जबलपुर। शहर में टमाटर के भाव 80 से ₹100 किलो तक पहुंच गए हैं. टमाटर में यह तेजी अचानक से आई है. बीते दिनों तक टमाटर 20 से ₹25 किलो बिक रहा था. लेकिन तेज गर्मी की वजह से जबलपुर के आसपास टमाटर की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई. फिलहाल जबलपुर में टमाटर की आपूर्ति दक्षिण भारत से हो रही है. लंबी दूरी में महंगा किराए की वजह से मंडी में ही टमाटर 65 से ₹70 प्रति किलो बिक रहा है. इसलिए खुदरा व्यापारी आम आदमी को 80 से ₹100 किलो तक टमाटर बेच रहे हैं.
अदरक व लहसुन भी पहुंच से दूर : बता दें कि बीते दिनों टमाटर की फसल इतनी अधिक हो गई थी कि मंडी में टमाटर के खरीददार तक नहीं थे. थोक में टमाटर ₹1 किलो तक बिक रहा था. बाजार में आम आदमी को 5 से ₹10 प्रति किलो में टमाटर की उपलब्धता थी. सब्जी की महंगाई टमाटर पर ही खत्म नहीं होती. टमाटर के अलावा लहसुन खुले बाजार में ₹200 किलो और अदरक ₹240 किलो तक बिक रहा है. जिस तरीके से टमाटर ने सीजन पर किसानों को धोखा दिया, कुछ ऐसा ही हाल पिछले साल लहसुन के साथ हुआ था. बीते पूरे साल में लहसुन 10 से ₹15 किलो ही बिकता रहा. इस साल लहसुन के दाम आसमान छू रहे हैं. जबलपुर में प्याज के दाम भी दिन-ब-दिन बढ़ना शुरू हो गए हैं. इस साल भी मौसम बारिश की वजह से प्याज की फसल जल्दी खराब हो रही है. इसलिए ऐसा लगता है कि प्याज भी आसमान छू लेगी.
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खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नहीं : दुनिया के कई ऐसे देश हैं, जिनमें पूरे साल सब्जियां नहीं आती या तो बहुत अधिक गर्मी पड़ती है या बहुत अधिक ठंड पड़ती है. ऐसे देशों में टमाटर को सुखाकर रखा जाता है और जब फसलें नहीं आती, तब सूखे टमाटर का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा ही उपयोग दूसरी सब्जियों के साथ भी होता है, लेकिन इसके लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आम आदमी को सूखी सब्जियां मुहैया करवाता है और लोगों को रोजगार. लेकिन हमारे देश में इस ओर कोई पहल नहीं हो रही है. सब्जी के बढ़ते दामों की वजह से आम आदमी का बजट बिगड़ जाता है और लोगों ने अब सब्जी में राशनिंग शुरू कर दी है. जो लोग पहले 1 किलो टमाटर खरीदते थे, वह अब एक पाव से काम चला रहे हैं.