Farming Power Tarif Revised: बिजली कंपनियां अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए आम उपभोक्ताओं के बिजली बिलों की दर बढ़ा रही है. इसके साथ ही अब किसानों के लिए खेती की बिजली भी महंगी होने जा रही है. इसमें लगभग 750 सौ यूनिट तक प्रति यूनिट 35 पैसे की बढ़ोतरी है. किसानों को दूसरा बड़ा झटका पुराने सिंचाई पंप को लेकर लगने वाला है. विद्युत कंपनियों ने अपनी टैरिफ पिटीशन में पुराने पंप बदलने की सिफारिश की है. जबलपुर की सामाजिक संस्था ने किसानों के समर्थन में नियामक आयोग से अपील की है कि वे बिजली कंपनियों के इस प्रस्ताव को स्वीकार न करें.
35 पैसा प्रति यूनिट बढ़ेगी बिजली दर (Electricity Tarif Hike in MP)
मध्य प्रदेश सरकार किसानों को बिजली में सब्सिडी देती है, लेकिन अब यह सब्सिडी वाले रेट में भी 35 पैसा प्रति यूनिट की बढ़ोतरी होने वाली है. विद्युत कंपनियों ने 29 जनवरी को होने वाली विद्युत नियामक आयोग की सुनवाई में अपनी टैरिफ पिटीशन में इस बात का जिक्र किया है. वहीं बिजली कनेक्शन का फिक्स चार्ज भी लगभग ₹60 बढ़ाया जा रहा है. इस तरह से किसानों को हर महीने बिजली बिल में पांच हार्स पावर की मोटर तक ₹260 से ज्यादा चुकाने होंगे.
पुराने मोटर पंप बदलने होंगे
वहीं बिजली की नई दरों के लिए जो टैरिफ पिटीशन लगाई गई है. उसमें बिजली कंपनियों ने इस बात का उल्लेख किया है कि अब रियायती दरों पर बिजली उन पंपों को दी जाएगी, जो आई एस आई प्रमाणित होंगे. ज्यादातर किसान स्थानीय वेंडर से पंप खरीदते हैं और इनमें बहुत से मोटर पंप प्रमाणित नहीं होते, इसलिए इनमें बिजली की ज्यादा खपत होती है और किसी में कम, इसीलिए बिजली कंपनियां सिंचाई पंपों को आई एस आई प्रमाणित करवाना चाहती है. इससे बिजली कंपनी को तो फायदा होगा, लेकिन किसानों पर नए पंप खरीदने के लिए नया बोझ पड़ेगा, क्योंकि बाजार में नया पंप और नई मोटर 5 हॉर्स पावर के लिए 25 से 35 हजार रुपए में आती है.
पीवीसी लाइन से सिंचाई
वहीं बिजली कंपनियां अब अपने उपभोक्ताओं के पानी के अव्यय पर भी ध्यान देगी और खेत तक खुली नाली के बजाय पाइपलाइन से पानी ले जाने के लिए प्रेरित करेगी. यदि कोई किसान खुला पानी खेत तक ले जाएगा, तो उसे रेवती बिजली नहीं दी जाएगी. यह प्रस्ताव भी बिजली कंपनियों ने अपनी नई टैरिफ पिटीशन में रखा है की किसानों को सिंचाई के लिए पाइपलाइन का इस्तेमाल करना होगा.
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नागरिक उपभोक्ता मंच की आपत्ति
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के सदस्य रजत भार्गव ने किसानों के समर्थन में नियामक आयोग को चिट्ठी लिखकर इस मुद्दे पर आपत्ति दर्ज की है कि बिजली कंपनियों के किसानों के लिए बिजली की दलों को बढ़ाने का प्रस्ताव स्वीकार न किया जाए. बिजली कंपनी के नए प्रस्ताव किसानों के लिए नया खर्चा जोड़ने वाले हैं इसमें ब्रांडेड कंपनी के नए पंप और पीवीसी पाइपलाइन किसानों को खरीदनी होगी. पहले से ही घाटे की खेती कर रहा किसान रियायती दर पर बिजली प्राप्त करने के लिए यह खर्चा कैसे उठेगा. यह किसानों की समझ के परे है. खेती की लागत दिन-दिन बढ़ती जा रही है. महंगी खाद, महंगे बीज, महंगी मजदूरी, महंगा डीजल के बाद अब यदि बिजली भी महंगी हो जाएगी, तो किसान की खेती में ज्यादा जोखिम खड़े हो जाएंगे.