जबलपुर: कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के नेताओं के इशारे पर लगभग 25,000 लोगों के नाम मतदाता सूची से काट दिए गए हैं. इसके एवज में कैंटोनमेंट इलाके में कांग्रेस के नेताओं के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया. यह लोग कैंट बोर्ड के ऑफिस के पास पहुंचे, लेकिन पुलिस ने इन्हें शिवाजी मैदान में इकट्ठा किया. यहां कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने इनकी समस्या सुनी.
मतदाता सूची से काटे गए नाम: कांग्रेस नेता अभिषेक चौकसे का कहना है कि "पिछली बार कैंट बोर्ड के चुनाव में 45000 लोगों ने मतदान किया था. इस बार यह संख्या मात्र 25000 है. मतलब लगभग 20,000 लोगों के नाम मतदाता सूची से काट दिए गए हैं. अभिषेक चौकसे ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक के इशारे पर ऐसा किया गया. क्योंकि ऐसा कांग्रेस का दावा है कि इनमें ज्यादातर कांग्रेस समर्थित लोग हैं.
कैंट बोर्ड की पुरानी समस्या: कैंटोनमेंट बोर्ड में दो इलाके होते हैं. जिसमें एक रक्षा मंत्रालय की ऑफिस होते हैं और दूसरा सिविल एरिया होता है. जबलपुर में भी सिविल इलाके में रहने वाले लोग सदियों से यहां रह रहे हैं. इन लोगों को कैंट बोर्ड की सरकारी जमीन पर सदियों पहले खेती करने की अनुमति दी गई थी. इसमें कई बड़े बगीचे शामिल थे. अंग्रेजों के जमाने के कई बंगले थे. कुछ समय जमीन की कीमत नहीं थी, लेकिन बदलते दौर में अब यह जमीन बेशकीमती हो गई है. सरकार सरकारी जमीन पर सदियों से रहने वाले इन लोगों को बेदखल कर रही है. इसके लिए उन्होंने सबसे पहले इनके नाम मतदाता सूची से काट दिए हैं और यह संख्या 20,000 से ज्यादा है देशभर में यह संख्या लाखों में है.
MUST READ राजनीति से जुड़ी खबरें यहां क्लिक करें |
अमीरों को जमीन देना चाहती है सरकार: कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जो लोग सदियों से सरकारी जमीन पर काबिज है. उनके पास कुछ पुरानी रजिस्ट्री भी है, लेकिन कैंट बोर्ड इन मानने को तैयार नहीं है और इन सभी लोगों को अतिक्रमणकारी कह रहा है. काग्रेस नेताओं का आरोप है कि सरकार गरीबों से जमीन छीन कर अमीरों में बांटना चाह रही है. इसलिए लोगों के नाम काटे गए हैं और उन्हें जमीन से बेदखल किया जा रहा है.
कैंट बोर्ड के चुनाव की अधिसूचना जारी: कैंट बोर्ड के चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई है. कैंट इलाके में धारा 144 लगी हुई है, इसीलिए कांग्रेस की आपत्ति थोड़ी ज्यादा है. कांग्रेसियों की सूचना है कि यह उनका वोट बैंक है जिसे भाजपा खत्म करना चाहती है. इसमें कुछ ऐसे लोगों के नाम भी शामिल है जो रक्षा मंत्रालय की कर्मचारी है और बीते दो-तीन सालों में इनके ट्रांसफर हो गए हैं, लेकिन इनके नाम मतदाता सूची में शामिल है, इसलिए नई मतदाता सूची में इन्हें काट दिया गया है.