जबलपुर। शहर की सामाजिक संस्था नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. संस्था की तरफ से तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की हड़ताल को गैरकानूनी घोषित करने की मांग की जा रही है. संस्था की ओर से डॉक्टर पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने कोर्ट में एक याचिका दायर की है. इसमें इन अधिकारियों की हड़ताल को न्याय संगत नहीं माना है. हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई 24 मार्च के लिए तय की गई है.
संस्था का तर्क: मंच ने याचिका में तर्क दिया है कि, इस समय बारिश हो रही है, ओले गिर रहे हैं. ऐसे में फसलों के नुकसान का आकलन तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की टीम करती है. आपदा के समय में जिम्मेदार अधिकारियों का हड़ताल पर रहना सही नहीं है. दूसरी तरफ मंच का तर्क है कि, इन दिनों बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं. बोर्ड परीक्षाओं में तहसीलदार और नायब तहसीलदारों को नजर रखना होता है. ऐसे समय में इन अधिकारियों का हड़ताल पर रहना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. तीसरा तर्क यह दिया गया है कि, यह शादियों का मौसम है और बहुत से लोग इसी समय संपत्तियों की खरीद और बिक्री करते हैं. ऐसे में यदि राजस्व अधिकारी हड़ताल पर चले गए तो शादियों में व्यवधान आएगा.
एमपी में हुई ओलावृष्टि से जुड़ी ये खबर जरूर पढ़ें... |
पुराने आदेश का हवाला: मंच की ओर से हाईकोर्ट के पुराने आदेश का भी हवाला दिया गया है. जिसमें यह कहा गया है कि इससे पहले 2009 में भी इसी तरह राजस्व अधिकारियों ने हड़ताल की थी. लेकिन इसके पहले कि यह मुद्दा हाईकोर्ट में याचिका द्वारा उठाया जाता, राजस्व अधिकारी काम पर लौट आए थे. 2021 में इसी तरह की हड़ताल नर्स एसोसिएशन ने की थी. जिसे हाई कोर्ट ने गैरकानूनी घोषित कर दिया था. मंच की ओर से यह भी तर्क दिया गया है कि, यदि अधिकारियों की कोई समस्या है तो उस पर सरकार अपने स्तर पर कोई कमेटी बनाए. जिम्मेदार अधिकारियों का हड़ताल पर जाना पूरे प्रबंधन को खराब कर देता है. जनता परेशान होती है.