जबलपुर। जिले की बरगी विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है. भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह के पुत्र नीरज सिंह को टिकट दे दी है. वहीं कांग्रेस की ओर से संजय यादव की टिकट पक्की है, क्योंकि पिछली बार संजय यादव ने यहां कांग्रेस को 16 हजार से ज्यादा मतों से जीत दिलाई थी, लेकिन इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी आदिवासियों को इकट्ठा करके चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है और इस विधानसभा में आदिवासियों की तादाद 60000 के लगभग है.
सामाजिक आर्थिक विश्लेषण: जबलपुर की बरगी विधानसभा का 90% इलाका ग्रामीण है, 10% क्षेत्र शहरी इलाके में भी जुड़ा हुआ है. बरगी विधानसभा को दो श्रेणी में बांटा जा सकता है. जिसमें नर्मदा किनारे शाहपुरा बेलखेड़ा भेड़ाघाट और जबलपुर से लगा हुआ कुछ इलाका ग्रामीण होने के बाद भी सुविधाओं से परिपूर्ण है. यहां अच्छी खेती होती है. किसान धान, मटर और मूंग की खेती करते हैं. यहां गांव में भी रौनक नजर आती है. लोगों के पास पर्याप्त रोजगार है और खेती के अत्याधुनिक संसाधन भी हैं.
ग्रामीण इलाके का एक दूसरा पहलू बरगी विधानसभा में पहाड़ों पर नजर आता है. यह नर्मदा का दूसरा किनारा है, जो तिलवारा घाट से शुरू होकर चारगांव तक चला जाता है और दूसरी ओर यह विधानसभा क्षेत्र की सीमा को छू लेता है. यह पूरा इलाका पथरीला है. हालांकि इसके 50% भूभाग में अच्छी खेती होती है और यहां पर सामान्य तौर पर किसान मक्का, गेहूं और चना जैसी फसल का उत्पादन करते हैं. यही कुछ इलाकों में लोगों ने ड्रिप इरीगेशन के जरिए सब्जी का उत्पादन भी शुरू किया है, लेकिन जैसे-जैसे हम पहाड़ की तरफ बढ़ते जाते हैं. पथरीला इलाका भी बढ़ता जाता है और इन इलाकों में ज्यादातर आदिवासी गांव हैं. यहां पानी की कमी एक बड़ा संकट है. जबकि इसी विधानसभा क्षेत्र में बरगी बांध है, लेकिन पहाड़ों पर बरगी बांध का पानी नहीं जा पाता. वहीं बरगी बांध के विस्थापित लोगों के लिए भी जो गांव बताए गए थे. उनमें बुनियादी सुविधाएं भी नहीं है. इन क्षेत्रों में बेहद पिछड़े गांव नजर आते हैं. जहां अभी सड़के तो नजर आती हैं, लेकिन पानी पढ़ाई यहां तक कि बिजली की व्यवस्था भी नहीं है, दूर-दराज के गांव में लोगों का जीवन कठिन है.
रेत का अवैध कारोबार: बरगी विधानसभा में बहुत बड़े पैमाने पर रेत का अवैध कारोबार होता है. इसमें नर्मदा नदी से रेत निकाली जाती है और इसे जबलपुर शहर में बेचा जाता है. हालांकि अब नर्मदा नदी की रेत लगभग खत्म हो गई है. इसलिए नदी के किनारे खदानों से रेत निकाली जाती है. यहां के मौजूदा विधायक संजय यादव जो कांग्रेस से विधायक हैं और पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह का परिवार भी रेत के कारोबार से जुड़ा हुआ है. यहां ज्यादातर दबंग लोग रेत का ही काम करते हैं.
जमीनों की खरीद फरोख्त: बरगी विधानसभा जबलपुर शहर से थोड़ी दूरी पर है. इसलिए यहां शहर के इन्वेस्टर पैसा जमीन में इन्वेस्ट करते हैं. बीते 5 सालों में इस पूरे इलाके का आर्थिक बदलाव जमीनों की बिक्री की वजह से हुआ है. शहर के लोगों ने इस पहाड़ी इलाके में जमीन खरीदना शुरू कर दिया. इसमें कई आदिवासियों की जमीन भी शामिल हैं. लोगों ने पत्थरों पर अपने फार्म हाउस बनाए हैं. इससे इस इलाके का विकास तो हुआ है, आदिवासियों को भी जमीनों के बदले मोटी रकम मिली है, लेकिन इसमें कुछ आदिवासी बर्बाद भी हो गए, जिनके हाथ से जमीन चली गई और अभी भी यह कारोबार इस पूरे इलाके में जोर जोर से चल रहा है.
राजनीतिक समीकरण: 1998 से लेकर 2013 तक बरगी विधानसभा भारतीय जनता पार्टी की सीट थी. 2003 के पहले यह सीट आदिवासियों के लिए रिजर्व थी, इसलिए यहां भारतीय जनता पार्टी के विधायक फूल सिंह वीके और अनूप सिंह मरावी दो बार जीते उसके बाद यह विधानसभा सामान्य हो गई. इसलिए यहां बेलखेड़ा की प्रतिभा सिंह चुनाव मैदान में उतरी. प्रतिभा सिंह 2008 से 2018 तक लगातार विधायक रहीं उन्होंने 2008 में और 2013 में भारतीय जनता पार्टी की टिकट से चुनाव जीता, लेकिन 2018 में बरगी विधानसभा का दृश्य बदल गया और कांग्रेस की संजय यादव ने प्रतिभा सिंह को लगभग 16000 मतों से हरा दिया हालांकि प्रतिभा सिंह को 2013 में लगभग 69000 वोट मिले थे, उतने ही मत 2018 में भी मिले. 2018 में भी प्रतिभा सिंह को 69000 वोट ही मिले, लेकिन संजय यादव को 86000 वोट मिले और इस तरीके से लगभग 16000 के अंतर से प्रतिभा सिंह हार गई थीं. इस बार फिर चुनाव संजय यादव और प्रतिभा सिंह के बीच में ही है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने प्रतिभा सिंह की जगह उनके लड़के नीरज सिंह को मैदान में उतारा है. नीरज सिंह पत्रकारिता करते थे और नौकरी छोड़कर बीते दो चुनावों से बरगी क्षेत्र में सक्रिय थे.
त्रिकोणीय मुकाबला: इस बार कांग्रेस नेता संजय यादव के लिए भी चुनाव सरल नहीं होगा, क्योंकि बीते दिनों जबलपुर में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने एक बड़ा आयोजन किया था और यहां घोषणा की थी कि इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पूरी दमखम से बरगी विधानसभा में अपना उम्मीदवार उतारेगी और बरगी विधानसभा में आदिवासी वोटरों की संख्या 60000 है. अभी तक आदिवासी वोटरों का बड़ा प्रतिशत कांग्रेस को मिल रहा था. इसलिए इस बार की लड़ाई त्रिकोणीय है. बरगी विधानसभा को विकास की बड़ी दरकार है, क्योंकि यहां आदिवासी और ग्रामीण शहर में होते हुए विकास को देखता है तो खुद को ठगा सा महसूस करता है. सरकार को इन इलाकों के हिसाब से यहां रोजगार के अवसर खोजना चाहिए. यहां पशुपालन, खनन और खेती से जुड़े हुए रोजगार को बढ़ने से इस पूरे इलाके का आर्थिक विकास हो सकता है.