जबलपुर। नाग पंचमी पर नागों की पूजा की जाती है. सपेरों सापों को पकड़कर शहरों और गांवों में लाते हैं और आस्था के नाम पर दक्षिणा मांगते हैं. इसी सिलसिले में वन विभाग की टीम ने नाग पंचमी के मौके पर 8 सपेरों को पकड़ा है. इनसे कई दुर्लभ प्रजाति के खतरनाक सांप भी बरामद हुए हैं. नाग पंचमी के मौके पर दूर-दराज इलाकों से सांप पकड़ कर लोग शहर में लाते हैं. वन विभाग के फॉरेस्ट रेंजर अपूर्व शर्मा का कहना है कि ''इन सांपों के मुंह को सिल दिया जाता है और उनके दांत तोड़ दिए जाते हैं. इसलिए सपेरों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.''
जबलपुर वन विभाग ने पकड़े आठ सपेरे: नाग पंचमी के मौके पर सपेरे नाग को पकड़कर बस्तियों में घुमाते हैं और नाग की पूजा के नाम पर लोगों से पैसे उठते हैं, यह सदियों पुरानी परंपरा है. लेकिन इस परंपरा की वजह से नाग पंचमी के पहले सांपों के ऊपर संकट खड़ा हो जाता है और सांप सपेरों के चंगुल में फंस जाते हैं. सपेरे के पास आया हुआ सांप दोबारा अपना जीवन नहीं जी पाता, क्योंकि सपेरे सांपों को पकड़कर सबसे पहले उनके जहर के दांत तोड़ देते हैं और इसके बाद उनका मुंह सिल देते हैं ताकि वह किसी को काटना सकें. इन्हीं सांपों को लेकर सपेरे बस्तियों में आते हैं और लोगों को नाग पंचमी के मौके पर सांप की पूजा करने से पुण्य लाभ की बात कहकर लोगों से दक्षिणा लेते हैं.
बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर तैनात रही टीम: जबलपुर वन विभाग ने अलग-अलग प्रजातियों के आठ नागों के साथ सपेरों को भी पकड़ा है. इनके पास से कोबरा, धामन, घोड़ा, पछाड़ जैसे कई सांप मिले हैं. वन विभाग ने इन सपेरों के खिलाफ वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई की है. सांपों के मुंह में लगी तार को हटाकर सांपों को जंगल में छोड़ दिया गया है. अभी भी वन विभाग की टीम जबलपुर शहर में अलग-अलग स्थान पर सपेरों को पकड़ने की कार्रवाई कर रही है.
पुरानी धारणा: नाग पंचमी को लेकर लोगों के मन में यह धारणा है कि सांप दूध पीता है और सांप के दूध पीने से भगवान शिव खुश होते हैं, लेकिन यह धारणा गलत है. सांप एक मांसाहारी जीव है और वह केवल मांस ही खाता है. खासतौर पर चूहों और छोटे जानवरों को सांप खाता है यह दूध नहीं पीता बल्कि यदि सपेरे जबरन सांप नमो दूध में डालते हैं तो इससे भी उसकी मृत्यु हो जाती है. इसलिए धीरे-धीरे लोगों में इस बात की समझ आ गई है कि वे सांप को दूध नहीं पिलाते लेकिन अभी भी बहुत से बुजुर्ग इस बात को मानने और समझने को तैयार नहीं है. जिसको लेकर लोगों को घरों में उन्हें समझाने की कोशिश करनी चाहिए.
असली नागों को दूध पिलाने की न करें गलती: सामान्य तौर पर ऐसे मामले परंपराओं और धर्म से जोड़कर देखे जाते हैं और उनके वैज्ञानिक पक्ष को सोचा समझ नहीं जाता. लेकिन एक जीव को अपनी आस्था के लिए परेशान करना कहां तक सही है और वही कोबरा जैसा सांप अत्यंत विषैला होता है. यदि गलती से भी इसने किसी को काट लिया तो कटे हुए आदमी का बचना नामुमकिन होता है. अब तक इसकी कोई दवा नहीं खोजी जा सखी है. इसलिए नाग पंचमी पर लोगों को घरों में भले ही पूजा पाठ कर ले पर असली नागों को दूध पिलाने की गलती ना करें.