जबलपुर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर केंद्रित प्रदेश में अब तक का पहला संग्रहालय जबलपुर (shubhas chandra bose museum jabalpur) में आम लोगों के लिए लोकार्पित हो गया है. जबलपुर सेंट्रल जेल के सुभाष वार्ड में यह म्यूजियम तैयार किया गया है. अब तक के इतिहास में सेंट्रल जेल स्थित सुभाष वार्ड में आने-जाने की अनुमति हर किसी के लिए नहीं होती थी, लेकिन प्रदेश सरकार के फैसले के बाद अब नेताजी के जेल वार्ड को संग्रहालय का रूप दे दिया गया है.
कैदियों ने ही तैयार किया संग्राहलय
अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई में जिन चार दिवारियों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस बंद थे. अब वह जेल नहीं बल्कि संग्रहालय का रूप लेने जा रही है. जबलपुर स्थित सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल के सुभाष वॉर्ड (shubhas chandra bose central jail) को अब म्यूजियम का रूप दिया जा रहा है. खास बात यह है कि इस म्यूजियम को बनाने में खुद कैदी ही इंजीनियर और कारपेंटर की भूमिका में नजर आ रहे हैं. चित्रकारी से लेकर गार्डन बनाने तक यहां तक कि सुभाष वॉर्ड के अंदर, जहां नेताजी बंद थे उसे भी साज सज्जा के साथ एक नया स्वरूप दिया गया है.
प्रदेश सरकार ने लिया था म्यूजियम बनाने का फैसला
23 जनवरी 2022 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर इस म्यूजियम का उद्घाटन हुआ. जबलपुर स्थित केंद्रीय जेल में सुभाष वार्ड को म्यूजियम (shubhas chandra bose museum jabalpur) बनाने का फैसला प्रदेश सरकार द्वारा लिया गया था. इसके बाद से ही यहां काम शुरू हो गया था. सुभाष म्यूजियम बनाने में कैदियों में भी उत्साह नजर आया. नेताजी की 125वीं जयंती को सरोकार दिवस के रूप में मनाया जा रहा है.
अब आसानी से देख सकेंगे लोग
जबलपुर केंद्रीय जेल के अधीक्षक अखिलेश तोमर ने ETV भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि सरकार के फैसले के बाद जिस वार्ड में नेताजी बंद थे, उसे अब म्यूजियम का रूप दे दिया गया है. अब से पहले विशेष मौके पर ही लोग सुभाष वार्ड देख पाते थे, लेकिन अब निरंतर लोग यहां विजिट कर सकेंगे.
ओबीसी आरक्षण: 37 जिलों में सर्वे पूरा, सरकार तैयार कर रही है डाटा, जल्द मिलेगा रिजर्वेशन
प्राथमिक तौर पर सुरक्षा मापदंडों के पूरा होने तक केवल रविवार और शनिवार को इसे खोला जाएगा. सुबह और शाम दो पालियों में यह संग्रहालय खुलेगा, जिसमें आम लोग इस म्यूजियम में रखे विभिन्न ऐतिहासिक चीजों का अवलोकन कर पाएंगे. सुभाष वार्ड में तीन नंबर पट्टी पर नेताजी रहा करते थे. जेल में आने से पहले उनका वारंट और एडमिशन समेत उन बेड़ियों को भी संग्राहलय में रखा गया है, जिनसे उन्हें बांधकर रखा गया था.