देने की चेतावनी दी है.

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